झारखंड की राजनीति से नितिन नबीन का है पुराना नाता, राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनने का राज्य पर दिखेगा असर
भाजपा नेता नितिन नबीन के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनने के बाद बीजेपी में संगठनात्मक और राजनीतिक बदलाव के संकेत हैं। विधानसभा चुनाव में उनकी सक्रिय ...और पढ़ें
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पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान बोकारो में प्रचार अभियान के दौरान नितिन नबीन। (जागरण)
राज्य ब्यूरो, रांची। भाजपा के वरिष्ठ नेता और बिहार सरकार में मंत्री नितिन नबीन के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी के संगठनात्मक और राजनीतिक समीकरणों में बदलाव के संकेत मिलने लगे हैं।
इसका असर झारखंड पर भी पड़ना तय माना जा रहा है, क्योंकि नितिन नबीन का राज्य की राजनीति और संगठन से पुराना और सक्रिय जुड़ाव रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने झारखंड में भाजपा के लिए व्यापक प्रचार अभियान चलाया था और कई महत्वपूर्ण सीटों पर रणनीतिक भूमिका निभाई थी।
नितिन नबीन न केवल चुनावी दौर में, बल्कि सामान्य समय में भी झारखंड का लगातार दौरा करते रहे हैं। संगठनात्मक बैठकों से लेकर जमीनी कार्यकर्ताओं के साथ संवाद तक उनकी सक्रियता ने उन्हें झारखंड भाजपा के भरोसेमंद केंद्रीय चेहरों में शामिल कर दिया है।
ऐसे में उनके राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बनने को राज्य इकाई के लिए एक राजनीतिक संबल के रूप में देखा जा रहा है।
संगठनात्मक अनुशासन, स्पष्ट संवाद और चुनावी प्रबंधन में माहिर
नितिन नबीन संगठनात्मक अनुशासन, स्पष्ट संवाद और चुनावी प्रबंधन के लिए जाने जाते हैं। झारखंड जैसे राज्य में, जहां भाजपा को हाल के वर्षों में सत्ता से बाहर रहकर संगठन को फिर से मजबूत करने की चुनौती है, वहां उनका अनुभव अहम साबित हो सकता है।
ऐसे आगामी दिनों में पार्टी से जुड़ी रणनीतियों में झारखंड को विशेष प्राथमिकता मिल सकती है। पिछले विधानसभा चुनाव में नितिन नबीन ने कई जिलों में दौरा कर कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाया था और केंद्रीय नेतृत्व का संदेश सीधे जमीनी स्तर तक पहुंचाया था।
उनकी शैली आक्रामक प्रचार के बजाय संगठन को एकजुट रखने और मुद्दों को स्पष्ट रूप से रखने पर केंद्रित रही है। यही कारण है कि राज्य भाजपा के कई नेता उन्हें संकट के समय का रणनीतिकार मानते हैं।
नितिन नबीन की नई जिम्मेदारी से झारखंड भाजपा और केंद्रीय नेतृत्व के बीच समन्वय और मजबूत होगा। इससे न सिर्फ संगठनात्मक फैसलों में तेजी आएगी, बल्कि राज्य की राजनीतिक जरूरतों को राष्ट्रीय मंच पर बेहतर तरीके से रखा जा सकेगा।

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