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    NTPC के अधिग्रहण क्षेत्र से विस्थापितों को हटाने के मामले में आया नया अपडेट, हाई कोर्ट के फैसले से रैयतों को राहत

    Updated: Wed, 13 Aug 2025 07:32 PM (IST)

    झारखंड हाई कोर्ट ने विस्थापितों को राहत प्रदान करते हुए अगले आदेश तक उन्हें घर खाली करने पर रोक लगी दी है। अदालत ने मामले में एनटीपीसी से जवाब मांगा है। वासुदेव साव सहित छह अन्य की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। नियमानुसार जमीन अधिग्रहण के दौरान कीमत पर समझौता किया जाता है।

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    विस्तापितों को आवास देने के मामले में कोर्ट ने एनटीपीसी से जवाब मांगा है।

    राज्य ब्यूरो, रांची । झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस राजेश कुमार की अदालत में हजारीबाग में एनटीपीसी की ओर से कोल परियोजना के विस्थापितों को बिना मुआवजा हटाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई।

    सुनवाई के बाद अदालत ने प्रार्थी को राहत प्रदान करते हुए अगले आदेश तक उन्हें घर खाली करने पर रोक लगी दी है। अदालत ने मामले में एनटीपीसी से जवाब मांगा है।

    वासुदेव साव सहित छह अन्य की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता श्रेष्ठ गौतम और हिमांशु हर्ष ने पक्ष रखा।

    उनकी ओर से अदालत को बताया कि कोल बेयरिंग एरिया एक्ट के अनुसार 2009 प्रार्थियों की जमीन का अधिग्रहण किया गया। लेकिन उन्हें अभी तक मुआवजा नहीं दिया गया। 

    न ही कंपनी की ओर से जमीन पर कब्जा लिया गया। अब कुछ दिनों पहले कंपनी की ओर से रैयतों को जमीन और घर खाली करने के लिए नोटिस दिया गया है।

    नियमानुसार जमीन अधिग्रहण के दौरान कीमत पर समझौता किया जाता है। वहीं, 2009 के रेट के आधार 2025 में जमीन खाली कराया जाना उचित नहीं है।

    विस्थापितों को 2025 के अनुसार मुआवजा मिलना चाहिए। कंपनी की ओर से उनकी जमीन पर कार्य किया जा रहा है, लेकिन घर से हटाने के पहले उन्हें पूरा मुआवजा मिलना चाहिए। 

    ताकि वे अपना भरण-पोषण कर पांए। बिना मुआवजा के हटाया जाना सही नहीं है। सुनवाई के बाद अदालत ने जिला प्रशासन और एनटीपीसी को प्रार्थियों के किसी भी घर को अगली सुनवाई तक हटाने या तोड़ने पर रोक लगा दी है। एनटीपीसी ने जुगरा, चेपाकला गांव में भूमि का अधिग्रहण किया है।

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    बोकारो में भी घर तोड़ने पर रोक

    झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस राजेश कुमार की अदालत में सीसीएल की ओर से रैयतों के घर हटाने के नोटिस के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई।

    सुनवाई के बाद अदालत ने अगले आदेश तक प्रार्थियों के घर हटाने पर रोक लगा दी है। अदालत ने मामले में सीसीएल से जवाब मांगा है। इसको लेकर वतन महतो ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है।

    सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता श्रेष्ठ गौतम और अधिवक्ता रिशू रंजन ने अदालत को बताया कि सीसीएल ने प्रार्थियों का 1984 में जमीन का अधिग्रहण किया था।

    बिना मुआवजा के ही अब उन्हें हटाया जा रहा है। उनकी ओर से वर्तमान समय के अनुसार मुआवजा देने के बाद ही हटाने की प्रक्रिया करने की मांग की गई। इसके बाद अदालत ने प्रार्थियों को हटाने पर रोक लगाते हुए सीसीएल से जवाब मांगा है।