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    विश्वविद्यालयों में नियुक्ति मामले में आया नया अपडेट, जानिए कोर्ट में जेपीएससी ने क्या दिया जवाब

    Updated: Thu, 25 Sep 2025 11:58 PM (IST)

    हाई कोर्ट में राज्य के विश्वविद्यालयों में शिक्षक और गैर शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने मामले में सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने सरकार से पूछा है कि गैर शैक्षणिक पद के रोस्टर क्लीयरेंस पर क्या निर्णय लिया गया है। मामले में अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को होगी।

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    विश्वविद्यालय में नियुक्ति के मामले में कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है।

    राज्य ब्यूरो, रांची । हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ में राज्य के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों और गैर शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई।

    सुनवाई के बाद अदालत ने मामले में सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने सरकार से पूछा है कि गैर शैक्षणिक पद के रोस्टर क्लीयरेंस पर क्या निर्णय लिया गया है। मामले में अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को होगी।

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    शुक्रवार को रांची विश्वविद्यालय की ओर से जवाब दाखिल कर बताया गया कि सरकार के पास रोस्टर क्लीयरेंस के डेढ वर्ष पहले ही भेजा गया है, लेकिन राज्य सरकार ने अभी तक रोस्टर क्लीयरेंस नहीं किया है। जिस कारण आयोग भी कुछ भी नहीं कर पा रहा है।

    जल्द निकाला जाएगा शिक्षक नियुक्ति का विज्ञापन- जेपीएससी

    इस पर अदालत ने राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। जेपीएससी की ओर से अदालत को बताया कि शिक्षकों की नियुक्ति की अधियाचना मिली है। जिस पर तैयारी पूरी कर ली गई है। जल्द ही नियुक्ति का विज्ञापन जारी कर दिया जाएगा।

    इस संबंध में अनिकेत ओहदार ने जनहित याचिका दाखिल की है। याचिका विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की संविदा पर नियुक्ति किए जाने का प्रार्थी ने विरोध किया है और स्थाई नियुक्ति करने का आग्रह अदालत से किया है।

    पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया था कि राज्य सरकार ने एक अधिसूचना निकाला थी। जिसके बाद विश्वविद्यालयों में शिक्षक एवं कर्मचारी की नियुक्ति संविदा पर ली जाने लगी है।

    कोर्ट ने जेपीएससी से पूछा था कि राज्य के विश्वविद्यालयों में पिछले वर्षों में लेक्चरर के पद के लिए कितनी परीक्षाएं ली गईं।

    पुल ध्वस्त होने के मामले में सरकार से मांगा जवाब

    हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ में राज्य के विभिन्न जिलों में पुल के ध्वस्त के मामले की जांच और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए दाखिल जनहित याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने सरकार से जवाब मांगा है।

    अदालत ने प्रतिवादी ग्रामीण विकास विभाग के तत्कालीन प्रभारी अभियंता प्रमुख वीरेंद्र राम को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

    मामले की अगली सुनवाई छह नवंबर को होगी। इस संबंध में पंकज कुमार यादव ने जनहित याचिका दाखिल की है।

    सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि राज्य के कई जिलों में लगातार पुल गिर रहे हैं। हाल ही में जामताड़ा जिले में चार पुल ध्वस्त हुए हैं।

    खूंटी में भी कई पुल टूटे हैं। सभी पुल ग्रामीण विकास विभाग ने बनाए थे और प्रभारी अभियंता प्रमुख वीरेंद्र राम थे। प्रार्थी की ओर से आरोप लगाया गया कि पुल निर्माण में गड़बड़ी की गई है।

    पुल की गुणवत्ता की जांच नहीं की गई। सुनवाई के बाद अदालत ने सरकार सहित सभी प्रतिवादियों को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।