जीएसटी की नई नीति से झारखंड को प्रतिवर्ष होगा दो हजार करोड़ का नुकसान, वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने किया आग्रह - केंद्र करे भरपाई
जीएसटी की नई नीति से झारखंड को प्रति वर्ष दो हजार करोड़ रुपये का नुकसान होगा। यह दावा करते हुए प्रदेश के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने केंद्र सरकार से नुकसान की भरपाई की मांग की है। कहा कि जीएसटी की संशोधित नीति से झारखंड के आटोमोबाइल सीमेंट तथा अन्य उत्पादन क्षेत्रों में करीब 2000 करोड़ रुपये की राजस्व क्षति होना अनुमानित है।

राज्य ब्यूरो, रांची । माल और सेवा कर (जीएसटी) की नई नीति से झारखंड को प्रति वर्ष दो हजार करोड़ रुपये का नुकसान होगा।
यह दावा करते हुए प्रदेश के वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर ने केंद्र सरकार से नुकसान की भरपाई की मांग की है। झारखंड को कम से कम दो हजार करोड़ रुपये प्रति वर्ष मुहैया कराने का आग्रह किया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में आयोजित जीएसटी काउंसिल की बैठक में प्रदेश के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने कहा कि जीएसटी की संशोधित नीति से झारखंड के आटोमोबाइल, सीमेंट तथा अन्य उत्पादन क्षेत्रों में करीब 2,000 करोड़ रुपये की राजस्व क्षति होना अनुमानित है।
किशोर ने कहा कि झारखंड एक मैन्युफैक्चरिंग राज्य है इस नीति से राज्य के आंतरिक राजस्व संग्रहण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
झारखंड में प्रति व्यक्ति आय प्रति वर्ष 1.05 लाख रुपये है। लोगों की क्रय शक्ति कमजोर होने के कारण यह प्रदेश उपभोक्ता राज्य की श्रेणी में नहीं आता है। इस कारणवश झारखंड को जीएसटी लागू होने से नुकसान हुआ है।
2017 से 2024-25 तक लगभग 16,408 करोड़ रुपये की राजस्व क्षति हुई है और 2029 तक करीब 61,670 करोड़ रुपये की क्षति होगी।
किशोर ने कहा कि झारखंड राज्य से कोयला और स्टील उत्पादन का लगभग 75-80 प्रतिशत खपत राज्य के बाहर होता है। इस प्रकार जीएसटी का लाभ उपभोक्ता वाले राज्यों को हो रहा है।
2017 से 2022 के बीच पांच वर्ष पूरा हो जाने के बाद जीएसटी मुआवजा योजना बंद कर दी गई है। पांच वर्षों तक मुआवजा राशि से राज्य आर्थिक रूप से सुदृढ़ नहीं हो पाया है।
यहां की ग्रामीण अर्थव्यवस्था अत्यंत ही कमजोर है। कृषि योग्य भूमि के विरुद्ध मात्र 22 प्रतिशत खेतों में ही सिंचाई की सुविधा उपलब्ध है।
पर्यटन के क्षेत्र में विकास की अपार संभावनाओं के बावजूद आर्थिक कमी के कारण झारखंड लक्ष्य तक नहीं पहुंच पा रहा है।
मानव संसाधन का अभाव बना हुआ है, उग्रवाद प्रभावित राज्य होने के कारण स्वास्थ्य के क्षेत्र में राज्य को अभी बहुत कार्य करना है।
झारखंड की यह सुविचारित अनुशंसा है कि दरों को युक्तिसंगत बनाने के लिए एक मजबूत राजस्व संरक्षण ढांचा, सिन और लक्जरी की वस्तुओं पर एक पूरक शुल्क और एक गारंटीकृत कंपेनसेशन की व्यवस्था होनी चाहिए।
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