Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    New Criminal Laws: नए कानून के मुताबिक हर हाल में मानना होगा पुलिस का ये आदेश, उल्लंघन करने पर गिरफ्तारी का भी नियम

    Updated: Tue, 02 Jul 2024 12:43 AM (IST)

    1 जुलाई यानी बीते सोमवार से पूरे देश में तीन नए कानून भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) भारतीय न्याय संहिता (भारतीय न्याय संहिता) व भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) लागू होने के बाद कई बदलाव किए गए हैं। ऐसे में अगर पुलिस किसी व्यक्ति को विधिपूर्वक आदेश देती है तो उसे उस व्यक्ति को हर हाल में ये आदेश मानना होगा। अथवा पुलिस उस व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है।

    Hero Image
    01 जुलाई से देश में लागू हुए तीन नए आपराधिक कानून

    राज्य ब्यूरो, रांची। पूरे देश में सोमवार से तीन नए कानून भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), भारतीय न्याय संहिता (भारतीय न्याय संहिता) व भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) लागू हो गया है। नए कानून में कई नए बदलाव किए गए हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कुछ अपराधों में सख्ती तो कहीं न्याय की लंबी प्रक्रिया को छोटा किया गया है। इन्हीं कानूनों में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 172 भी है।

    इसके तहत पुलिस अगर किसी व्यक्ति को विधिपूर्वक आदेश देती है तो उसे उस व्यक्ति को हर हाल में मानना होगा। अगर वह उस आदेश को नहीं मानता है तो पुलिस इस कानून के तहत उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है।

    बीएनएसएस की धारा 107 में क्या है प्राविधान?

    इसी प्रकार बीएनएसएस की धारा 107 में यह प्रविधान है कि अनुसंधानकर्ता को अनुसंधान में यह पता चलता है कि आपराधिक कृत्य से उस अपराधी ने संपत्ति अर्जित की है। इसके बाद वह अनुसंधानकर्ता एसपी से अनुमति लेकर न्यायालय को लिखेगा कि उक्त संपत्ति आपराधिक कृत्य से अर्जित की गई है।

    न्यायालय आरोपित को अपना पक्ष रखने का मौका देगा। आरोपित के तर्क से न्यायालय अगर संतुष्ट नहीं हुआ तो न्यायालय सरकार को आदेश देगा कि उक्त संपत्ति जब्त कर पीड़ितों में बांट दी जाए। अगर पीड़ित स्पष्ट नहीं हैं तो सरकार उसे सरकारी संपत्ति के रूप में जब्त कर लेगी।

    बीएनएसएस की धारा 105 में यह प्रविधान है कि किसी भी संपत्ति की जब्ती आडियो-वीडियो के साथ होगी। पुलिस अपने ढंग से कोई भी जब्ती नहीं करेगी। इलेक्ट्रानिक साक्ष्य का होना अनिवार्य होगा। इससे यह होगा कि पुलिस ज्यादती या फर्जीवाड़ा नहीं कर पाएगी।

    बीएनएसएस की धारा 173 (1) में ई-एफआइआर को परिभाषित किया गया है। इसके तहत ई-एफआइआर करने वाले को 72 घंटे के भीतर अपना बयान देना होगा। पुलिस पीड़ित का बयान लेगी। इसके बाद ही यानी 72 घंटे के भीतर ई-एफआइआर सामान्य प्राथमिकी में तब्दील होगा। अगर 72 घंटे के भीतर ई-एफआइआर कराने वाले का पता नहीं चलता है और उनका बयान नहीं होता है तो वह ई-एफआइआर स्वत: रद हो जाएगा।

    जानें कुछ प्रमुख नई धाराएं

    विषय- पहले आईपीसी, अब बीएनएस

    हत्या की सजा- 302, 103

    दहेज हत्या के लिए सजा- 304बी, 80

    लूट मामला- 392, 309

    चोरी की सजा- 379, 303

    हत्या का प्रयास- 307, 109

    दुष्कर्म की सजा- 376, 64

    धोखाधड़ी के लिए सजा- 420, 318

    पति द्वारा क्रूरता की शिकार- 498ए, 85

    आपराधिक षड्यंत्र-120बी, 61

    जान मारने की धमकी- 506, 351

    छेड़खानी- 354, 74

    दूसरी शादी करना- 494, 82

    नाबालिग का अपहरण- 363, 139

    आत्महत्या के लिए उकसाना- 306, 139

    लज्जा भंग करना- 509, 79

    सरकारी सेवकों को धमकाना- 353, 121

    भ्रूण हत्या- 315, 91

    रंगदारी- 38, 308

    डकैती के दौरान हत्या- 396, 310 (3)

    विषय- पहले सीआरपीसी, अब बीएनएसएस

    कार्यकारी मजिस्ट्रेट द्वारा

    आदेश जारी करने की शक्ति- 144, 163

    संज्ञेय अपराध रोकने के लिए गिरफ्तारी- 151, 170

    प्राथमिकी- 154, 173

    अंतिम रिपोर्ट- 173, 193

    बदल गया अंग्रेजों के जमाने का कानून

    सोमवार से देशभर में अंग्रेजों के जमाने का कानून बदल गया है। इंडियन पैनल कोड यानी भारतीय दंड संहिता 1860 में लागू हुआ था। इसके बाद इसमें समय-समय पर संशोधन भी हुआ और 30 जून 2024 तक यही कानून अस्तित्व में रहा।

    एक जुलाई 2024 से यह इंडियन पैनल कोड पूरे बदलाव के साथ भारतीय न्याय संहिता 2023 के रूप में पूरे देश में लागू हुआ है। दरअसल इंडियन पैनल कोड ब्रिटिश शासक लार्ड थोमस बैबिंगटन मैकाले ने 1834 में अस्तित्व में लाया था, जिसे देशभर में 1860 में लागू किया गया था।

    इसी तरह भारतीय साक्ष्य अधिनियम यानी इंडियन एविडेंस एक्ट (आइइए) 1872 में ब्रिटिश संसद ने पारित किया था। इसमें भी समय-समय पर बहुत संशोधन हो चुके हैं। अब इसके स्थान पर भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) हो गया है।

    बीएसए में साक्ष्य संकलन को वृहद रूप से परिभाषित किया गया है। इलेक्ट्रानिक साक्ष्य जैसे आडियो-वीडियो साक्ष्य को भी कानून में शामिल किया गया है। वाट्सएप व इलेक्ट्रानिक माध्यम से समन, नोटिस तामिला मान्य करार दिया गया है।

    1973 में बना था सीआरपीसी

    सीआरपीसी यानी कोड आफ क्रिमिनल प्रोसिजर को हिंदी में दंड प्रक्रिया संहिता भी कहते हैं। यह कानून 1973 में पारित हुआ था और अगले वर्ष यानी 1974 में अस्तित्व में आया था। अब यह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) 2023 के नाम से जाना जाएगा।

    इसमें आम नागरिक से लेकर पुलिस तक को विशेष अधिकार प्राप्त है। पुलिस किसी को अनावश्यक प्रताड़ित नहीं कर पाएगी और आम जनता भी पुलिस को मिले विशेष अधिकार की अवहेलना नहीं कर पाएगी।

    ये भी पढे़ं-

    New Criminal Laws: तीन नए कानूनों को लेकर जागरूकता अभियान शुरू, जेल में बंद कैदियों को दी गई जानकारी

    New Criminal Laws: तीन नए कानूनों को लेकर जागरूकता अभियान शुरू, जेल में बंद कैदियों को दी गई जानकारी