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    NEET Exam 2022: नीट परीक्षा देने जाने से पहले ध्यान दें परीक्षार्थी... क्या है इस साल का ड्रेस कोड

    NEET Exam 2022 मेडिलक कालेजों में प्रवेश के लिए 17 जुलाई को नीट की परीक्षा आयोजित की जा रही है। नीट परीक्षा के लिए इस बार भी ड्रेस कोड लागू किया गया है। जान लीजिए क्या पहनकर जा सकते है क्या नहीं...

    By Sanjay KumarEdited By: Updated: Mon, 11 Jul 2022 01:26 PM (IST)
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    NEET Exam 2022: 17 जुलाई को नीट की परीक्षा।

    रांची, जासं। NEET Exam 2022 मेडिलक कालेजों में प्रवेश के लिए 17 जुलाई को नीट की परीक्षा आयोजित की जा रही है। कदाचार मुक्त परीक्षा को लेकर रांची जिला प्रशासन द्वारा तैयारी पूरी कर ली गई है। 8000 परीक्षार्थी दो शिफ्ट में परीक्षा देंगे। परीक्षा दोपहर 2:00 बजे से शाम 5:30 बजे तक संचालित होगी। परीक्षा के लिए इस बार भी ड्रेस कोड लागू किया गया है। परीक्षार्थी किसी भी परीक्षा केंद्र में जूते और ऊंची हील के सैंडल पहन कर नहीं जा सकते हैं। परीक्षार्थी चप्पल पहन कर ही परीक्षा केंद्र में प्रवेश करेंगे। फुल स्लीव के कपड़ों पर भी रोक लगाई गई है। परीक्षा केंद्र में आधी बाजू के हल्के कपड़े पहनने का निर्देश जारी किया गया है।

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    रांची में बनाए गये 10 केंद्र

    परीक्षा को लेकर रांची में 10 केंद्र बनाए गये हैं। इनमें डीपीएस, ब्रिजफोर्ड पब्लिक स्कूल, डीएवी हेहल, डीएवी कपिलदेव, विवेकानंद विद्या मंदिर, लोयला कॉन्वेंट, आर्मी स्कूल, डीएवी बरियातू, टेंडर हार्ट और कैंब्रिज पब्लिक स्कूल शामिल है।

    दो शिफ्ट में होगी परीक्षा, इन समानों को ले जाना वर्जित

    नीट की परीक्षा दो शिफ्ट में होगी। वहीं इस परीक्षा के दौरान किसी भी तरीके के मोबाइल फोन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक गेजेट्स ले जाने पर भी पाबंदी है। ब्लूटूथ कैमरा, पेंसिल बॉक्स, केलकुलेटर, नोटबुक सहित कई चीजें ले जाने की मनाही है। परीक्षा केंद्र में ही उम्मीदवारों को पेन उपलब्ध कराई जाएगी। परीक्षार्थी को केवल अपने साथ एडमिट कार्ड, पासपोर्ट साइज फोटो लाना अनिवार्य है।

    Ranchi University: अब खगोलीय ग्रह विज्ञान और वास्तु परीक्षण की बारीकी सीखेंगे छात्र...

    रांची यूनिवर्सिटी के ज्योतिर्विज्ञान संस्कृत विभाग में वास्तुविज्ञान, प्रायोगिक पक्ष (साम्प्रतिक परिप्रेक्ष्य)...विषय पर एकदिवसीय राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन दो सत्रों में किया गया। आरयू के कुलपति प्रो अजीत कुमार सिन्हा ने संस्कृत विभाग के द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि संस्कृत और ज्योतिर्विज्ञान विभाग के द्वारा आयोजित यह संगोष्ठी निश्चित रूप से विभाग के साथ-साथ आरयू की गरिमा को बढ़ाएगी। नैक के मूल्यांकन में इस तरह के कार्य महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे। वास्तु की प्रक्रिया बहुत ही प्राचीन व पुरातन है।

    वहीं मुख्य अतिथि पूर्व कुलपति प्रो रमेश कुमार पांडेय ने कहा कि मनुष्य अपने जीवन को व्यवस्थित करने के लिए और शुचिता पूर्ण जीवन व्यतीत करने के लिए यदि वास्तु में बताए गए नियमों का पालन करें और उसके अनुकूल चलने का प्रयत्न करें तो उसको कई प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिल सकती है। मानव जीवन का वास्तविक लक्ष्य भी यही है।

    अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलन व मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व शंखध्वनि के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की। इसके बाद अतिथियों द्वारा ज्योतिर्विज्ञान विभाग के नए यंत्रशाला का उदघाटन किया गया। यंत्रशाला में रत्न परीक्षण से संबंधित विभिन्न प्रकार के आधुनिक उपकरण, खगोलीय ग्रह विज्ञान के लिए आधुनिक टेलिस्कोप एवं वास्तु परीक्षण के लिए आधुनिक यंत्रों की व्यवस्था की गई है। जिसका लाभ यहां के छात्र छात्राओं को मिलेगा।

    भूमि व भवन निर्माण के लिए एक पूर्व योजना हो तैयार

    विषय की जानकारी देते डा प्रकाश सिंह ने कहा कि वास्तु हमारे जीवन का महत्वपूर्ण अंग है एवं वास्तु को प्लानिंग कहा जा सकता है। वास्तु से आशय है भूमि व भवन निर्माण के लिए एक पूर्व योजना का निर्माण करना...। जिसके द्वारा मनुष्य को शांति व समृद्धि की प्राप्त हो सकती है।

    श्री जगन्नाथ विश्वविद्यालय पुरी के श्रीनिवास पंडा ने कहा कि वास्तु पूरी तरह से विज्ञानी पद्धति है। विज्ञान की कसौटी पर पूरी तरह से खरा उतरता है। वस्तु को अविज्ञानी कहने वाले वास्तु के विविध पक्षों को न जानने के कारण ही ऐसा बोलते हैं, यदि वास्तु के विविध पक्षों को हम समझ लेंगे तो हमें वास्तु की विज्ञानिकता में कोई संदेह नहीं रह जाएगा।

    विशिष्ट अतिथि संस्कृत विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो चंद्रकांत शुक्ला ने वास्तु की आवश्यकताओं एवं महत्व के साथ-साथ वास्तु की प्रासंगिकता के बारे कहा कि वास्तु आज के युग की बहुत बड़ी आवश्यकता है। बहुत बड़े-बड़े भूमि भवन जो भूकंपरोधी बनाए जाते हैं उनमें वास्तु का बहुत बड़ा योगदान होता है।

    विनोद बिहारी कोयलांचल विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सुखदेव भोई ने कहा संस्कृत साहित्य का भंडार उसकी प्राचीनता के साथ-साथ अनुसंधान की विविध संभावनाओं को उत्पन्न करना वास्तु की एक योजना है। जो मानव को उसके रचनात्मक कार्यों की ओर सकारात्मक दिशा में प्रवृत्त करता है।

    70 से अधिक प्रतिभागियों ने शोध पत्र का वाचन किया

    पहले सत्र का मंच संचालन शोध छात्र जगदम्बा प्रसाद सिंह तथा धन्यवाद ज्ञापन विभागीय शिक्षिका डा उषा टोप्पो के द्वारा किया गया। संगोष्ठी में 70 से अधिक प्रतिभागियों ने शोध पत्र का वाचन किया। शोध पत्र वाचन के बाद संगोष्ठी का समापन समारोह आयोजित किया गया। जिसमें सभी अतिथियों को शाल और प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। स्वागत भाषण विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष डा मधुलिका वर्मा ने किया। सचिव प्रतिवेदन पूर्ववर्ती छात्र संघ के सचिव डा प्रकाश सिंह ने किया। उन्होंने संगोष्ठी में आए सभी अतिथियों तथा प्रतिभागियों व गुरुजनों के समक्ष संगोष्ठी के उद्देश्य की जानकारी दी।

    वहीं समापन समारोह की मुख्य अतिथि प्रति कुलपति प्रोफेसर डा कामिनी कुमार ने कहा कि पहले के समय वास्तु मंदिरों व भवनों तक सीमित था पर अब जन सामान्य तक पहुंच चुका है। उन्होंने कहा कि घर के चारों तरफ बड़े बड़े वृक्ष नहीं लगाने चाहिए क्योंकि वृक्ष होने से घरों में धूप व प्रकाश पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंचता है। वास्तु के नियमों का पालन अनावश्यक बीमारियों से बचाता है जिससे धन व समय की बचत होती है।

    वास्तुकला मनुष्य के जीवन का आवश्यक अंग

    समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए मानविकी संकाय के संकायाध्यक्ष प्रो गौरीशंकर झा ने वास्तु में गुरुत्वाकर्षण तथा चुम्बकीय शक्तियों के प्रभाव व महत्व की जानकारी दी। कहा कि वास्तुकला मनुष्य के जीवन का आवश्यक अंग है। कार्यक्रम में मंच संचालन एसके घोषाल तथा धन्यवाद ज्ञापन डा चंद्रशेखर मिश्र ने किया।

    इस अवसर पर पूर्व विभागाध्यक्ष डा मीना शुक्ला, डा भारती द्विवेदी, डा हिमावती बिन्हा, डा सविता उरांव, सिद्धार्थ प्रकाश, डा मंजू सिंह, डा पम्पा सेन विश्वास, डा धीरेंद्र दुबे आदि उपस्थित रहे। समापन सत्र में सत्र 2019-20 व 21 के टापर्स को सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम के दौरान वैदिक मंगलाचरण माधवी राजपूत तथा स्वागत गीत की प्रस्तुति विभागीय छात्राएं अनुपमा, पूर्वा, ऋचा व प्रिया के द्वारा की गई। सभी अतिथियों का वाचिक स्वागत विभाग की अध्यक्ष प्रो अर्चना कुमारी दुबे के द्वारा किया गया।