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    NEET 2025: टीवी रिपेयरिंग मैकेनिक का बेटा हिमांशु बना स्टेट टॉपर, बोले- मूवी देखे हो गए दो साल

    Updated: Sat, 14 Jun 2025 10:17 PM (IST)

    रांची के हिमांशु कुमार ने नीट 2025 में ऑल इंडिया रैंक 134 लाकर झारखंड में टॉप किया है। विपरीत परिस्थितियों और पिता के खराब स्वास्थ्य के बावजूद उन्होंने कड़ी मेहनत की। हिमांशु अब दिल्ली एम्स में दाखिला लेकर कार्डियोलॉजिस्ट बनना चाहते हैं और अपने परिवार को आर्थिक रूप से मजबूत करना चाहते हैं।

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    टीवी रिपेयरिंग मैकेनिक का बेटा हिमांशु बना स्टेट टॉपर। (जागरण)

    जागरण संवाददाता, रांची। NEET 2025 Topper: सच्ची लगन और परिश्रम का सही तरीके से समावेश हो तो हर मंजिल आसान हो जाती है। कुछ इसी तर्ज पर अपनी पढ़ाई करने वाले रांची के हिमांशु कुमार ने नीट 2025 में सफलता पाई है।

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    ऑल इंडिया रैंक 134 लाकर हिमांशु झारखंड स्टेट टॉपर बने हैं। पिछले दो वर्षों से रांची में रहकर हिमांशु पूरी शिद्दत से मेडिकल परीक्षा की तैयारी में जुटे रहे। उनकी मेहनत रंग लाई और यह सफलता मिली है।

    विशेष बातचीत के क्रम में उन्होंने बताया मेरे और मेरे स्वजनों के लिए यह बहुत ही गौरव का क्षण है। मेरे पिताजी को पिछले वर्ष ट्यूमर हो गया था, जिसका हैदराबाद में ऑपरेशन भी हुआ और वर्तमान में भी अस्वस्थ ही हैं।

    वह एक मोबाइल व टीवी रिपेयरिंग शॉप चलाते हैं। घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है लेकिन उनका सपना है कि उनका बेटा मेडिकल के क्षेत्र में एक मुकाम पाए। पिता के सपने को पंख देने के उद्देश्य से हिमांशु 2 वर्षों से रांची में रह कर मेडिकल की तैयारी करते रहे और आज परिणाम सबके सामने है।

    हिमांशु कहते हैं कि इस परीक्षा में सफलता प्राप्त करना उनका लक्ष्य था और सफल भी हुए। अब दूसरा लक्ष्य अपने परिवार को संघर्ष की स्थिति से बाहर निकालने की है।

    उन्होंने कहा कि पिता की आर्थिक स्थिति और संघर्ष को देखकर हमने काफी कुछ सीखा है। पिता को परिश्रम करता देख बहुत पीड़ा होती है लेकिन अब और मेहनत करके सब कुछ सामान्य करने की कोशिश करूंगा। मेरी मां गृहणी हैं और मेरे पीछे उन्होंने बहुत त्याग किया है।

    मैं प्रतिदिन 10 से 11 घंटे की पढ़ाई पिछले 2 वर्षों से करता रहा, सिलेबस को पूरा करने के साथ साथ मॉक टेस्ट से भी बहुत कुछ सीखने को मिला और आत्मविश्वास बढ़ा। सुबह 7 बजे उठ कर रीविजन करता फिर रात में 12 बजे तक पढ़ाई होती रही।

    इंटरनेट मीडिया से दूरी बना कर रखा लेकिन, कोचिंग के व्हाट्सएप ग्रुप में जो नोट्स मिलता था उसे अपलोड कर लेता था। हमारे कोचिंग ब्रदर्स एकेडमी के शिक्षक बहुत ही मददगार साबित हुए। वहां के फैकल्टी ने काफी मदद की, हरेक विषय मसलन फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी का नोट्स देते थे और मैं नोट्स को बार-बार दोहराता रहा।

    बायोलॉजी के लिए मैंने सिर्फ एनसीईआरटी की किताबें पढ़ी व एनसीईआरटी को मैं परीक्षा से पूर्व 25 से 30 बार दोहरा चुका था। इसके अलावे कोचिंग से जो भी नोट्स मिलते थे उसकी पढ़ाई करता रहा।

    बता दें कि हिमांशु ने दसवीं डीएवी सोरिया गिरिडीह से जबकि विष्णुगढ़ इंटर कॉलेज से 12वीं की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने पहले प्रयास में ही नीट की परीक्षा पास की। दीवार पर नोटस चस्पा कर पढ़ाई करते थे ताकि फार्मूला और बुनियादी चीजें आसानी से याद रह पाए।

    पिता ओमप्रकाश और माता सुनीता देवी अपने पुत्र की सफलता पर बेहद प्रसन्न हैं। अपनी तैयारी को ले हिमांशु ने कहा कि अगर एनसीईआरटी की किताब से कुछ छूटता था तो नोट्स से पूरा कर लेता था। अधिक किताब पढ़ने से अच्छा मैं कोचिंग के नोट्स और एनसीईआरटी की किताब पर फोक्स्ड रहा।

    अपने स्वजनों के बारे उन्होंने कहा कि मेरा बड़ा भाई भी पिछले वर्ष आईआईटी की परीक्षा पास की और वर्तमान में आईआईटी खड़गपुर में केमिकल ब्रांच में इंजीनियरिंग कर रहे हैं।

    वहीं, एक बड़ी बहन है जो रांची के वीमेंस कॉलेज से बीसीए कर रही हैं। हम सभी भाई बहनों का एक ही उद्देश्य है कि परिवार को इस स्थिति से बाहर निकालना है इसलिए हम तीनों भाई बहन मन लगाकर पढ़ाई करते हैं।

    पिछले 2 वर्षों से नहीं देखी मूवी 

    हिमांशु ने कहा कि पिछले दो वर्षों से मैंने एक फिल्म भी नहीं देखी है। सिर्फ बड़ा दिन का या दुर्गा पूजा की छुट्टी होती तो दो-तीन दिनों के लिए एक बार घर आता था और इस दौरान अगर एक-दो फिल्म देख ली तो देख ली, नहीं तो तैयारी के दौरान कोई भी मूवी नहीं देखी।

    पढ़ाई के दौरान समय ही नहीं मिल पाता था। हिमांशु ने कहा मैं जिस हॉस्टल में था वहां पर पढ़ने वाले बच्चे थे, सब मौज मस्ती करते थे, ऐसे में मेरे लिए अच्छी पढ़ाई बड़ी चुनौती थी। मुझे पता था यह भटकाव है और मुझे अपने लक्ष्य से नहीं भटकना है।

    हिमांशु ने कहा कि वह हरेक विषय को बराबर समय देते थे। अब दिल्ली एम्स में नामांकन कराकर आगे की पढ़ाई करनी है। उच्च शिक्षा प्राप्त कर कॉर्डियोलाजिस्ट बनना है। सरकारी कॉलेज में फीस कम लगेगा और परिवार पर आर्थिक बोझ नहीं पड़ेगा।