National Nutrition Week 2022: झारखंड में बड़ी संख्या में बच्चे कुपोषण के शिकार, देखें ये रिपोर्ट
National Nutrition Week 2022 झारखंड में अभी भी बड़ी संख्या में बच्चे कुपोषण से ग्रसित हैं। जिसके कारण बच्चों के विकास प्रभावित होने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 की रिपोर्ट देखें...

रांची, राज्य ब्यूरो। National Nutrition Week 2022 हमारे नौनिहाल स्वस्थ होंगे तभी उनका शारीरिक और मानसिक विकास होगा। लेकिन, झारखंड में जब अभी भी बड़ी संख्या में बच्चे कुपोषण से ग्रसित हैं तो उनका विकास प्रभावित होने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। स्थिति यह है कि झारखंड में स्वास्थ्य विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा कई कार्यक्रम चलाए जाने के बाद भी यहां कुपोषण की समस्या बनी हुई है। भले ही इसमें कुछ सुधार हुआ है लेकिन आंकड़े अभी भी चिंताजनक हैं।
राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 की रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में अभी भी 39.4 प्रतिशत बच्चे (पांच वर्ष तक के) आयु के अनुसार कम वजन के हैं। इस आयु वर्ग के 22.4 प्रतिशत बच्चे अपनी आयु के अनुसार लंबाई में नाटे हैं। यह एक तरह की कुपोषण की ही स्थिति है। लगभग नौ प्रतिशत बच्चे गंभीर रूप से कुपोषण से ग्रसित हैं, जिनका उपचार आवश्यक है। कुपोषण की अधिक समस्या ग्रामीण क्षेत्रों में है। निश्चित रूप से गरीबी, अशिक्षा तथा पोषण से संबंधित आदतें एवं व्यवहार को लेकर समझ का अभाव इसके लिए जिम्मेदार है। झारखंड में बाल विवाह भी एक समस्या है, जो भी इसके लिए जिम्मेदार माना जाता है।
1000 दिनों का शुरू हुआ है समर अभियान
झारखंड सरकार ने कुपोषण और एनीमिया के खिलाफ 1000 दिनों का समर यानी स्ट्रैटेजिक एक्शन फार एलिवेशन आफ माल न्यूट्रिशन एंड एनीमिया रिडक्शन महाअभियान शुरू किया है। फिलहाल यह पायलट प्रोजेक्ट के रूप में पांच जिलों लातेहार, पश्चिम सिंहभूम, चतरा, सिमडेगा और साहिबगंज में चलाया जा रहा है। इस अभियान का उद्देश्य पर्याप्त और पौष्टिक भोजन प्राप्त करनेवाले बच्चों की संख्या में वृद्धि करना तथा गर्भावस्था के दौरान मातृ-शिशु मृत्यु और मातृ व बाल स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं को कम करना है। जो बच्चा अत्यंत कुपोषित पाया जायेगा, उसे तत्काल उपचार केंद्रों में पहुंचाया जाएगा। कुपोषण और एनीमिया पीड़ित महिलाओं-बच्चों के ब्योरे एक एप में डाले जाएंगे तथा उनकी मानिटरिंग की जाएगी।
ऐसे दूर कर सकते हैं समस्या
विशेषज्ञों के अनुसार, महत्वपूर्ण संकेतकों जैसे कि स्तनपान, पूरक आहार तथा गर्भावस्था के दौरान पोषण एवं आहार की व्यवस्था को सुदृढ़ एवं बेहतर बनाया जाए तो कुपोषण की समस्या दूर की जा सकती है। बच्चों को सही प्रकार का पूरक आहार देना, अति कुपोषित बच्चों को चिह्नित कर उनका उपचार एवं आहार की व्यवस्था करना तथा सभी गर्भवती माताओं के लिए भी उचित आहार एवं आयरन फोलिक एसिड गोली की व्यवस्था एवं सेवन सुनिश्चित करना आवश्यक है। बच्चों के आहार को लेकर माता-पिता के बीच जागरूकता लाने तथा उनके व्यवहार में बदलाव लाने की भी दिशा में काम होना चाहिए।
झारखंड में यह है पांच वर्ष तक के आयु वर्ग के बच्चों में कुपोषण की स्थिति (आंकड़े प्रतिशत में)
- मापदंड - शहरी - ग्रामीण - कुल
- आयु के अनुसार कम लंबाई के - 26.8 - 42.3 - 39.6
- लंबाई के अनुसार कम वजन के - 23.0 - 22.3 - 22.4
- लंबाई के अनुसार गंभीर रूप से कम वजन के - 10.7 - 8.8 - 9.1
- आयु के अनुसार कम वजन के - 30.0 - 41.4 - 39.4
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