National Education Policy: झारखंड में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर तैयारी शुरु... क्या है नई नीति, क्या होगा बदलाव, जानिए...
National Education Policy 2020 राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को लेकर झारखंड में इस नए नीति के लिए रोडमैप तैयार किया जा रहा है। समिति की रिपोर्ट के बाद पूरे झारखंड में एक साथ नई शिक्षा नीति लागू की जाएगी। क्या है नई नीति क्या होगा बदलाव जानिए...
रांची, (कुमार गौरव)। National Education Policy 2020 राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को अमल में लाने के साथ ही पूरे देश में शैक्षणिक माहौल बदल जाएगा। झारखंड में इस नीति के लिए रोडमैप तैयार किया जा रहा है। सही तरीके से लागू करने के लिए 15 सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। जिसके संयोजक बीआइटी मेसरा के कुलपति डा इंद्रनील मन्ना बनाए गए हैं। वहीं रांची यूनिवर्सिटी की कुलपति डा कामिनी कुमार को सह संयोजक बनाया गया है। समिति की रिपोर्ट के बाद पूरे झारखंड में एक साथ नई शिक्षा नीति लागू की जाएगी।
नई शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा को चार हिस्सों में बांटा गया
बता दें कि उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के अवर सचिव ने भी इस समिति को ससमय रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। नई शिक्षा नीति में नर्सरी से लेकर उच्च शिक्षा तक कई अहम बदलाव किए गए हैं। हर छात्र का एकेडमिक क्रेडिट बैंक में कोर्स अनुसार क्रेडिट जमा किया जाएगा जो कि यह बताएगा कि किस छात्र का किस कोर्स में कितना क्रेडिट हो गया है और कितना क्रेडिट अभी पढ़ना बाकी है। छोटे छोटे बच्चों की उम्र सीमा भी तय की गई है। नई शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा को चार हिस्सों में बांटा गया है।
समिति में इन्हें किया गया शामिल
- डा इंद्रनील मन्ना, कुलपति बीआइटी मेसरा, संयोजक
- डा कामिनी कुमार, कुलपति रांची यूनिवर्सिटी, सह संयोजक
- डा विजय कुमार सिंह,
- डा विजय पांडेय,
- डा पीपी चट्टोपाध्याय,
- डा मनोज कुमार,
- डा सिस्टर ज्योति,
- डा फा. नबोर लकड़ा,
- डा आरके शर्मा,
- डा राजेश कुमार सिंह,
- डा शंभु दयाल सिंह,
- डा विभा पांडेय,
- डा हेमेंद्र कुमार भगत
इनके अलावे उच्च शिक्षा निदेशालय, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के निदेशक और तकनीकी शिक्षा निदेशालय, उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के निदेशक को बतौर समिति सदस्य शामिल किया गया है।
नई शिक्षा नीति की ये हैं खास बातें...
- 10वीं बोर्ड खत्म, केवल 12वीं क्लास में होगा बोर्ड
- एम-फिल होगा बंद, कालेज की डिग्री 4 साल की
- अब पांचवीं तक के छात्रों को मातृभाषा, स्थानीय भाषा और राष्ट्रभाषा में ही पढ़ाया जाएगा। बाकी विषय चाहे वो अंग्रेजी ही क्यों न हो, एक सब्जेक्ट के तौर पर पढ़ाया जाएगा।
- पहले 10वीं बोर्ड की परीक्षा देना अनिवार्य होता था, जो अब नहीं होगा।
- नौवींं से 12वींं क्लास तक सेमेस्टर में परीक्षा होगी।
- स्कूली शिक्षा को 5+3+3+4 फार्मूले के तहत पढ़ाया जाएगा।
- वहीं कालेज की डिग्री 3 और 4 साल की होगी। यानी ग्रेजुएशन के पहले साल पर सर्टिफिकेट, दूसरे साल पर डिप्लोमा, तीसरे साल में डिग्री मिलेगी।
- 3 साल की डिग्री उन छात्रों के लिए है जिन्हें हायर एजुकेशन नहीं लेना है। वहीं हायर एजुकेशन करने वाले छात्रों को 4 साल की डिग्री करनी होगी। 4 साल की डिग्री करने वाले स्टूडेंट्स एक साल में एमए कर सकेंगे।
- एमए के छात्र अब सीधे पीएचडी कर सकेंगे।
- स्टूडेंट्स बीच में भी कर सकेंगे दूसरे कोर्स।
- हायर एजुकेशन में 2035 तक ग्रास एनरोलमेंट रेशियो 50 प्रतिशत हो जाएगा।
- वहीं नई शिक्षा नीति के तहत कोई छात्र एक कोर्स के बीच में अगर कोई दूसरा कोर्स करना चाहे तो पहले कोर्स से सीमित समय के लिए ब्रेक लेकर वो दूसरा कोर्स कर सकता है।
- हायर एजुकेशन में भी कई सुधार किए गए हैं।
- सुधारों में ग्रेडेड एकेडमिक, एडमिनिस्ट्रेटिव और फाइनेंशियल आटोनामी आदि शामिल हैं।
- इसके अलावा क्षेत्रीय भाषाओं में ई-कोर्स शुरू किए जाएंगे।
- वर्चुअल लैब विकसित किए जाएंगे।
- एक नेशनल एजुकेशनल साइंटफिक फोरम (एनइटीएफ) शुरू किया जाएगा।
- सरकारी, निजी, डीम्ड सभी संस्थानों के लिए समान नियम होंगे।
लागू होने के बाद भारतीय शिक्षा में बहुत सुधार हो सकता है: हाइस्कूल के उप प्राचार्य
रांची निर्मला कान्वेंट हाइस्कूल के उप प्राचार्य विमलेश अवस्थी का कहना है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति की घोषणा हो चुकी है। जिसका मुख्य उद्देश्य भारतीय शिक्षा प्रणाली को बेहतर बनाना है और विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास करना है। इस नीति के तहत 5+3+3+4 के फार्मूले पर बल दिया गया है। जिसको इसरो के अध्यक्ष कस्तूरी रंजन की अध्यक्षता में तैयार किया गया है। इस शिक्षा नीति के लागू होने के बाद भारतीय शिक्षा में बहुत सुधार हो सकता है। विद्यार्थियों का बोझ कम करने पर जोर दिया गया है। जबरन विषयों के थोपे जाने के नियमों को समाप्त किया गया है। नई शिक्षा नीति में शिक्षण माध्यम के साथ में पहले से पांचवी तक हिन्दी भाषा का इस्तेमाल करना अनिवार्य किया गया है। स्कूलों में 10 प्लस टू फार्मेट की जगह 5+3+3+4 फार्मेट को शामिल किया जाएगा। नई शिक्षा नीति के तहत वर्ष 2030 तक सकल नामांकन अनुपात शत प्रतिशत लाने का लक्ष्य रखा गया है।
सबसे ज्यादा छात्रों को फायदा होने वाला है: सीयूजे डीन
रांची के ब्रांबे में स्थित झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के स्कूल आफ मैनेजमेंट साइंस के डीन प्रो भगवान सिंह का कहना है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति नेशनल एजुकेशनल पालिसी का समायोजन लगभग हर विश्वविद्यालय में हो रहा है। इसमें सबसे ज्यादा छात्रों को फायदा होने वाला है। इसमें मल्टीपल एंट्री एंड मल्टीपल एग्जिट का प्रावधान है। कोई भी छात्र किसी भी कोर्स में किसी भी विश्वविद्यालय में एडमिशन ले सकता है। वह अपनी इच्छानुसार उस पढ़ाई को उक्त कोर्स के नियमों के तहत बीच में छोड़ सकता है। फिर जब चाहे पुनः उसी कोर्स में किसी भी विवि में उसके नियम के तहत उसमें दोबारा से अपने बचे हुए कोर्स को खत्म कर सकता है। इससे छात्रों को पढ़ाई खत्म करने की चिंता से मुक्ति मिलती है और अपनी सुविधा अनुसार डिग्री, डिप्लोमा, सर्टिफिकेट किसी भी विश्वविद्यालय से लेने का फायदा मिलता है।
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