Jharkhand News: झारखंड की जेलों में नाम के जैमर, अपराधी बेधड़क करते हैं बात
राज्य की जेलों में जैमर लगाने उसे अपग्रेड करने मरम्मत करने आदि को लेकर कई बार सर्वे हुए हैं। 4जी के लिए सर्वे हुआ था तो 5जी लांच हो गया था और मामला लंबित रह गया था। कभी जैमर का रेट तय नहीं हो पाता है। कभी जैमर मरम्मत पर कंपनियों पर सहमति नहीं बन पाती है।

राज्य ब्यूरो, रांची। राज्य की जेलों में वर्षों बाद भी जैमर लगाने व अपग्रेड करने का मामला लंबित पड़ा है। राज्य में छोटी-बड़ी 31 जेले हैं, जिनमें 14 जेलें ऐसी हैं, जहां जैमर ही नहीं हैं। अन्य जेलों में जैमर हैं भी तो वे 2g Network को ही जाम कर सकते हैं।
वर्तमान में पूरे Jharkhand में जहां 5जी नेटवर्क चल रहा है, वहां जेलों में अब भी 2जी जैमर लगे हैं। इसका नतीजा यह है कि जेलों से बेधड़क बातें हो रही हैं। जेलों में जैमर की तब याद आती है, जब कोई बड़ी घटना घटती है और उससे संबंधित अपराध का संचालन जेल से संचालित होने की बात सामने आती है।
हाल के दिनों में जमशेदपुर, हजारीबाग, लातेहार, पलामू, रांची जैसे शहरों में रंगदारी, गोलीबारी आदि की घटनाएं घट चुकी हैं। इन घटनाओं की जब पुलिस ने जांच की तो पता चला कि उन घटनाओं की साजिश जेल में ही रची गई थी।
जैमर लगाने, उसे अपग्रेड करने, मरम्मत करने आदि को लेकर कई बार जेलों में सर्वे हो चुके हैं। 4जी के लिए सर्वे हुआ था तो 5जी लांच हो गया था और मामला लंबित रह गया था। कभी जैमर का रेट तय नहीं हो पाता है। कभी जैमर मरम्मत पर कंपनियों पर सहमति नहीं बन पाती है।
इससे जैमर लगाने का मामला लंबित रह जाता है। करीब आधा दर्जन बार जेलों में सर्वे का कार्य हो चुका है और जैमर कंपनियां अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर चुकी हैं, इसके बावजूद काम आगे नहीं बढ़ सका। एक बार बात हुई कि पहले फेज में छह जेलों के जैमर अपग्रेड होंगे।
इसके लिए हजारीबाग, रांची, जमशेदपुर, दुमका, धनबाद व पलामू जेल में सर्वे कार्य हुआ था। तैयारी चल ही रही थी कि नियम में बदलाव हुआ और तय हुआ कि अब छह नहीं, बल्कि सभी जेलों के जैमर अपग्रेड होंगे। इसी उधेड़-बुन में वह साल भी निकल गया था।
टीएचबीएस के लिए भी हुआ था सर्वे, नहीं बन सकी बात
राज्य की जेलों में सभी प्रकार के मोबाइल नेटवर्क को बंद करने के लिए जैमर के विकल्प के रूप में तकनीक टावर आफ द हार्मोनियस काल ब्लाकिंग सिस्टम (टीएचबीएस) लगाने पर लगभग सहमति बन गई थी। इसके लिए सर्वे भी हो गया था।
रामगढ़ जेल में इसका परीक्षण होना था। टीएचबीएस जेल परिसर में लगना था, जो किसी भी मोबाइल के काल को न बाहर जाने देता न उसे जेल में आने देता। मोबाइल काम नहीं करता। इससे मोबाइल इंटरनेट भी बाधित होता।
विशेष शाखा कई बार कर चुका है आगाह
झारखंड पुलिस की विशेष शाखा ने पूर्व में राज्य सरकार को कई बार आगाह किया था। राज्य की विधि-व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए जेलों में जैमर की अनिवार्यता से संबंधित पत्राचार भी विशेष शाखा ने कई बार गृह विभाग से किया है।
एटीएस ने भी पूर्व में अपराधियों की बातचीत के लोकेशन को ट्रेस किया था तो उनका लोकेशन जेल ही मिला था। पूर्व में पकड़े गए अपराधियों ने भी पूछताछ में बताया था कि उन्हें जेल में बंद उनके सरगना ने ही उक्त अपराध के लिए निर्देशित किया था। इसके बावजूद इस दिशा में कोई पहल नहीं हो सकी।
राज्य के विभिन्न जिलों में ये हैं 31 जेलें
बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा होटवार रांची, जयप्रकाश नारायण केंद्रीय कारा हजारीबाग, केंद्रीय कारा दुमका, केंद्रीय कारा घाघीडीह, जमशेदपुर, केंद्रीय कारा डालटनगंज पलामू, केंद्रीय कारा देवघर, केंद्रीय कारा गिरिडीह, मंडल कारा चाईबासा, मंडल कारा गुमला, मंडल कारा सरायकेला, मंडल कारा चास,
मंडल कारा तेनुघाट, मंडल कारा सिमडेगा, मंडल कारा लातेहार, मंडल कारा गढ़वा, मंडल कारा कोडरमा, मंडल कारा चतरा, मंडल कारा धनबाद, मंडल कारा लोहरदगा, मंडल कारा जामताड़ा, मंडल कारा पाकुड़, मंडल कारा गोड्डा, मंडल कारा साकची, उपकारा घाटशिला, उपकारा खूंटी, उपकारा रामगढ़, उपकारा बरही, उपकारा राजमहल, उपकारा मधुपुर, ओपेन जेल हजारीबाग।
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