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    झारखंड की नदियों का होगा कायाकल्प, नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत पांच शहरों में शुरू होगा काम

    Updated: Thu, 21 Aug 2025 04:57 PM (IST)

    झारखंड में नमामि गंगे परियोजना के तहत रांची समेत पांच शहरों में नदियों का प्रबंधन होगा। गंगा दामोदर खरकई हरमू और स्वर्णरेखा नदियों को स्वच्छ बनाने के साथ रीवर फ्रंट और पार्कों का विकास किया जाएगा। प्रधान सचिव सुनील कुमार ने कहा कि हर शहर के लिए विशिष्ट योजना बने और छोटी नदियों को भी शामिल किया जाए।

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    झारखंड में Namami Gange project के तहत नदियों का होगा कायाकल्प

    राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड में नमामि गंगे परियोजना के तहत कई शहरों से गुजरनेवाली नदियों पर काम होता दिखेगा। प्रथम चरण में पांच शहरों रांची, धनबाद, आदित्यपुर, चास तथा साहिबगंज के राजमहल में शहरी नदी प्रबंधन के तहत गंगा, दामोदर, खरकई, हरमू व स्वर्णरेखा नदी का प्रबंधन किया जाएगा।

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    इस प्रबंधन के तहत इन नदियों के जल को स्वच्छ बनाकर अविरल धारा बहता रहे यह सुनिश्चित होगा तथा इसके साथ-साथ वहां रीवर फ्रंट का विकास, पार्कों का विकास, पौधरोपण आदि गतिविधियों को बढ़ावा देकर एक ईको फ्रेंडली वातावरण विकसित किया जाएगा।

    इस संदर्भ में बुधवार को आयोजित कार्यशाला को लेकर नगर विकास एवं आवास विभाग के प्रधान सचिव ने सुनील कुमार ने कहा कि झारखंड में बहनेवाली नदियों के संरक्षण, जीर्णोद्धार, सौन्दर्यीकरण व प्रबंधन में राज्य सरकार पहले से ही कई कार्यक्रम चला रही है।

    हमारी कोशिश है कि शहरी विकास के लिए विकसित हो रहे आधारभूत संरचना में नदियों को प्राथमिकता सूची में रखा जाय। इसके लिए नगर विकास एवं आवास विभाग तथा पथ निर्माण विभाग अपनी योजनाओं में ही आसपास की नदियों पर रीवर फ्रंट डेवलमेंट, एसटीपी निर्माण, पौधरोपण और ईको फ्रेंडली वातावरण बनाने पर कार्य कर रहे हैं।

    प्रधान सचिव ने कहा कि हर शहर में अलग प्रकार की चुनौतियां हैं इसलिए हर शहर के लिए स्पेशिफिक प्लान तैयार होना चाहिए।

    राज्य की छोटी नदियों को भी नमामि गंगे परियोजना में मिले जगह

    प्रधान सचिव सुनील कुमार ने कहा कि केंद्र सरकार के नमामि गंगे योजना का लाभ उन राज्यों को ज्यादा मिलता है जहां गंगा का क्षेत्र अधिक है। झारखंड में महज 80 किमी में ही गंगा क्षेत्र है इसलिए हमारी अन्य सहायक नदियों को इस योजना से जोड़ा जाय। इसके पीछे का तर्क यह है कि अंतत: ये सभी नदियां गंगा में ही जाकर समा जाती हैं।

    निदेशक ने सभी स्टेकहोल्डर्स से मांगा सुझाव

    इस मौके पर झारखंड में Namami Gange project के निदेशक सूरज कुमार ने कहा कि सभी नगर निकाय इसके लिए अधिक से अधिक जन भागीदारी को बढ़ाएं और प्रत्येक स्टेक होल्डर को साथ लेकर चलें।

    उन्होंने सभी नगर निकायों, जल संसाधन विभाग, पर्यटन विभाग, पेयजल व स्वच्छता विभाग, उद्योग विभाग और एनएमसीजी के पदाधिकारियों से भी विचार रखने के लिए आग्रह किया।

    शहरी नदी प्रबंधन की खास बातें

    - नदियों को प्रदूषणमुक्त बनानें के लिए कदम उठाना।

    - नागरिकों के लिए स्वस्थ व सुंदर वातावरण तैयार करना।

    - नदियों के प्राकृतिक परिस्थितिकी तंत्र को पुनर्जीवित करना।

    - नदी के किनारे हरा भरा क्षेत्र विकसित करना, साइकिल ट्रैक भी।

    - लोगों को नदी व जल स्रोत को संरक्षित करने के लिए प्रेरित करना।

    कार्यशाला में आए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव

    - हर शहर का अपना स्पेसिफिक प्लान हो क्योंकि चुनौतियां अलग अलग हैं।

    - शहरों के मास्टर प्लान में हीं नदियों के संरक्षण की योजनाओं को इंटीग्रेट किया जाय।

    - अधिक से अधिक जन भागीदारी को बढ़ाया जाय।

    - नदियों के किनारे टूरिज्म स्पाट विकसित किए जाएं।

    - औद्योगिक प्लांट से आनेवाले जल को शोधन के बाद ही नदी में छोड़ा जाय।

    तमाम अधिकारियों ने रखे विचार

    कार्यक्रम को नई दिल्ली से नमामि गंगे के महानिदेशक राजीव कुमार मित्तल ने आनलाइन माध्यम से संबोधित किया तो एनएमसीजी के उप निदेशक नलीन श्रीवास्तव ने इस योजना के विजन पर चर्चा की।

    इस कार्यक्रम में एनएमसीजी भारत सरकार के विशेषज्ञों ,राष्ट्रीय नगर कार्य संस्थान, भारत सरकार के विशेषज्ञों, राज्य के सभी नगर निकाय के पदाधिकारी, रांची के नगर आयुक्त सुशांत गौरव, बागवानी मिशन झारखंड की निदेशक माधवी मिश्रा, जेटीडीसी के प्रबंध निदेशक प्रेम रंजन सहित अन्य पदाधिकारियों नें भी अपना अपना विचार रखे।