नाबार्ड ने झारखंड के किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार को दिया सुझाव, किसानों की आर्थिक स्थिति पर जताई चिंता
नाबार्ड का फोकस पेपर बताता है कि झारखंड के किसानों की औसत आय देश के 29 राज्यों में सबसे कम हैं। किसान प्रति माह प्रति परिवार 5854 रुपये की औसत आय पर निर्भर है। यदि उसकी आय को दोगुना करना है तो इस क्षेत्र में पूंजी को बढ़ाना होगा।
रांची, राज्य ब्यूरो। राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने कृषि विकास को गति देने के लिए कृषि में पूंजी निवेश की आवश्यकता बताने के साथ-साथ सिंचाई संसाधनों के विकास और बिजली की खेतों तक उपलब्धता पर जोर दिया है। नाबार्ड ने यह सुझाव अपने स्टेट फोकस पेपर के जरिए राज्य सरकार को दिए हैं। नाबार्ड का फोकस पेपर बताता है कि झारखंड के किसानों की औसत आय देश के 29 राज्यों में सबसे कम हैं। किसान प्रति माह, प्रति परिवार 5854 रुपये की औसत आय पर निर्भर है। यदि उसकी आय को दोगुना करना है तो इस क्षेत्र में पूंजी के प्रवाह को बढ़ाना होगा। केसीसी कवरेज को भी बैंकों के सहयोग से बढ़ाना होगा।
सिंचाई संसाधन बढ़ाने पर जोर
नाबार्ड ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए दलहन, तिलहन और अन्य उच्च मूल्य वाली फसलों के लिए योजना बनाने पर जोर दिया है। नाबार्ड की रिपोर्ट राज्य में सिंचाई की वर्तमान स्थिति का भी खुलासा करती है। कुल 38 लाख कृषि योग्य भूमि में से अब तक राज्य ने महज 10 लाख हेक्टेयर पर सिंचाई क्षमता का सृजन किया है। जबकि शुद्ध सिंचित क्षेत्र मात्र 5.74 लाख हेक्टेयर है। नाबार्ड ने सिंचाई संसाधन बढ़ाने को बहुत जरूरी बताया है। सुझाव दिया है कि जल संसाधन विभाग माइक्रो-लिफ्ट सिस्टम जैसी पूंजी निवेश परियोजनाओं की रूपरेखा को आगे बढ़ा सकता है।
बिजली की उलब्धता पर ध्यान आकृष्ट कराया गया
राज्य में बिजली की उपलब्धता पर भी नाबार्ड ने ध्यान आकृष्ट कराया है। जिसमें बताया गया है कि कृषि क्षेत्र में बिजली की उपलब्धता का राष्ट्रीय औसत 2.025 केवी प्रति हेक्टेयर है जबकि झारखंड में यह राष्ट्रीय औसत से चालीस प्रतिशत कम है। पशुपालन, रेशम उत्पादन, बागवनी और बंजर भूमि के विकास पर नाबार्ड ने जोर दिया है। कोल्ड स्टोरेज के ढांचे को दुरुस्त करने का सुझाव भी दिया गया है। बताया गया है कि राज्य की कुल भंडारण क्षमता 3.68 लाख टन है, जबकि राज्य में 2.17 लाख टन कोल्ड स्टोरेज का बुनियादी ढांचा है। इस क्षेत्र में निजी निवेश को प्रोत्साहित करने की बात नाबार्ड की ओर से कही गई है। इसके अलावा प्री-कूलिंग, सफाई, ग्रेडिंग और परिवर्तनशील तापमान क्षमता की कोल्ड चेन विकसित करने पर भी स्टेट फोकस पेपर पर जोर दिया गया है। खाद्य प्रसंस्करण का जिक्र करते हुए बताया गया है कि राज्य में 35 लाख टन सब्जियों का उत्पादन होता है। इस क्षेत्र में फल एवं सब्जियों की अच्छी गुंजाइश है।
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