पीएम कुसुम योजना के तहत नाबार्ड और केनरा बैंक सोलर फार्मिंग के लिए देंगे लोन
PM Kusum Yojana कुछ महीनों पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में कुसुम योजना का जिक्र किया था। इस योजना के तहत अब सोलर पावर प्लांट लगाने के लिए किसानों को नाबार्ड और केनरा बैंक से लोन मिलेगा।

रांची, जासं। कुछ महीनों पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में कुसुम योजना का जिक्र किया था। इस योजना के तहत अब सोलर पावर प्लांट लगाने के लिए किसानों को नाबार्ड और केनरा बैंक से लोन मिलेगा। इसके पहले चरण में राज्य में 50 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन किए जाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए अभी तक राज्य के 65 किसानों ने आवेदन किया है।
आवेदन के आधार पर झारखंड बिजली वितरण निगम(जेवीबीएनएल) के महाप्रबंधक प्रभात कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि अब तक निगम के पास 400 एकड़ भूमि पर फार्म लगाने के लिए आवेदन आ चुका है। इतने जमीन पर कम से कम 80 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन किया जा सकता है।
जेवीबीएनएल के महाप्रबंधक ने बताया कि किसानों से बिजली खरीदने के लिए संस्थान उनके साथ 25 वर्षों तक का करार करेगा। निगम जब बिजली खरीदने के लिे पावर परचेज एग्रीमेंट करेगा तो ये बैंक के लिए गारंटी का काम करेगा। इससे बैंकों के द्वारा किसानों को सोलर प्लांट लगाने के लिए दी जाने वाली राशि सुरक्षित रहेगी और एनपीए का खतरा भी नहीं रहेगा।
कंपनी बिजली के एवज में जो किसानों को पैसे का भुगतान करेगी उससे किसान अपने ऋण की किस्त जमा कर सकते हैं। इस योजना के लिए किसान अभी भी जेवीबीएनएल में आवेदन कर सकते हैं। हालांकि कंपनी ने सोलर प्लांट लगाने के लिए कुछ नियम और शर्तें भी रखी है। इसके तहत अधिकतम दो मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए प्लांट लगा लगाना होगा। वहीं व्यक्ति भूमि लीज पर लेकर भी सोलर पावर फार्मिंग कर सकते हैं।
क्या है कुसुम योजना
केंद्र सरकार ने वर्ष 2018-19 के आम बजट के दौरान कुसुम योजना या किसान उर्जा सुरक्षा और उत्थान महाअभियान की घोषणा की थी। राज्य के किसानों को अक्सर खेतों में सिंचाई के दौरान काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। असमान्य बारिश के कारण किसानों की फसल को काफी नुकसान पहुंचता है। किसानों की इसी समस्या को दूर करने के लिए ही केंद्र सरकार कुसुम योजना लायी है। इसके जरिए किसान अपनी जमीन में सौर उर्जा उपकरण और पंप लगाकर खेतों की सिंचाई कर सकता है। साथ ही किसान अपने पास उत्पादित अतिरिक्त बिजली को बेच भी सकते हैं। इससे गांव में बिजली की भी उपलब्धता होगी।
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