Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    मंदिर में जाता था यह मुसलमान, इस्लाम विरोधी बताकर कब्रिस्तान में दफनाने से रोका; नहीं की जनाजे की दुआ

    By Alok ShahiEdited By:
    Updated: Sun, 12 Jan 2020 10:47 AM (IST)

    झारखंड के गढ़वा जिले के भवनाथपुर थाने के मकरी चकला टोला निवासी करीमन अंसारी को कब्रिस्तान में जगह नहीं दी गई। उसके जनाजे में भी कोई मुसलमान शामिल नहीं हुआ।

    मंदिर में जाता था यह मुसलमान, इस्लाम विरोधी बताकर कब्रिस्तान में दफनाने से रोका; नहीं की जनाजे की दुआ

    रांची, जेएनएन। झारखंड के गढ़वा जिले के भवनाथपुर थाना क्षेत्र के मकरी चकला टोला निवासी 75 वर्षीय करीमन अंसारी को कब्रिस्तान में दो गज जमीन नहीं मिल सकी। मुस्लिम समाज के कुछ लोगों ने उनके शव को वहां दफन करने से मना कर दिया। उनका गुनाह मात्र यह था कि जीवित रहते वे मंदिरों में जाया करते थे। ओझा-गुणी का काम करते थे। इसे समाज के कुछ लोगों ने इस्लाम विरोधी करार दिया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मृतक के जनाजे में शामिल होने के साथ कब्र पर मिट्टी देने की रस्म अदा करने आई मृतक की बहन जैतून बीबी, मोकिना बीबी, जैनब बीबी, भांजा नूर मोहम्मद अंसारी, कुतुबुद्दीन अंसारी, महमूद अंसारी, नेजउद्दीन अंसारी, साबिर अंसारी सहित अन्य रिश्तेदारों ने पूरे मामले की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि करीमन की मुत्यु शुक्रवार को हो गई। उनका कोई पुत्र नहीं है।

    इसलिए निधन की सूचना मिलने पर हम सभी रिश्तेदार मकरी आकर उन्हें दफन करने के लिए कब्रिस्तान में कब्र खोद रहे थे। लेकिन मुस्लिम समाज के सदर सेक्रेटरी मकबूल अंसारी एवं इमाम जाकिर हुसैन ने शव को कब्रिस्तान में दफन करने से रोक दिया गया। बताया कि करीमन अंसारी ने जीवित रहते धर्म विरोधी कार्य किया। ओझा-गुणी का काम करते हुए मंदिरों में भी जाते थे। इसलिए उनके जनाजे में मुस्लिम समुदाय का कोई व्यक्ति शामिल नहीं होगा और न ही कब्रिस्तान में शव दफन करने के लिए जगह मिलेगी। हमलोगों ने कब्रिस्तान में शव दफनाने को लेकर काफी आग्रह किया, लेकिन लोग नहीं माने। आखिरकार अपनी जमीन पर शव दफनाया।

    परिजनों ने बताया कि अपने करीबी को छोड़ किसी ने भी अंतिम संस्कार में साथ नहीं दिया। पूछे जाने पर सदर सेक्रेटरी ने पूरे मामले से अनभिज्ञता जाहिर करते हुए अपने ऊपर लगाए जा रहे आरोपों से इन्कार किया है। जबकि, इमाम जाकिर हुसैन ने बताया कि करीमन ने अपने जीवन में इस्लाम विरोधी काम किया था। उनका काम माफी लायक नहीं था। इस कारण उनके शव को कब्रिस्तान में दफन करने से रोका गया।