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    भारत को बनाना है विश्‍व गुरु, दुनिया को प्रकाश देने के लिए देश आजाद हुआ: आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा

    By Jagran NewsEdited By: Arijita Sen
    Updated: Tue, 15 Aug 2023 02:24 PM (IST)

    मोहन भागवत ने बेंगलुरु में समर्थ भारत की ओर से आयोजित कार्यक्रम में ध्वजारोहण किया। इस मौके पर आरएसएस के सरसंघचालक ने कहा कि हमें ऐसा देश बनाना है कि दुनिया स्वयं कहे कि भारत है हमारा गुरु। कहा कि संपूर्ण विश्व को प्रकाश देने के लिए ही भारत स्वतंत्र हुआ है। आरएसएस के सरसंघचालक ने कहा संपूर्ण विश्व को प्रकाश देने के लिए ही भारत स्वतंत्र हुआ है

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    बेंगलुरु में 77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ध्वजारोहण करते मोहन भागवत।

    संजय कुमार, रांची। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डाॅक्टर मोहन भागवत ने कहा कि वर्षों के संघर्ष के बाद 15 अगस्त, 1947 को हम स्वाधीन तो हो गए। परंतु स्वतंत्र होने के लिए हम स्वाधीन हुए। स्वाधीनता एक प्रसंग है परंतु स्वतंत्रता निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है।

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    दुनिया कहे भारत है हमारा विश्‍व गुरु: मोहन भागवत

    उन्‍होंने आगे कहा, उस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का हम सभी संकल्प लें और सब मिलकर संपूर्ण जगत का उपकार करने वाला ऐसा देश बनाएं कि दुनिया स्वयं कहे, भारत ही हमारा गुरु है। मैं विश्व गुरु हूं यह मुझे नहीं कहना पड़े।

    वह मंगलवार को बेंगलुरु में 77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ध्वजारोहण करने के बाद उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले भी थे। कार्यक्रम का आयोजन समर्थ भारत की ओर से वासवी कन्वेंशन हाल में किया गया था।

    देश को तोड़ने वाली शक्तियां कार्यरत

    मोहन भागवत ने कहा कि संपूर्ण विश्व को प्रकाश देने के लिए ही भारत स्वतंत्र हुआ है। अब संपूर्ण दुनिया को प्रकाश और संदेश देने के लिए भारत को समर्थ और संपन्न बनाना है।

    भारत शक्तिशाली और संपन्न नहीं बने, इसलिए तोड़ने वाली शक्तियां भी कार्यरत है। हमें उनसे सावधान रहने की जरूरत है।

    साथ ही अपने स्वत के आधार पर हमारा राष्ट्र ध्वज किन बातों का निदर्शन करता है, उसको समझ कर कार्यरत रहें। संपूर्ण देश को एक बनाएं और तोड़नेवाले के कार्य को सफल नहीं होने दें।

    स्व के आधार पर अपना तंत्र है बनाना

    भागवत ने कहा कि सकारात्मक बात यह है कि ध्यान, कर्म, भक्ति, निर्बलता और समृद्धि के आधार पर सारे विश्व को जीवन जीने की सीख देना ही स्वतंत्रता का प्रयोजन है। उस स्व के आधार पर अपना तंत्र बनाते हुए हमें आगे बढ़ना है।