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    रांची में मिथिला समाज की महिलाओं ने मनाया सावन मिलन, पारंपरिक गीतों की प्रस्‍तुति

    By Brajesh MishraEdited By:
    Updated: Fri, 20 Aug 2021 04:08 PM (IST)

    झारखंड मैथिली मंच के विद्यापति दालान में सखी बहिनपा मैथिलानी समूह की ओर से सावन मिलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। रांची के हरमू इलाके में यह समारोह हुआ। मैथिली लोक गायिका बबीता झा ने “बाबा लेने चलियौ हमरो अपन नगरी” के जरिए अपनी सांस्कृतिक प्रस्‍तुति दी।

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    झारखंड मैथिली मंच के विद्यापति दालान में सखी बहिनपा मैथिलानी समूह की ओर से सावन मिलन का आयोजन किया गया।

     रांची, जासं। झारखंड मैथिली मंच के विद्यापति दालान में सखी बहिनपा मैथिलानी समूह की ओर से सावन मिलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। रांची के हरमू इलाके में यह समारोह हुआ। मैथिली लोक गायिका बबीता झा ने “बाबा लेने चलियौ हमरो अपन नगरी” के जरिए अपनी सांस्कृतिक प्रस्‍तुति दी। इस दौरान आयोजन समिति की ओर से सावन माह के बारे में विस्‍तार से बताया गया। कहा गया कि सावन की हरियाली से सराबोर वातावरण में मिट्टी की मदहोशक सोंधी खुशबू से वृक्षों की टहनियाँ भी इठलाती हैं। मेघ-मल्हार की अठखेलियां, प्राकृतिक तान छेड़कर पशु-पक्षी को आनंदित तो करते ही हैं मनुष्य को भी झूमने एवं नाचने पर मजबूर कर देती है। इस अवसर पर महिलाएं के बीच सौन्दर्य - शृंगार की प्रतियोगिता आयोजित की गई। इसमें रीना मिश्रा प्रथम, द्वितीय स्थान अर्चना झा एवं तृतीय स्थान बीना झा को मिला। म्यूज़िकल चेयर प्रतियोगिता में अंशु झा विजेता रहीं। कार्यक्रम का संचालन अनीता झा ने किया। निर्णायक की भूमिका डॉ आभा झा, इंदिरा झा, मंजु झा तथा सरिता झा ने निभाई। कार्यक्रम में कई तरह के मनोरंजन के खेल आयोजित किए गए।आयोजन में बिट्टू झा, बीभा झा, कल्पना झा , प्रीति झा, ममता झा , रीता झा, पुतुल, अर्चना झा सहित कई सदस्य उपस्थित रहीं।

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    विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित

    कार्यक्रम के दौरान विविध सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इसमें महिलाओं की ओर से गीत, संगीत की प्रस्‍तुति दी गई। इस दौरान म‍िथिला की लोक परंपरा के बारे में चर्चा की गई। इसे बचाए रखने तथा इसके प्रचार प्रसार के लिए सामूहिक स्‍तर पर प्रयास करने का संकल्‍प लिया गया। महिलाओं की ओर से इस दौरान हरे संग की पोशाक धारण की गई थी। पूरे कार्यक्रम के संचालन से लेकर आयोजन तक की जिम्‍मेदारी महिलाओं ने ही संभाली। इस दौरान महिलाओं की ओर से खाने पीने के भी पूरे इंतजाम किए गए थे। सबकुछ मिथिला समाज की परंपराओं के अनुसार हुआ।