मिथिला के रंग में रंगा है हरमू मैदान
झारखंड मैथिली मंच की ओर से विद्यापति स्मृति पर्व समारोह का आयोजन, सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ आज होगा समारोह का समापन।
जागरण संवाददाता, रांची : झारखंड मैथिली मंच की ओर से आयोजित तीन दिवसीय विद्यापति स्मृति पर्व समारोह के दूसरे दिन शुक्रवार को हरमू मैदान मिथिला के रंग में रंग गया। मिथिलांचल की कला-संस्कृति की अद्भुत छटा बिखरी। समारोह में सांस्कृतिक गतिविधियों के साथ-साथ मिथिलांचल की लोक कला, गीत-संगीत, संस्कृति व साहित्य और खानपान आदि को करीब से देखने व जानने का अवसर प्राप्त हुआ। इसके अलावा विद्यापति गीत-संगीत, मैथिली के आधुनिक गीत, गजल, मिथिला का लोक गीत और लोक नृत्य की विशेष शैली की प्रस्तुति से कलाकारों ने समा बांधा। दिल्ली, मुंबई, दरभंगा, मधुबनी व रांची के कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से पूरे माहौल को मिथिलामय कर दिया।
मैथिली के हास्य गुरु राम सेवक ठाकुर ने मंच से उद्घोष कर सभी का ध्यान खींचा। दरभंगा से पहुंचे मैथिली हास्य व्यंग्य कवि डॉ. जय प्रकाश चौधरी जनक ने गीत से मनोरंजन किया। वहीं मधुबनी से आए आनंद मोहन झा की मैथिली गीत 'बात ओझरायल सन सोझरेतै कोना की बेजाय नीक की फरिछेते कोना' प्रस्तुत किया। दरभंगा से आए मैथिली गीतकार सह भारत निर्वाचन आयोग के आइकान मणिकांत झा ने 'लाइव रहै छी सदिखन बाबा देखियौ, जाअ कअ घर परिवार, फोनक जहति छोड़ियौ.गीत प्रस्तुत किया। दिल्ली के आधुनिक गीत के गायक विकास झा अपनी प्रस्तुति से युवा मन को भा गए। धीरज कांत सहित मैथिली एवं पारंपरिक गायिका कुमकुम मिश्रा और मैथिली एवं अंगिका भाषा की लोक गायिका नीलू मिश्रा सहित स्थानीय गायिका बबीता झा और श्वेता रानी की प्रस्तुति ने मंत्रमुग्ध कर दिया।
मंच के संयोजक भारतेन्दु झा ने बताया कि शनिवार को सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ तीन दिवसीय समारोह का समापन होगा। समारोह को सफल बनाने में मंच के अध्यक्ष सुबोध चौधरी, महासचिव अरुण झा, संयोजक भारतेंदु झा, कोषाध्यक्ष संतोष कुमार मिश्रा सहित अभय झा, जयंत कुमार झा, ब्रज कुमार झा, गोपाल झा, ब्रज किशोर झा, मोहन झा, प्रेमचंद झा, आलोक तिवारी, कृष्ण कुमार झा, नरेश झा, दयानंद कुमार, आत्मेश्वर झा, विनय कुमार झा, वैद्यनाथ झा आदि मंच के स्वयंसेवक लगे हैं।
प्रो. सुभाष चंद्र यादव को पूर्णनेंदू विदेह सम्मान :
विद्यापति स्मृति पर्व समारोह में मैथिली साहित्य में विशेष योगदान के लिए प्रो. सुभाष चंद्र यादव को पूर्णनेंदू विदेह सम्मान से नवाजा गया। उन्हें उपन्यास गुलो के लिए यह सम्मान दिया गया। वे मूल रूप से बिहार के सुपौल के रहने वाले हैं। साथ ही मैथिली साहित्य के प्रोफेसर के साथ समालोचक भी हैं। सम्मान के तहत उन्हें 35 हजार रुपये, प्रशस्ति पत्र और श्रीफल प्रदान किया गया।
स्मारिका का हुआ प्रकाशन :
मौके पर आकर्षक और ज्ञानवर्द्धक लेखों से परिपूर्ण स्मारिका का प्रकाशन किया गया। इसमें विभिन्न साहित्यकार, कवि और शिक्षाविदों की रचना है।
आनंद मेला व मैथिली पुस्तक मेला भी :
समारोह को लेकर हरमू मैदान में आनंद मेला और मैथिली पुस्तक मेला भी लगा है। आनंद मेला में मिथिला के खान-पान और पारंपरिक व्यंजन का आनंद उठा रहे हैं। वहीं पुस्तक मेला में मिथिला की पारंपरिक कला, साहित्य एवं संस्कृति, गीत-संगीत से संबंधित पुस्तक पोथी, पेंटिंग, कोहबर, ऑडियो-वीडियो सीडी, पाग-दोपंट्टा, सिक्कि मौनी आदि दुर्लभ संग्रह का स्टॉल लगाया गया है।
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