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    Mid Day Meal Scheme: मिड डे मील में स्कूलों को देनी होगी प्रबंधन और मूल्यांकन की आधी राशि

    By Neeraj AmbasthaEdited By: Prateek Jain
    Updated: Sun, 22 Jan 2023 12:01 AM (IST)

    Jharkhand प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना (मध्याह्न भोजन योजना) में मैनेजमेंट मानि‍टरिंग तथा इवेल्यूशन (एमएमई) मद में मिलनेवाली राशि में आधी राशि अनिर्वाय रूप से स्कूलों को दी जाएगी। इस राशि का खर्च स्कूल स्तर पर ही योजना के प्रबंधन निगरानी और मूल्यांकन में होगा।

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    मध्याह्न भोजन योजना में मैनेजमेंट, मानि‍टरिंग तथा इवेल्यूशन मद में मिलनेवाली राशि में आधी राशि स्कूलों को दी जाएगी।

    रांची, राज्य ब्यूरो: प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना (मध्याह्न भोजन योजना) में मैनेजमेंट, मानि‍टरिंग तथा इवेल्यूशन (एमएमई) मद में मिलनेवाली राशि में आधी राशि अनिर्वाय रूप से स्कूलों को दी जाएगी। इस राशि का खर्च स्कूल स्तर पर ही योजना के प्रबंधन, निगरानी और मूल्यांकन में होगा। शेष आधी राशि राज्य, जिला व प्रखंड स्तर के कार्यालयों के बीच बांटी जाएगी।

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    झारखंड मध्याह्न भोजन प्राधिकरण, जिला शिक्षा अधीक्षक तथा प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी कार्यालय में क्रमश: इस राशि का उपयोग हो सकेगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी गाइडलाइन में इसका सख्ती से अनुपालन कराने के निर्देश राज्य के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग को दिए हैं।

    अनिवार्य रूप से आधी राशि स्‍कूलों को देने से होगा सही उपयोग 

    योजना में स्वीकृत कुल बजट में तीन प्रतिशत राशि एमएमई मद में आवंटित की जाती है, जिसका उपयोग योजना के प्रबंधन, निगरानी और मूल्यांकन में किया जाना होता है, लेकिन अक्सर देखा जाता है कि इसमें अधिकांश राशि राज्य या जिला स्तर पर ही खर्च हो जाती है। स्कूलों को इस मद में बहुत कम राशि मिल पाती है। जानकारों का कहना है कि आधी राशि स्कूलों को अनिवार्य रूप से देने से इसका सही उपयोग हो सकेगा।

    कई बार राज्य व जिला स्तर पर इस मद की राशि अन्य कार्यों में खर्च कर दी जाती है। इसपर अब रोक लग सकेगी। वहीं, कई बार इस राशि से जेरोक्स मशीन, फर्नीचर या अन्य चीजों की खरीद भी हो जाती है, जबकि इसका उपयोग प्रबंधन और मूल्यांकन कार्यों में ही होना चाहिए। इधर, केंद्र ने खाद्यान्न को एफसीआइ गोदामों से स्कूल तक पहुंचाने के लिए ट्रांसपोर्टेशन में आने वाले खर्च की भी राशि तय कर दी है। प्रति मिट्रिक टन 1500 रुपये इसपर खर्च किए जा सकेंगे।

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