जमशेदपुर में बस्तियों में रहने वाले लोगों को मालिकाना हक देने के लिए बुलाई गई बैठक, सरयू राय पहले भी उठा चुके हैं मुद्दा
सरयू राय की ओर से मुख्य सचिव को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि वर्ष 2005 में टाटा लीज समझौता का नवीकरण करते समय जमशेदपुर में टाटा लीज की करीब 1750 एकड़ जमीन पर बसी बस्तियों को सरकार ने लीज से अलग कर दिया।

रांची, राज्य ब्यूरो। जमशेदपुर में टाटा सब-लीज को लेकर सात मार्च को उच्चस्तरीय बैठक प्रस्तावित है। बैठक मुख्य सचिव ने बुलाई है। विधायक सरयू राय ने इस बैठक में सब-लीज के समान ही एक अन्य मुद्दे पर सरकार को विचार करने का आग्रह किया है। सरयू राय की ओर से मुख्य सचिव को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि वर्ष 2005 में टाटा लीज समझौता का नवीकरण करते समय जमशेदपुर में टाटा लीज की करीब 1750 एकड़ जमीन पर बसी बस्तियों को सरकार ने लीज से अलग कर दिया। इन बस्तियों के रहने वाले पहले से मालिकाना हक की मांग कर रहे थे।
मालिकाना हक देने पर सरकार को विचार करना चाहिए
झारखंड सरकार की भूमि पर भी जमशेदपुर में कतिपय बस्तियां बस गई हैं। इन्हें भी नियमित करने और मालिकाना हक देने की मांग सब लीज मामले के पहले से चल रही है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि टाटा सब लीज को लेकर बुलाई गई बैठक में सरकार को जमशेदपुर की इन बस्तियों को नियमित करने और उन्हें मालिकाना अधिकार देने पर विचार चाहिए। उनकी राजस्व सचिव स्तर के साथ इस मुद्दे पर बैठक हो चुकी है। लेकिन अभी तक समाधान नहीं हुआ है।
टाटा सब- लीज में हुई है अनियमितता
विधायक सरयू राय ने अपने पत्र में कहा है कि 59 सब लीज में राजस्व नियमों का उल्लंघन हुआ है। उनकी ओर से 2008 में इस मामले को झारखंड विधानसभा में उठाया था। इस बारे में उच्चस्तरीय समिति की रिपोर्ट आई। हाई कोर्ट का निर्णय आया। पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त और कोल्हान के कमिश्नर ने सरकार को जांच रिपोर्ट दी। सभी जांच में पाया गया कि अनियमितता हुई है। सब- लीज के अधिकांश भूखंडों पर बड़ी-बडी इमारतें खड़ी हो गई हैं और होटल एवं मॉल बन गए हैं। सरकार इस बारे में ठोस निर्णय लेने से बचती रही है। प्रतीत होता है कि सरकार इस समस्या का निपटारा करने के लिए बैठक बुला रही है।
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