Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    रांचीः जनजातियों के विकास में जुटा है वनवासी कल्याण केंद्र

    वनवासी कल्याण केंद्र रांची सहित पूरे झारखंड में शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वावलंबन की दिशा में उल्लेखनीय कार्य कर रहा है। आदिवासियों और जनजातियों के उत्थान के लिए केंद्र सुदूर गांवों में कई कार्यक्रम चला रहा है।

    By Gaurav TiwariEdited By: Updated: Fri, 28 Sep 2018 07:40 AM (IST)

    रांची, जेएनएन। वनवासी कल्याण केंद्र रांची सहित पूरे झारखंड में शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वावलंबन की दिशा में उल्लेखनीय कार्य कर रहा है। आदिवासियों और जनजातियों के उत्थान के लिए केंद्र सुदूर गांवों में कई कार्यक्रम चला रहा है। अभी झारखंड के 23 जिलों के 32 जनजातीय क्षेत्रों में वनवासी कल्याण केंद्र का सेवा कार्य चल रहा है। संस्था के लोग झारखंड के 8000 ग्राम-टोलों के लगभग एक लाख जनजाति एवं पिछड़े परिवारों को विकास हेतु सहयोग व प्रेरित कर रहे हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बांट रहे संस्कार, ला रहे जागरूकता
    संस्था की ओर से चलाए जा रहे 389 विद्यालयों में 13,500 से अधिक छात्र-छात्रायें संस्कारयुक्त शिक्षा ले रहे हैं। एकल विद्यालय के प्रभाव के कारण समाज में मद्यपान की कमी, सामाजिक समरसता का बोध हुआ है। अत्यंत पिछड़े एवं वन क्षेत्रों में शिक्षा के व्यापक प्रचार-प्रसार हेतु खूंटी जिला अन्तर्गत तपकरा ग्राम में 1982ई. में ही शिशु मंदिर के नाम से एक प्राथमिक विद्यालय प्रारंभ किया गया। वर्तमान समय में 80 प्राथमिक विद्यालय एवं 26 उच्च विद्यालय चलाए जा रहे हैं। विद्यालय से पढ़कर छात्र अच्छे नागरिक बनकर सामाजिक जीवन में सराहनीय कार्य कर रहे हैं। 20 छात्रावासों में 685 छात्र-छात्रा नियमित दिनचर्या, अनुशासन, देशभक्ति का पाठ ग्रहण कर रहे हैं। केंद्र सरकार के राज्य मंत्री सुदर्शन भगत भी वाल्मीकि आश्रम के पूर्व छात्र रहे हैं। इसके अलावा छोटे बच्चों को प्रारम्भ से ही संस्कार देने के लिए बाल संस्कार केंद्र चलाए जा रहे हैं।


    चिकित्सा केंद्र एवं आरोग्य सेवा ग्राम
    वनवासी कल्याण केंद्र की ओर से झारखंड में चिकित्सा की दृष्टि से एक अस्पताल, 14 चिकित्सा केंद्र, 103 आरोग्य सेवा ग्राम चलाए जा रहे हैं। इस वर्ष अभी तक कुल 29,304 मरीजों की जांच एवं दवा दी गई। लोहरदगा में बिरसा सेवा सदन नाम से 25 बेड के पूर्ण सुविधायुक्त अस्पताल में सामान्य रोगों का इलाज करने के अलावा नेत्रालय भी चलाया जा रहा है। इस नेत्रालय में नि:शुल्क मोतियाबिंद का ऑपरेशन किया जाता है। इसके अलावा हाइड्रोसिल, हर्निया का निरंतर आपरेशन भी यहां संपन्न हो रहा है। इस वर्ष अभी तक लगभग 900 मरीजों की जांच एवं ऑपरेशन हो चुका है।

    स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं व ग्रामीणों को रोजगार के प्रशिक्षण देकर संस्था स्वावलंबी बना रही है। इस समय प्रदेश में 1234 समूहों का निर्माण किया जा चुका है। यह प्रकल्प महिला सशक्तिकरण का जीवंत प्रयोग है। स्वयं सहायता समूह के माध्यम से महिलाएं, मधुमक्खी पालन, मुर्गी पालन, गो पालन, बकरी पालन, जैविक खाद, किराना दूकान, जन वितरण प्रणाली की दुकान, कृषि कार्य एवं अन्य छोट-छोटे कुट्टीर उद्योग जैसे- मुड़ही उद्योग, बांस उद्योग स्थापित कर स्वावलम्बी बनकर अपने परिवार का भरण पोषण कर रही हैं। इसके अलावा अगाशे भवन गुमला, महिला गृह उद्योग, लोहरदगा एंव धनबाद जिला के 8 गांवों में विगत 18 वर्षों से वनवासी युवतियों को सिलाई का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।