Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    रांची : व्यावसायीकरण को कम करे सरकार, मरीज और चिकित्सकों के बीच खटास खत्म होगी

    By Krishan KumarEdited By:
    Updated: Fri, 13 Jul 2018 10:54 AM (IST)

    मेडिकल कॉलेजों में सीटों की संख्या में बढ़ोतरी के साथ-साथ मेडिकल कॉलेज की संख्या में वृद्धि करने की आवश्यकता है।

    चिकित्सा क्षेत्र में व्यावसायीकरण बढ़ा है। इसलिए मरीज और चिकित्सक के बीच के रिश्तों में खटास आई है। अगर चिकित्सक के दरवाजे पर कोई मरीज खड़ा है और उस मरीज से चार गोली लिखने के लिए 1000-2000 रुपया लिया जाता है, तो इससे दुखद कोई बात नहीं होगी। हम सभी को इस पर विचार करने की जरूरत है। बड़ी उम्मीद के साथ मरीज चिकित्सक के पास जाता है। 

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अपने शहर को शानदार बनाने की मुहिम में शामिल हों, यहां करें क्लिक और रेट करें अपनी सिटी 

    चिकित्सक उससे मोटी रकम लेकर इलाज करे, यह कहीं से भी ठीक नहीं है। पहले ऐसा नहीं होता था। समय बीतने के साथ-साथ चिकित्सा क्षेत्र में व्यावसायीकरण बढ़ा है, जिसे बदलने की जरूरत है, जबकि हमलोगों के वक्त ऐसा नहीं था। मरीज की सेवा पहली सेवा मानी जाती थी।

    रांची में चिकित्सा सेवा की बात करें, तो मौजूदा स्थिति को देखते हुए इसे मरीजों के लिए बहुत बेहतर नहीं माना जा सकता है। आज भी कई सरकारी अस्पतालों में सृजित पदों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं की गई है। पुराने पदों पर ही चिकित्सकों की बहाली हो रही है। इसमें से भी कई पद खाली है। ऐसे में मरीजों को कैसे बेहतर चिकित्सा सुविधा मिलेगी।

    गुणवत्तायुक्त चिकित्सा के लिए जरूरी है कि मौजूदा मरीजों की संख्या को देखते हुए अस्पताल में पर्याप्त मानव संसाधन की व्यवस्था करना और उपकरणों की सुविधा उपलब्ध कराना है। आज भी मरीजों को जब रांची में उम्मीद मुताबिक चिकित्सा सुविधा या सेवा नहीं मिलती है, तो सुपरस्पेशियलिटी के सेवा की तलाश में मरीज व उनके परिजन महानगरों की तरफ रूख बढ़ाते हैं।

    ऐसे मरीजों की संख्या कम नहीं बल्कि दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। सुपरस्पेशियलिटी अस्पतालों की सुविधा राजधानी में नहीं होने के कारण मरीजों को परेशानी हो रही है। इसलिए कल भी मरीज दिल्ली जाते थे और आज भी जाते हैं। फिर हम मरीजों की समस्या का निदान नहीं निकाल सके हैं।

    वहीं, प्रदेश से चिकित्सक की डिग्री भी लेने वाले नए डॉक्टर भी अपनी भविष्य की तलाश में प्रदेश के बाहर जा रहे हैं, जिन्हें हम रोकने में नाकाम है। सरकार को इस दिशा में गंभीरतापूर्वक सोचना होगा, ताकि प्रदेश के चिकित्सकों प्रदेश में बने रहने के साथ-साथ बाहरी चिकित्सक भी प्रदेश के अस्पतालों में योगदान दें।

    मेडिकल कॉलेजों में सीटों की संख्या में बढ़ोतरी के साथ-साथ मेडिकल कॉलेज की संख्या में वृद्धि करने की आवश्यकता है। तभी हम मरीजों की मांग को पूरा कर सकेंगे। उन्हें बेहतर चिकित्सा सेवा दे पाएंगे। पीजी सीटों की पढ़ाई सिर्फ रांची के रिम्स में होती है। अन्य मेडिकल कॉलेज में इसकी सुविधा नहीं है। इसलिए ऐसे और मेडिकल कॉलेज का शुभारंभ किया जाना चाहिए, जहां पीजी की पढ़ाई होती है।

    जमशेदपुर और धनबाद के मेडिकल कॉलेज में सिर्फ एमबीबीएस की पढ़ाई होती है, लेकिन अब तक पीजी के लिए मान्यता कॉलेज को नहीं मिल सकी है। साथ ही सदर अस्पताल को भी बड़े स्वरूप में उभारना होगा, ताकि मेडिकल कॉलेज पर कुछ हद तक दबाव कम हो सके। क्योंकि, रिम्स जैसे अस्पताल में रांची ही नहीं पूरे प्रदेश से मरीज आते हैं।"

    - डॉ. एसपी मुखर्जी

     (रिम्स के पूर्व विभागाध्यक्ष हैं )