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    Jharkhand News: वन क्षेत्र से माफिया इस तरह कर रहे बालू तस्करी, ढुलाई के लिए बना रखी है सड़क

    By Pradeep Singh Edited By: Kanchan Singh
    Updated: Wed, 19 Nov 2025 01:54 PM (IST)

    माफिया वन क्षेत्रों में सड़कें बनाकर बालू की तस्करी कर रहे हैं। यह बालू तस्करी का एक नया तरीका है, जिससे वन विभाग चिंतित है। वन विभाग इन अवैध सड़कों को नष्ट करने और तस्करों को पकड़ने के लिए कार्रवाई कर रहा है।

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    जंगली क्षेत्र में बालू का खनन कर ले जा रहे माफिया।


    -जंगल में बालू का बड़े पैमाने पर अवैध भंडारण
    प्रदीप सिंह, रांची । राजधानी रांची और इसके आसपास के क्षेत्रों में बालू माफिया पूरी तरह से बेखौफ होकर अवैध खनन और परिवहन का धंधा चला रहे हैं। रात-दिन हाइवा और ट्रैक्टरों की लंबी कतारें बिना रजिस्ट्रेशन नंबर के बालू लेकर दौड़ती दिखाई दे रही हैं।

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    सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि ये माफिया अब वन क्षेत्रों में भी कच्ची सड़कें बना रहे हैं ताकि बालू को आसानी से बाहर निकाला जा सके। रामगढ़ जिले के पतरातू प्रखंड स्थित टोकीसूद के घने जंगलों में बालू माफिया ने बड़े पैमाने पर बालू जमा कर रखा है।

    जंगलों के पेड़ काटकर अवैध रास्ते बनाए गए हैं। इस रास्ते पर भारी-भरकम हाइवा आसानी से चल रहे हैं। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि रात के अंधेरे में दर्जनों हाइवा बालू लादकर निकलते हैं और कोई रोकटोक करने वाला नहीं है।

    वन विभाग के अधिकारी बेबस, रोकने पर जान पर खतरा

    वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि वे लगातार विभाग के वरीय अधिकारियों को रिपोर्ट कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन और पुलिस से कोई सहयोग नहीं मिल रहा। एक वन अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि हम अकेले बगैर पुलिस बल के वहां नहीं जा सकते।

    माफिया हथियारबंद हैं और उनसे जान का खतरा है। ऊपर तक मिलीभगत है, इसलिए कोई कार्रवाई नहीं हो रही। अधिकारी ने बताया कि पतरातू के वन क्षेत्र में भी माफिया ने कई किलोमीटर लंबे अवैध रास्ते बना रखे हैं। इसकी तस्वीरें और वीडियो भी उपलब्ध है।

    पुलिस हर मोड़ पर वसूल रही चढ़ावा

    पुलिस के कई थाने और चौकी इस अवैध कारोबार में पूरी तरह शामिल हैं। हर मोड़ पर खड़े पुलिसकर्मी हाइवा चालकों से निर्धारित रेट के हिसाब से चढ़ावा वसूलते हैं। यही वजह है कि ज्यादातर हाइवा बिना नंबर प्लेट के खुलेआम घूम रहे हैं।

    इस पूरे मामले में सबसे ज्यादा किरकिरी वन विभाग की हो रही है। विभाग के पास न तो पर्याप्त बल है और न ही हथियार। ऊपर से प्रशासनिक सहयोग शून्य है। नतीजा यह है कि जंगल तेजी से खत्म हो रहे हैं और नदियों का जलस्तर गिर रहा है। पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंच रहा है, लेकिन बालू माफिया बेखौफ होकर अपना धंधा चला रहे हैं।