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    Rathyatra: जब भगवान जगन्नाथ पर क्रोधित हो जाती है मां लक्ष्मी, तोड़ देती है दिव्य रथ; पढ़ें रथयात्रा से जुड़ी रोचक घटना

    By Sujeet Kumar SumanEdited By:
    Updated: Tue, 13 Jul 2021 01:44 PM (IST)

    Rathyatra Jagannath Rathyatra Jharkhand News मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ मां लक्ष्मी के बिना ही बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलराम के साथ यात्रा पर निकल जाते हैं। बस इसी बात पर मां लक्ष्मी क्रोधित हो जाती हैं।

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    Rathyatra, Jagannath Rathyatra, Jharkhand News जगन्‍नाथ रथयात्रा को लेकर रोचक घटना।

    रांची, जासं। हरि अनंत हरि कथा अनंता...। विष्णु रूप भगवान जगन्नाथ को जगत का पालनकर्ता माना जाता है। सर्वशक्तिमान भगवान के सहस्त्र नाम हैं। जि‍तने रूप, उतनी ही कथाएं प्रचलित हैं। एक प्रसंग रथ यात्रा से जुड़ा है। जब जगत के स्वामी के व्यवहार से क्रोधित होकर मां लक्ष्मी उनके लिए धाम का द्वार बंद कर देती हैं। अर्धांगिनी के क्रोध के सामने प्रभु की एक नहीं चलती। काफी मान-मनौव्वल होती है, आगे से ऐसी भूल ना होने की शर्त पर ही प्रभु को धाम में प्रवेश मिलता है। रथयात्रा के साथ जुड़ी यह परंपरा कालांतर से निभाई जा रही है। ईश्वर की यह लीला काफी रोचक होती है।

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    धुर्वा स्थित जगन्नाथ मंदिर के पुजारी कौस्तुभ मिश्रा बताते हैं, दरअसल, मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ मां लक्ष्मी के बिना ही बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलराम के साथ यात्रा पर निकल जाते हैं। बस इसी बात पर मां लक्ष्मी क्रोधित हो जाती हैं। घूरती रथ यात्रा के दिन जब जगन्नाथ स्वामी अपने धाम लौटते हैं तो माता के विरोध का सामना करना पड़ता है। माता की आज्ञा से भाई बलराम और बहन सुभद्रा को तो धाम में प्रवेश करने दिया जाता है लेकिन जैसे ही प्रभु प्रवेश करने लगते हैं, मंदिर का द्वार बंद कर दिया जाता है। फिर चलता है मान-मनौव्वल का दौर। धुर्वा स्थित जगन्नाथ मंदिर में भी यह रस्म निभाई जाती है।

    यात्रा के तीसरे दिन ही तोड़ देती हैं प्रभु का दिव्य रथ

    रथ यात्रा पर नहीं ले जाने से माता का क्रोध सातवें आसमान पर होता है। मां के गुस्से का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि रथ यात्रा के तीसरे दिन पंचमी तिथि को मां लक्ष्मी खुद मौसीबाड़ी पहुंचती हैं और जगन्नाथ स्वामी के दिव्य रथ को तोड़ देती हैं। प्रभु चुपचाप देखते रहते हैं। माता के जाने के बाद फिर से रथ को ठीक करवाया जाता है। धुर्वा स्थित जगन्नाथ मंदिर के पुजारी कौस्तुभ मिश्रा के अनुसार पुरी की तर्ज पर यहां भी सारा विधान संपन्न होता है। इस बार घूरती रथ यात्रा 20 जुलाई को होगी।