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    कोयलांचल क्षेत्र में लंपी स्किन डिजीज का प्रकोप, दर्जनों पशुओं की मौत, पशुपालकों ने की तत्काल राहत की मांग

    Updated: Wed, 10 Sep 2025 03:15 PM (IST)

    रामगढ़ जिले के कोयलांचल क्षेत्र में लंपी स्किन डिजीज तेजी से फैल रही है जिससे पशुपालक परेशान हैं। पशुओं में बुखार त्वचा पर गांठें और दूध उत्पादन में कमी जैसे लक्षण दिख रहे हैं। पशुपालकों का आरोप है कि सरकारी मदद की कमी से स्थिति बिगड़ रही है। वे मुफ्त दवाएं टीकाकरण और चिकित्सा शिविरों की मांग कर रहे हैं।

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    लंपी बिमारी ने गौ पालकों की तोड़ी कमर,गाय-बैल इलाज के अभाव में तोड़ रहे हैं दम

    मनोज कुमार सिंह,लपंगा (रामगढ़)। रामगढ़ जिले के पतरातू प्रखंड अंतर्गत कोयलांचल क्षेत्र के भुरकुंडा, भदानीनगर और बासल गांवों में गाय-बैलों में लंपी स्किन डिजीज (एलएसडी) नामक गंभीर बीमारी तेजी से फैल रही है। जानकार बताते हैं कि यह संक्रामक वायरल रोग मच्छरों, मक्खियों और जुओं के माध्यम से फैलता है, जिससे पशुपालकों के सामने गंभीर आर्थिक और भावनात्मक संकट पैदा हो गया है।

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    मवेशियों में बुखार, त्वचा पर गांठें, सूजन, नाक-आंखों से पानी बहना, दूध उत्पादन में कमी और भूख न लगना जैसे लक्षण दिख रहे हैं। इन गांवों में अब तक दर्जनों पशुओं की मौत हो चुकी है, जबकि कई संक्रमित हैं। पशुपालकों का आरोप है कि सरकारी तंत्र की उदासीनता, समय पर दवाइयों और टीकाकरण की कमी ने स्थिति को और भयावह बना दिया है।

    स्थानीय पशुपालकों के अनुसार, बीमारी की रोकथाम के लिए न तो पर्याप्त पशु चिकित्सक उपलब्ध हैं और न ही सरकारी पशु अस्पतालों में जरूरी दवाएँ। पशुपालकों ने सरकार से तत्काल राहत, मुफ्त दवाएं, नियमित चिकित्सा शिविरों और टीकाकरण की मांग की है।

    जिला प्रशासन से पशु बाजारों पर पाबंदी लगाने और टीकाकरण को तेज करने का निर्देश देने का आग्रह किया है। समय रहते कदम नहीं उठाए गए, तो क्षेत्र की डेयरी अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ सकता है।

    भदानीनगर नीचे मार्केट के पशुपालक रितेश कुमार सिंह ने कहा मोहल्ले में कई गायें बीमार हैं, लेकिन पशु अस्पताल में डॉक्टरों की अनुपस्थिति से उन्हें बाजार से महंगी दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं। उन्होंने कहा कि बीमार पशुओं की देखभाल करते समय सावधानी बरतना जरूरी है। उनके संपर्क में आने के बाद हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोना चाहिए, ताकि संक्रमण अन्य पशुओं तक न फैले और बीमारी को फैलने से रोका जा सके।

    भुरकुंडा के पशुपालक अरविंद यादव ने कहा हम लोगों की आजीविका पूरी तरह पशुपालन पर निर्भर है, लेकिन सरकार की ओर से कोई सहायता नहीं मिल रही है। उन्होंने बताया कि संक्रमित पशुओं का दूध सीधे सेवन करना खतरनाक हो सकता है। दूध को कम से कम 100 डिग्री सेल्सियस पर उबालना चाहिए, ताकि वायरस और बैक्टीरिया नष्ट हो जाएँ। यह न केवल लंपी जैसी बीमारियों से बचाव के लिए बल्कि सामान्य स्वच्छता के लिहाज से भी बेहद जरूरी है।

    टेलीमान धौड़ा के दुग्ध व्यवसायी विनय कुमार गुप्ता ने कहा पशु चिकित्सक महीने-दो महीने में एक बार ही आते हैं, जबकि बीमारी हर रोज तेजी से फैल रही है। उनकी कई गायें मर चुकी हैं और दूध उत्पादन पूरी तरह से रुक गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि लंपी रोग पर नियंत्रण के लिए आवश्यक टीकाकरण अभियान चलाने की जगह सरकारी इलाज कागजों तक ही सीमित रह गया है। इस लापरवाही से दुग्ध विक्रेता बर्बादी की कगार पर पहुंच गए हैं।

    भुरकुंडा निवासी चंद्रेश्वर यादव ने कहा लंपी रोग के प्रसार पर रोक लगाने में लापरवाही साफ दिख रही है। टीकाकरण और दवाओं की भारी कमी है, वहीं जागरूकता अभियान भी नाकाफी साबित हो रहे हैं।

    उन्होंने चिंता जताई कि अगर स्थिति यूं ही बनी रही तो पशुपालकों को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। सरकार को चाहिए कि तुरंत ठोस कदम उठाए, दवा और वैक्सीन उपलब्ध कराए, ताकि बीमारी पर काबू पाया जा सके और पशुपालकों की आजीविका सुरक्षित रह सके। 

    सामाजिक कार्यकर्ता व गौ रक्षक मुकेश पांडेय अगर लंपी रोग को रोकने के लिए जल्द ठोस कदम नहीं उठाए गए तो पशुपालकों का नुकसान और बढ़ जाएगा, क्योंकि यह बीमारी तेजी से फैल रही है। उन्होंने कहा कि पशुशालाओं की नियमित सफाई और कीटनाशक छिड़काव बेहद जरूरी है, लेकिन फिलहाल सरकारी स्तर पर कोई ठोस मदद नहीं मिल रही है। उन्होंने प्रशासन से तुरंत हस्तक्षेप कर बीमारी पर नियंत्रण की मांग की।

    लंपी रोग केवल पशुओं तक सीमित है, यह इंसानों को प्रभावित नहीं करता। लेकिन संक्रमण को रोकने के लिए सतर्क रहना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि अब तक करीब एक हजार गाय-बैलों का सफल इलाज किया जा चुका है। लगातार जहां-जहां से सूचना मिल रही है, वहाँ त्वरित इलाज और टीकाकरण की व्यवस्था की जा रही है, ताकि पशुधन को सुरक्षित रखा जा सके और बीमारी पर नियंत्रण पाया जा सके।- भ्रमणशील पशु चिकित्सक डॉ. पंकज कुमार