Jharkhand Politics: टिकट कंफर्म नहीं हुआ तो याद आने लगा पुराना ठिकाना, भाजपा में मची सबसे अधिक खलबली
Lok Sabha Elections 2024 झारखंड में टिकटों के लिए नेताओं की कूद-फांद अपने चरम पर है। सबसे ज्यादा खलबली भाजपा में मची है। पुरानी पार्टी से टिकट मिलने की उम्मीदों पर पानी फिरने के बाद कई नेता इधर से उधर हुए। हालांकि अधिकांश नेताओं की दाल गली नहीं। ऐसे में अब ऐसे नेता घर वापसी की फिराक में हैं।
राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड में टिकटों के लिए नेताओं की कूद-फांद चरम पर है। सबसे ज्यादा खलबली भाजपा में है, जहां आसान जीत मानकर नेताओं ने एंट्री ली थी कि मोदी लहर पर सवार होकर दिल्ली पहुंच जाएंगे। ऐसे नेताओं का मनोरथ पूरा नहीं हुआ तो खलबली मची।
समर्थकों से लेकर नेताओं तक ने जुगाड़ लगाना आरंभ किया। ऐसी परिस्थिति में दलबदलू नेता अब अपने पुराने दल में टिकट की आस में लौट रहे हैं या राजनीतिक भविष्य के लिए सुरक्षित रास्ता तलाश रहे हैं।
पांच साल पहले भाजपा में गए राज्य सरकार के पूर्व मंत्री गिरिनाथ सिंह चतरा से टिकट की आस में फिर से लालू प्रसाद यादव के राजद में लौट चुके हैं। संभावना है कि पार्टी उन्हें वहां से प्रत्याशी भी घोषित कर दे। गिरिनाथ सिंह के मैदान में उतरने से मुकाबला रोमांचक होगा।
उधर पिछले लोकसभा चुनाव में झामुमो से भाजपा में आकर इस बार कांग्रेस का झंडा थामने वाले जेपी पटेल हजारीबाग से टिकट पा गए। जेपी पटेल भी लोकसभा चुनाव की टिकट की कतार में थे। उधर बात नहीं बनी तो प्रतिद्वंद्वी दल में सहारा लिया।
भाजपा ने दुमका से झामुमो की सीता सोरेन को टिकट देकर निवर्तमान सांसद सुनील सोरेन को निराश किया। वह भी आगे का रास्ता तलाश रहे हैं। झामुमो ने दुमका से नलिन सोरेन को प्रत्याशी घोषित कर दिया है, ऐसे में सुनील सोरेन के अगले रुख पर नजर होगी।
वे भाजपा से नाराज भी बताए जाते हैं। पार्टी चुनाव समिति की बैठक में भी वे नहीं गए। कुछ अन्य नेताओं का भी ऐसा ही हाल है। यह सिलसिला अभी और आगे बढ़ सकता है।
टिकट की आस में गए नेताओं को झटका
लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने के पहले पूर्व सांसद घूरन राम ने भाजपा ज्वाइन किया। उन्हें आशा थी कि टिकट मिल सकता है, लेकिन निराशा हाथ लगी। वे भी छिटक सकते हैं।
सिंहभूम से गीता कोड़ा को प्रत्याशी घोषित किए जाने के बाद भाजपा ने उन नेताओं को झटका लगा है जो टिकट की आस में थे। बड़कुंवर गगराई की हाल ही में भाजपा में वापसी हुई थी। वे निराश हैं।
चक्रधरपुर से झामुमो के पूर्व विधायक शशिभूषण सामड भी भाजपा में गए थे। वे टिकट की आस लगाए हुए थे, लेकिन मनोकामना पूरी नहीं हुई। कयास लगाया जा रहा है कि वे पुराने दल में आ सकते हैं।
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