चारा घोटाले में पूर्व मुख्य सचिव दुबे की गवाही, कहा-जांच टीम पहुंची तो भूसे के ढेर में छुपाया पैसा
चारा घोटाले में सीबीआइ की ओर से पूर्व मुख्य सचिव व वित्त विभाग के आयुक्त सह सचिव रहे वीएस दुबे की गवाही दर्ज की गई।
जागरण संवाददाता, रांची। डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित चारा घोटाला मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव आज सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश प्रदीप कुमार की अदालत में पेश हुए। इस मामले में सीबीआइ की ओर से पूर्व मुख्य सचिव व वित्त विभाग के आयुक्त सह सचिव रहे वीएस दुबे की गवाही दर्ज की गई। गवाही में उन्होंने पशुपालन घोटाला के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जब जांच टीम को भेजा गया तो चाईबासा जिले के पशुपालन विभाग के अधिकारियों में भगदड़ मच गई। लोग इधर-उधर भागने लगे थे। आलमीरा से रुपये निकल रहे थे आदि बातें बताईं।
कोर्ट में लालू प्रसाद की ओर से अधिवक्ता प्रभात कुमार ने गवाह से जिरह की। दुबे ने कहा कि गड़बड़ी की शिकायत मिली। जांच के लिए चाईबासा टीम को भेजा तो पशुपालन अधिकारी पैसे आदि लेकर जहां तहां भागे। बोरे में पैसे भरकर भूसे के ढेर में छुपाए मिले। एक व्यक्ति अटैची छोड़कर भागा, जिसमें 30 लाख रुपये मिले।अदालत की अनुमति से लालू प्रसाद ने भी न्यायालय में पक्ष रखा। लालू ने अदालत से कहा कि कंट्रोलिंग अफसर व सीएजी को सीबीआई ने छोड़ दिया। लेखा का संधारण व देखभाल करना एकाउंटेंट जनरल को जिम्मेदारी थी। महालेखागार ने दायित्वों का निर्वहन नहीं किया। सीएजी ने जो 1992-93 में रिपोर्ट जारी की है, उसमें कपटपूर्ण निकासी की बात कहीं नहीं है। कहीं लिखित में भी कपटपूर्ण निकासी की बात नहीं आई है।
दुमका कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित चारा घोटाला कांड संख्या आरसी 38ए/96 में सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत में लालू प्रसाद सहित अन्य आरोपियों की पेशी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से हुई। इस मामले में आरोपी बेक जूलियस की ओर से बहस हुई।
चारा घोटाले के दो मामलों में लालू प्रसाद बुधवार को भी कोर्ट में पेश हुए थे। सीबीआइ के दो अलग-अलग विशेष कोर्ट में उनकी पेशी हुई। अदालत में पेश होने के लिए पहुंचे लालू प्रसाद कोर्ट परिसर में गाड़ी से उतरे, साथ ही कार्यकर्ताओं को चेताया। कहा, मीडियाकर्मियों का सम्मान करें। उन्हें कोई धक्का नहीं देगा। इसके बाद लालू ने कोर्ट परिसर में कार्यकर्ताओं से बातचीत की।
गवाही के दौरान लालू के अलावा पूर्व सांसद डॉ. आरके राणा, लोक लेखा समिति के तत्कालीन अध्यक्ष जगदीश शर्मा सहित अन्य आरोपी बेक जूलियस, फूलचंद सिंह, मो. सईद, त्रिपुरारी मोहन प्रसाद, दयानंद कश्यप सहित न्यायिक हिरासत में रहे अन्य आरोपियों को भी पेश किया गया। यह मामला डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ रुपये अवैध निकासी से संबंधित है।
वहीं, चारा घोटाला के डोरंडा कोषागार मामले में सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश प्रदीप कुमार की अदालत में सीबीआइ की ओर से वित्त विभाग के तत्कालीन अपर सचिव इंदू भूषण पाठक ने गवाही दी। सीबीआइ के वरीय विशेष लोक अभियोजक बीएमपी सिंह के अनुसार इंदू भूषण पाठक ने न्यायालय को बताया है कि लोकसभा सदस्य रामशरण यादव ने चारा घोटाला से संबंधित मामले को लोकसभा में उठाया था, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इंदू भूषण 464वां गवाह के रूप में उपस्थित हुए थे। इसके पूर्व में चाईबासा कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित चारा घोटाला कांड संख्या आरसी 20ए/96 के मामले में इंदू भूषण पाठक की गवाही दर्ज की गई थी।
उस गवाही की प्रति को डोरंडा कोषागार से अवैध निकासी से संबंधित चारा घोटाला कांड संख्या आरसी 47ए/96 मामले में अदालत में एडॉप्ट किया गया। बीएमपी सिंह ने बताया कि इंदू भूषण पाठक द्वारा दिए गवाही में इस बात का जिक्र है कि लोकसभा सदस्य रामशरण यादव द्वारा लोकसभा में पूछे गए प्रश्न जो बिहार के पशुपालन विभाग में गड़बडि़यों से संबंधित था, उसे देखा गया और उस पर टिप्पणी की। लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने तत्कालीन सचिव महेश प्रसाद, राज्यमंत्री भोलाराम तूफानी एवं तत्कालीन कैबिनेट मंत्री चंद्रदेव प्रसाद की टिप्पणी की भी न्यायालय में पहचान की। पूर्व में महेश प्रसाद की ओर से जिरह के बिंदु को भी अदालत द्वारा एडॉप्ट किया गया।
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