इन 10 बैंकों के लाखों ग्राहक हैं परेशान, मर्जर के एक साल बाद भी जूझ रहे इन समस्याओं से
Bank Merger Jharkhand Samachar खाताधारकों के बैंकों के नाम आइएफएससी कोड एमआइसीआर कोड व ग्राहक आइडी बदल गए हैं। लेकिन कोर बैंकिंग सोल्यूशन के मर्जर के बाद से बैंकिंग सिस्टम तकनीकी समस्याओं से जूझ रहा है। इनमें इलाहाबाद बैंक कॉरपोरेशन बैंक यूनाइटेड बैंक आदि के ग्राहक परेशान हैं।

रांची, [विक्रम गिरि]। Bank Merger, Jharkhand Samachar बीते साल एक अप्रैल 2020 को हुए 10 सरकारी बैंकों के विलय को अब एक वर्ष से अधिक का समय हो गया है। लेकिन इन बैंकों में व्यवस्था अब तक पूरी तरह से पटरी पर नहीं लौट सकी है। खाताधारकों के बैंकों के नाम, आइएफएससी कोड, एमआइसीआर कोड व ग्राहक आइडी बदल गए हैं। लेकिन कोर बैंकिंग सोल्यूशन के मर्जर के बाद से बैंकिंग सिस्टम तकनीकी समस्याओं से जूझ रहा है। लिहाजा इन बैंकों के लाखों ग्राहकों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें पासबुक अपडेट, एफडी क्लोजर, मोबाइल, इंटरनेट बैंकिंग व एटीएम से जुड़ी समस्याएं हैं। इसके अलावा ग्राहकों के मुताबिक बैंकों द्वारा सही तरह से जागरुक नहीं किए जाने की वजह से भी उन्हें अधिक दिक्कतें हो रही हैं।
इन बैंकों का हुआ है मर्जर
इस मेगा मर्जर के तहत ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया का पंजाब नेशनल बैंक (PNB) में, सिंडिकेट बैंक का केनरा बैंक में, आंध्रा बैंक व कॉरपोरेशन बैंक का यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में और इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक में विलय किया गया है।
मर्जर के बाद आ रहीं ये दिक्कतें
1. मर्जर के बाद बैंकों में अधिकतर तकनीकी दिक्कतें आ रही हैं। इसके अलावा ग्राहकों में जागरुकता की कमी के कारण भी परेशानी हो रही है।
2. कई बैंकों में सॉफ्टवेयर अपग्रेड होने के बाद कस्टमर की पूरी डिटेल्स नहीं आ रही है। इस कारण पासबुक प्रिंटिंग, बैलेंस का सही ढंग से ना छपना आदि समस्याएं हो रही हैं।
3. एनईएफटी/आरटीजीएस या फिर डिमांड ड्राफ्ट जो इश्यू हुए हैं, इनमें दिक्कतें आ रही है। कई लोगों की शिकायतें आ रही हैं कि लोन का पैसा नहीं कट रहा है। हालांकि इसकी एक वजह ग्राहकों में जागरूकता की कमी भी है।
3. मर्जर के बाद बैंकों के मोबाइल एप्लीकेशन एक्सेस, ऑनलाइन बैंकिंग थ्रू वेब पोर्टल में भी समस्याएं आ रही हैं।
4. कई बैंकों में लोन अप्रूवल में सॉफ्टवेयर डिलेयिंग प्रोसेसिंग की समस्या आ रही है। हालांकि कुछ बैंकों में यह सही तरीके से काम कर रहा है।
और क्या-क्या हो रही परेशानी
आइएफएससी कोड बदलने के बाद उपभोक्ताओं को बैंक द्वारा मैसेज के जरिए इसकी जानकारी दे दी गई है। लेकिन वैसे उपभोक्ता जिनका केवाइसी पूरा नहीं हुआ था, उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा वैसे खाताधारक जो किसी कंपनी में काम करते हैं, आइएफएससी कोड बदलने के बाद उन्हें अपनी बैंक संबंधित जानकारियां अपडेट करनी पड़ रही हैं। ऐसे में यह भी उनके लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। इसके अलावा कई बैंकों में दोबारा ई-केवाइसी कराए जाने के कारण भी लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, कई उपभोक्ताओं की यह भी शिकायत है कि वे मर्जर के बाद मौजूदा एटीएम का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं। हालांकि इस पर बैंक के बड़े अधिकारियों का कहना है कि इसका कारण मर्जर नहीं है। अगर किसी ग्राहक का एटीएम काम नहीं कर रहा है, तो इसकी कुछ और वजह हो सकती है।
क्या है सीबीएस मर्जर
सीबीएस यानि कोर बैंकिंग सोल्यूशन। दरअसल, अलग-अलग बैंकों में अलग सॉफ्टवेयर पर काम होता है। इसे सीबीएस कहते हैं। इसमें खाताधारक की पूरी जानकारी होती है।
मर्जर के बाद ये चार चीजें बदली हैं
- बैंक का नाम
- एमआइसीआर कोड
- आइएफएससी कोड
- ग्राहक आइडी में आंशिक परिवर्तन हुआ है।
ग्राहकों का क्या है कहना
आइएफएससी कोड बदल जाने से अकाउंट में सैलरी आनी बंद हो गई। फिर कंपनी में आइएफएससी कोड अपडेट करने पर समस्या दूर हुई। पहले अपर बाजार में बैंक की शाखा थी। अब वह बदल गई है। -महेंद्र कुमार प्रसाद, यूनियन बैंक के ग्राहक।
एटीएम काम नहीं कर रहा है। दो महीने से एप्लीकेशन भी काम करना बंद कर दिया है। काफी परेशानी हो रही है। नया पासुबक नहीं मिला है। -आशीष गोस्वामी, पीएनबी, पहले ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के ग्राहक।
बैंक द्वारा दोबारा ई केवाइसी के लिए कहा जा रहा है। अभी एक महीने पहले ब्रांच गए थे। पासबुक भी अपडेट नहीं हो पाया। इसके बाद दोबारा जा नहीं पाया हूं। नया पासबुक नहीं मिला है। -अजय मिश्रा, पहले इलाहाबाद बैंक, अब इंडियन बैंक।
इलाहाबाद के इंडियन बैंक होने के बाद से नया पासबुक नहीं मिला है। कोड बदलने की जानकारी मैसेज से प्राप्त हुई है। चेकबुक का इस्तेमाल हाल के दिनों में नहीं किए हैं। -ममता देवी, उपभोक्ता, इलाहाबाद बैंक, अब इंडियन बैंक।
मर्जर के एक साल बाद भी दूर नहीं हो पाई हैं तकनीकी समस्याएं, ग्राहकों को हो रही परेशानी
मर्जर को पूरे एक साल हो गए हैं। इस पूरी प्रक्रिया में सात-आठ महीने का समय लगा। कोविड महामारी के कारण यह समय थोड़ा अधिक लगा। अभी सबकुछ स्मूथ हो गया है। चेकबुक, पासबुक आदि कोई समस्या नहीं है। कुछ छोटे-मोटे इश्यू आते हैं, तो उन्हें तुरंत ही दूर किया जाता है। -आनंद कुमार, रिजनल हेड, यूनियन बैंक।
इस साल फरवरी में सीबीएस का मर्जर हुआ। दो-तीन दिन थोड़ी परेशानी हुई। लेकिन उसके बाद सब ठीक है। जैसे-जैसे ग्राहक ब्रांच पहुंच रहे हैं, उन्हें नया पासबुक दिया जा रहा है। छोटी-मोटी समस्या आने पर उसे दूर भी किया जा रहा है। -कुमार मानवेंद्र, चीफ मैनेजर, जोनल ऑफिस, इंडियन बैंक।
झारखंड में किस बैंक की कितनी शाखाओं का हुआ विलय
सबसे बड़ा विलय इलाहाबाद बैंक और इंडियन बैंक के बीच हुआ है। इसमें इलाहाबाद बैंक की झारखंड-बिहार की 383 शाखाओं का विलय इंडियन बैंक में किया गया है। इसके रीजन में इस बैंक की कुल 475 शाखा हो गईं है। इसके बाद ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स के 36 और यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया के 76 शाखा का विलय पंजाब नेशनल बैंक में हुआ है। इसके अलावा केनरा बैंक की 143 शाखा का विलय सिंडिकेट बैंक में व यूनियन बैंक ऑफ इंडिया बैंक की 85 शाखा, आंध्रा बैंक की 26 शाखा, और कॉरपोरेशन बैंक की 14 शाखा मिलकर एक हो गए हैं।
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