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    मोर्चा की मांग, कुरमी/कुडमी को भी एसटी में शामिल करने का प्रस्ताव पारित कर केंद्र को भेजे सरकार

    By Sujeet Kumar SumanEdited By:
    Updated: Sat, 07 Nov 2020 03:14 PM (IST)

    Jharkhand News कुरमी/कुडमी विकास मोर्चा के केन्द्रीय अध्यक्ष शीतल ओहदार ने कहा कि विधानसभा के विशेष सत्र में सरना धर्म कोड के साथ कुरमी/कुडमी (महतो) ज ...और पढ़ें

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    रांची में शनिवार को आयोजित प्रेस वार्ता में मौजूद सदस्‍य।

    रांची, जासं। झारखंड कुरमी/कुडमी विकास मोर्चा ने झारखंड सरकार से मांग की है कि कुरमी/कुड़मी(महतो) जाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने के प्रस्ताव को भी पारित करके केंद्र सरकार को भेजा जाए। शनिवार को आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कुरमी/कुडमी विकास मोर्चा के केन्द्रीय अध्यक्ष शीतल ओहदार ने कहा कि झारखंड सरकार द्वारा विशेष सत्र बुलाकर सरना धर्म कोड का प्रस्ताव पारित करने की पहल का कुरमी/कुड़मी समाज स्वागत करती है।

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    इससे आदिवासियों की धार्मिक पहचान को मान्यता मिलेगी। उन्होंने झारखंड सरकार से इसी विशेष सत्र में कुरमी/कुड़मी(महतो) जाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने के प्रस्ताव को भी पारित करके केंद्र सरकार को भेजने की मांग की है। कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा शुरू से ही कुरमी/कुड़मी (महतो) जाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में सूचीबद्ध करने की पक्षधर है।

    झारखंड मुक्ति मोर्चा के संविधान में ही इस मांग का उल्लेख है कि जब झारखंड राज्य में झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार बनेगी तो कुरमी/कुड़मी(महतो) जाति को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिलाया जाएगा। झामुमो के संस्थापक अध्यक्ष स्व. विनोद बिहारी महतो और झारखंड आंदोलन के महानायक एवं झामुमो के पूर्व केन्द्रीय अध्यक्ष शहीद निर्मल महतो की भी यह दृढ़ इच्छा था। आज कुरमी/कुड़मी(महतो) समाज हेमंत सरकार से मांग करती है कि स्व. विनोद बिहारी महतो और शहीद निर्मल महतो के सपने को साकार करे।

    1931 में मुंडा, उरांव, संथाल, हो, भूमिज, खड़िया, घासी, गोंड, कोद, कोरआ, कुरमी, माल सौरिया और पान प्रिमिटिव ट्राइब की सूची में शामिल थे। देश की आजादी के बाद 6 सितंबर 1950 को देश के संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत राष्ट्रपति ने उसी को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल किया जो 1931 में प्रिमिटिव ट्राइब की सूची में शामिल थी।

    लेकिन कुरमी/कुडमी (महतो) 1931 के प्रिमिटिव ट्राइब की सूची में रहते हुए भी अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल नहीं किए गए। इससे कुरमी/कुडमी (महतो) समाज अपने संवैधानिक अधिकार से वंचित रह गए। तब से लेकर आज तक टोटेमिक कुरमी/कुड़मी(महतो) जाति अनुसूचित जनजाति में शामिल होने के लिए आंदोलनरत हैं।