Kudmi VS Aadivasi: दिल्ली में गृहमंत्रालय संग जल्द वार्ता की मेज पर बैठेंगे कुड़मी आंदोलनकारी, ये सांसद-विधायक कर रहे नेतृत्व
कुड़मियों को अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) का दर्जा देने की मांग पर अड़े आंदोलनकारी संगठन जल्द ही दिल्ली में केंद्र सरकार के साथ वार्ता आरंभ करेंगे। गिरिडीह से आजसू पार्टी के सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी ओडिशा से राज्यसभा सदस्य ममता महतो जमशेदपुर के भाजपा सांसद विद्युतवरण महतो आजसू पार्टी के प्रमुख सुदेश महतो और जेएलकेएम के टाइगर जयराम महतो वार्ता के लिए केंद्रीय गृहमंत्रालय से समन्वय स्थापित कर रहे हैं।

राज्य ब्यूरो, रांची। कुड़मियों को अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) का दर्जा देने की मांग पर अड़े आंदोलनकारी संगठन जल्द ही दिल्ली में केंद्र सरकार के साथ वार्ता आरंभ करेंगे।
गिरिडीह से आजसू पार्टी के सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी, ओडिशा से राज्यसभा सदस्य ममता महतो, जमशेदपुर के भाजपा सांसद विद्युतवरण महतो, आजसू पार्टी के प्रमुख सुदेश महतो और झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेएलकेएम) के अध्यक्ष टाइगर जयराम महतो वार्ता के लिए केंद्रीय गृहमंत्रालय से समन्वय स्थापित कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि बीते सप्ताह कुड़मी संगठनों के रेल टेका, डहर छेका (रेल रोको, रास्ता रोको) कार्यक्रम के दौरान बड़े पैमाने पर रेल यातायात को प्रभावित किया था। देर रात केंद्रीय गृहमंत्रालय के आश्वासन पर कुड़मी संगठनों ने अनिश्चिकालीन आंदोलन वापस लेने की घोषणा की थी।
कुड़मी संगठनों की संयुक्त समिति के प्रमुख शीतल ओहदार के मुताबिक प्रमुख नेता केंद्रीय गृहमंत्रालय के संपर्क में हैं। एक सप्ताह के भीतर आंदोलनकारियों को वार्ता के लिए दिल्ली बुलाया जा सकता है।
ओहदार ने बताया कि वार्ता में केंद्र सरकार के रुख को देखते हुए आगे की रणनीति तय होगी। अगर केंद्र सरकार का रुख सकारात्मक नहीं रहा तो आंदोलन तीव्र रूप लेगा।
आंदोलन की सफलता से उत्साह
बीते सप्ताह कुड़मी संगठनों ने कार्यक्रम के तहत झारखंड के प्रमुख रेल मार्गों पर धरना दिया। हटिया-रांची, बोकारो-कोडरमा और धनबाद-गिरिडीह समेत अन्य रेलमार्ग पर हजारों आंदोलनकारियों ने ट्रेनें रोकीं, जिससे रेल यातायात ठप हो गया।
यात्रियों को घंटों परेशान होना पड़ा और सामान से लदी ट्रेनें रुकी रहीं। इससे केंद्र सरकार पर भारी दबाव पड़ा, क्योंकि आंदोलन ने आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित किया।
देर रात केंद्रीय गृहमंत्रालय के अधिकारियों ने फोन पर आश्वासन दिया कि मांगों पर गंभीरता से विचार किया जाएगा और वार्ता का मार्ग प्रशस्त होगा।
इसके बाद कुड़मी संगठनों की संयुक्त समिति ने अनिश्चितकालीन आंदोलन स्थगित करने की घोषणा की। समुदाय की मांग स्पष्ट है कि कुड़मियों को एसटी का दर्जा मिले।
यह वार्ता कुड़मी आंदोलन के लिए मील का पत्थर साबित हो सकती है। यदि केंद्र सहमत होता है तो इसे लेकर नये सिरे से राजनीतिक विवाद आरंभ होगा। वार्ता के परिणाम पर काफी कुछ निर्भर करता है।
क्या है मुद्दा?
कुड़मी समुदाय आदिवासी का दर्जा चाहता है। संगठनों का दावा है कि संविधान बनने से पहले वर्ष 1931 की जनगणना तक इन्हें आदिवासी सूची में माना गया था।
झारखंड में कितने जनप्रतिनिधि
- झारखंड से दो लोकसभा सांसद
- एक राज्यसभा सांसद
- 10 विधायक
कौन -कौन दल कर रहा खुला समर्थन
आजसू पार्टी और जेएलकेएम ने खुलकर पक्ष लिया है। अन्य दलों का रवैया स्पष्ट नहीं है।
संभावित असर
चुनावी समीकरण बदल सकते हैं । क्योंकि कई सीटों पर कुड़मी वोटर निर्णायक हैं।
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