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Jharkhand News साइबर ठग अब क्लोन चेक के जरिये सरकारी खातों से करोड़ों रुपये उड़ा रहे हैं। झारखंड में तीन ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। पहला मामला गढ़वा में सामने आया जहां भू-अर्जन के बैंक खाते से साइबर ठगों ने 12 करोड़ 60 लाख रुपये की रकम उड़ा ली।

रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand News, Cyber Frauds in India, Jamtara Cyber Crime in Jharkhand अलग-अलग तरीकों से लोगों को झांसे में लेकर उनके बैंक खातों से माल उड़ाने वाले शातिर साइबर ठगों की नजर अब सरकारी खजाने पर भी है। साइबर ठग अब क्लोन चेक के जरिये सरकारी खातों से करोड़ों रुपये उड़ा रहे हैं। झारखंड में एक-एक कर लगातार तीन ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। पहला मामला गढ़वा में सामने आया, जहां भू-अर्जन विभाग के बैंक खाते से साइबर ठगों ने 12 करोड़ 60 लाख रुपये की रकम उड़ा ली। जिले के खरौंधी थाना क्षेत्र में बनने वाले डोमनी बराज में जमीन अधिग्रहण के दौरान जिन रैयतों की जमीन ली गई थी, उन्हें बतौर मुआवजा यह रकम दी जानी थी।
इसी तरह गुमला में समेकित जनजाति विकास अभिकरण (आइटीडीए) के खाते से अपराधियों ने 09.05 करोड़ रुपये की निकासी कर ली थी। ताजा मामला रामगढ़ में सामने आया है, जहां तीन चेक के माध्यम से रामगढ़ बीडीओ के सरकारी खाते से 78 लाख सात हजार रुपये की निकासी कर ली गई है। इससे पहले बोकारो में पिछले वर्ष क्लोन चेक के जरिये जिला परिषद बोकारो के खाते से 2 लाख 27 हजार 300 तथा जिला योजना समिति के खाते से 2 लाख 90 हजार की राशि की निकासी हुई थी।
जिला परिषद के मामले में बोकारो पुलिस ने दो लोगों को पटना से गिरफ्तार किया था। दोनों मामले बैंक ऑफ बड़ौदा के चास ब्रांच के हैं। उधर, इन घटनाओं से सबक लेकर धनबाद नगर निगम ने चेक से भुगतान पर रोक लगा दी है। अब यहां आरटीजीएस और ऑनलाइन ट्रांजेक्शन से ही भुगतान हो रहा है। साथ ही 10 लाख से ऊपर के ट्रांजेक्शन के लिए नगर आयुक्त के एप्रूवल को अनिवार्य कर दिया गया है।
पटना और कोलकाता में तैयार होते हैं क्लोन चेक
सीआइडी ने गढ़वा मामले में गणेश लोहरा, पंकज तिग्गा, मनीष जैन, मनीष पांडेय, रामकुमार तिवारी, इकबाल और एक अन्य को गिरफ्तार किया है। सीआइडी को सूचना है कि कोलकाता व पटना में क्लोन चेक तैयार होता है। सीआइडी क्लोन चेक तैयार करने वालों तक पहुंचने की कोशिश में है।
प्रवर्तन निदेशालय भी कर रहा मामले की जांच
पलामू में भू-अर्जन विभाग के खाते से 12 करोड़ 60 लाख रुपये की निकासी मामले की जांच प्रवर्तन निदेशालय भी कर रहा है। जानकारी मिली है कि शीतल कंस्ट्रक्शन कंपनी के फेडरल बैंक, पुणे और अमित चंदू लाल पटेल के एक्सिस बैंक, ओडिशा के खाते में ये रुपये स्थानांतरित किए गए थे, जिसकी जांच अभी जारी है।
फैक्ट फाइल
केस एक : समेकित जनजाति विकास अभिकरण गुमला के अपर परियोजना निदेशक ने 1 अक्टूबर 2019 को गुमला थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि समेकित जनजाति विकास अभिकरण गुमला के खाते से एसबीआइ गुमला से जारी चेक पर फर्जी तरीके से नौ करोड़, पांच लाख 16 हजार रुपये ओडिशा में एक्सिस बैंक के कोटपाद शाखा के एक खाते में स्थानांतरित कर दिए गए। एक ही व्यक्ति ने दो फर्जी हस्ताक्षर से इस राशि की निकासी की है। प्राथमिकी में एसबीआइ की गुमला शाखा में कार्यरत संबंधित कर्मी-पदाधिकारी को आरोपित बनाया गया है।
केस दो : गढ़वा के विशेष भू-अर्जन कार्यालय के मेदिनीनगर एसबीआइ में स्थित बैैंक खाते से 12.60 करोड़ रुपये गायब हो गए थे। इस मामले में भू अर्जन विभाग का नाजिर जेल भेजा गया था। इस पूरे प्रकरण में नाजिर रमाशंकर सिंह उर्फ रविशंकर, तत्कालीन विशेष भू अर्जन पदाधिकारी बंका राम, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की कचहरी शाखा के पूर्व मुख्य प्रबंधक, फर्जी संस्थान शीतल कंस्ट्रक्शन व फर्जी निकासी करने वाले चंदूलाल पटेल समेत सात लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया है।
केस तीन : रामगढ़ की प्रखंड विकास पदाधिकारी एनी रिंकू कुजूर ने तीन फरवरी को रामगढ़ थाने में अज्ञात के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है। उन्होंने दर्ज प्राथमिकी में बताया है कि रामगढ़ बीडीओ के देना बैैंक में स्थित सरकारी खाते से तीन चेक के माध्यम से 78 लाख 07 हजार रुपये की निकासी की जा चुकी है।
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