Birsa Mrig Vihar Ranchi: कुछ पल सुकून के बिताना चाहते हैैं, तो चले आइए बिरसा मृग विहार
विहार में हिरणों को कुलांचे मारते देखना आपको अंदर से ऊर्जा से भर देगा। दूर-दूर तक हिरणों को अठखेलियां करते देख सकते हैं। पार्क में 45 सांभर और 129 चितल हैं।
रांची, [जागरण स्पेशल]। यूं तो झमाझम बारिश हो रही है। चारों ओर हरियाली है। लेकिन जीवन की अपनी चाल होती है। शहर की आपाधापी होती है। ऐसे में जब मन उब जाए तो क्या करें। संयोग से राजधानी रांची के आसपास ऐसे बहुतेरे इलाके हैैं जहां आप वीकेंड में जाकर अपने आप को तरोताजा कर सकते हैैं। ऐसी ही एक जगह है बिरसा मृग विहार। रांची-खूंटी मार्ग में रांची से 35 किमी दूरी पर मुख्य पथ से सटा हुआ। घने जंगलों के बीच स्थित है बिरसा मृग विहार। विहार में हिरणों को कुलांचे मारते देखना आपको अंदर से ऊर्जा से भर देगा।
रांची से बस से तो आप पहुंच ही सकते हैैं। अब ऑटो, ई-रिक्शा से भी जाया जा सकता है। अपनी गाड़ी हो तो फिर क्या कहने। सफायर स्कूल के आगे चौड़ी सड़कें, सड़के के दोनों किनारे घने पेड़। आपको ऐसा लगेगा कि ये पेड़-पौधे आपकी स्वागत में तैयार खड़े हैैं। जंगल से पक्षियों की आवाज मन को मोहने लगती है। बिरसा मृग विहार पहुंचने पर बड़ा सा गेट मिलता है।
जब आप गेट के अंदर दाखिल होते हैैं तो सारा तनाव, सारी चिंता क्षणभर में दूर हो जाती हैैं। 54 एकड़ में फैले बिरसा मृग विहार में हिरणों को झुंड में विचरण करते देखना मन को प्रफुल्लित कर देता है। पार्क के अंदर तीन बड़े वाच टावर लगे हैं। जहां से दूर-दूर तक हिरणों को अठखेलियां करते देख सकते हैं। पार्क में 45 सांभर और 129 चितल हैं।
मन मोहने वाला मनोरम दृश्य
पार्क का मनोरम दृश्य भी मन को मोहने वाला होता है। पार्क के बगल में ही कल-कल करती कांची नदी है। बरसात का समय है तो नदी में पानी भी भरा हुआ है। कांची नदी को निहारना आंखों को सुकून देता है। पार्क घूमने के बाद थोड़ा आराम करने के लिए खूबसूरत रेस्ट हाउस बने हैं। जहां आप बैठकर आराम कर सकते हैं। भूख लगी है तो पार्क में कैंटीन भी है। यहां आपको खाने-पीने की सभी चीजें मिल जाएंगी।
चिल्ड्रेन पार्क में लगे हैैं झूले
पार्क में चिल्ड्रेन पार्क भी है। यहां तरह-तरह के झूले लगे हैैं। वयस्कों को 5 रुपये एवं बच्चों को 2 रुपये का टिकट प्रवेश शुल्क के रूप में देना पड़ता है। डियर पार्क सुबह 9 से शाम 5 बजे तक खुला रहता है। गुरुवार को पार्क की साप्ताहिक बंदी रहती है।
स्वयंभू शिवलिंग के भी कर सकते हैैं दर्शन
रांची से आप बिरसा मृग विहार जा रहे हैैं तो कालामाटी भी जा सकते हैैं। यह रांची-खूंटी मुख्य पथ पर ही स्थित है। कालामाटी गांव से एक किमी की दूरी पर स्थित है स्वयंभू शिवलिंग। माना जाता है कि डुमरा गांव के पहान चन्दा को गाय चराते हुए जंगल में शिवलिंग के दर्शन हुए थे। आम के पेड़ में शिवलिंग स्थित है। पहले डूंगरा एवं कालामाटी गांव के ग्रामीण यहां पूजा करने आते थे। अब यहां दूर-दूर से लोग पूजा करने आते हैैं।
यह स्थान आज मारीबुरू उली बाबा के नाम से प्रसिद्ध है। सावन मास में अमरेश्वर धाम जानेवाले भक्त भी यहां दर्शन करने आते हैैं। सावन में यहां भक्तों की भीड़ उमड़ती है। रांची-खूंटी मुख्य मार्ग से उली बाबा तक जाने के लिए पक्की सड़क बनी हुई है। ग्रामीणों का कहना है कि यहां जो भी मन्नत मांगी जाती है वह पूरी होती है।