झारखंड में दिव्यांगता प्रमाण पत्र से खत्म होगा 'प्रतिशत'!, UDID कार्ड बनाने की पूरी प्रक्रिया और समय-सीमा
झारखंड सरकार ने दिव्यांगजनों के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। अब दिव्यांगता प्रमाण पत्र में प्रतिशत आधारित श्रेणी खत्म होगी। झारखंड ऐसा करने वाला पहला राज ...और पढ़ें

दिव्यांगता प्रमाण पत्र कैसे बनता है
डिजिटल डेस्क, रांची। झारखंड सरकार ने दिव्यांगजनों के अधिकारों को लेकर एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए कहा है कि दिव्यांगता प्रमाण पत्र से प्रतिशत आधारित श्रेणी पूरी तरह खत्म कर दी जाएगी। इसके साथ ही झारखंड देश का पहला ऐसा राज्य बन जाएगा जहां 10%, 20% या 50% सभी दिव्यांग एक ही श्रेणी में माने जाएंगे और सभी को समान अधिकार दिया जाएगा।
इसके बारे में झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने घोषणा की। जिसके बाद हर कोई जानना चाहता है कि दिव्यांग व्यक्तियों के लिए दिव्यांगता प्रमाण पत्र बनाने की पूरी प्रक्रिया क्या है और इस बनने में कितना समय लगता है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि दिव्यांग व्यक्तियों के लिए दिव्यांगता प्रमाण पत्र प्राप्त करने की प्रक्रिया अब और अधिक सुव्यवस्थित और सुलभ हो गई है। केंद्र सरकार ने इस संबंध में विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिसके अनुसार आवेदक ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से आवेदन कर सकते हैं।
आवेदन कैसे करें?
ऑनलाइन आवेदन: इच्छुक व्यक्ति यूनीक डिसेबिलिटी पहचान पोर्टल (www.swavalambancard.gov.in) के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
ऑफलाइन आवेदन: आवेदक अपने आवेदन पत्र को ऑफलाइन भी जमा कर सकते हैं।
आवेदन के साथ निम्नलिखित दस्तावेज संलग्न करना अनिवार्य
निवास का प्रमाण
हाल ही में पासपोर्ट आकार के दो फोटो (जिसमें चेहरा साफ दिखता हो, दिव्यांगता दिखाने की आवश्यकता नहीं है)
आधार नंबर या आधार नामांकन संख्या, यदि उपलब्ध हो। (नोट: जिसके पास आधार नामांकन संख्या है, उससे निवास का कोई और सबूत आवश्यक नहीं होगा।)
प्रमाण पत्र जारी करने वाला प्राधिकारी
दिव्यांगता प्रमाण पत्र मुख्य/जिला चिकित्सा पदाधिकारी या किसी अन्य अधिसूचित सक्षम पदाधिकारी द्वारा आवेदक के निवास के जिले या प्रखण्ड में जारी किया जाएगा।
प्रक्रिया और समय-सीमा
चिकित्सा प्राधिकारी, प्राप्त जानकारी को सत्यापित करेंगे और राज्य सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार दिव्यांगता का मूल्यांकन करेंगे।
आवेदन प्राप्त होने की तिथि से एक माह के भीतर दिव्यांगता प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा।
यदि कोई आवेदक अयोग्य पाया जाता है, तो चिकित्सा प्राधिकरण को आवेदन प्राप्त होने की तिथि से एक माह के भीतर लिखित रूप में कारण बताना होगा (प्रपत्र-8 के तहत)।
विशेषज्ञों की अनुपलब्धता होने पर, प्रखण्ड स्तर के अस्पताल के मेडिकल ऑफिसर द्वारा आवेदन को 15 दिनों के भीतर जिला स्तर पर भेजा जाएगा।
अपील का प्रावधान
यदि कोई व्यक्ति प्रमाण पत्र जारी करने वाले प्राधिकरण के निर्णय से संतुष्ट नहीं है, तो वह निर्णय की तिथि से नब्बे दिनों के भीतर राज्य सरकार द्वारा नियुक्त अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष अपील कर सकता है। अपीलीय प्राधिकारी को अपील प्राप्त होने की तिथि से साठ दिनों के अंदर निर्णय करना होगा।
इन नए नियमों से दिव्यांग व्यक्तियों को आवश्यक प्रमाण पत्र प्राप्त करने में होने वाली असुविधा कम होने की उम्मीद है, जिससे वे सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ आसानी से उठा सकेंगे।

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