सहायक आचार्य के 114 सीट रखें सुरक्षित, हाई कोर्ट ने जेएसएससी को दिया निर्देश
झारखंड हाई कोर्ट में सहायक आचार्य नियुक्ति परीक्षा में नार्मलाइजेशन फार्मूला लागू करने की प्रक्रिया के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई। अदालत ने पारा शिक्षकों के लिए 100 और गैर पारा शिक्षकों के लिए 14 सीट सुरक्षित रखने का निर्देश दिया है। अदालत ने मामले में झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) को विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस दीपक रोशन की अदालत में सहायक आचार्य नियुक्ति परीक्षा में नार्मलाइजेशन फार्मूला लागू करने की प्रक्रिया के खिलाफ दाखिल याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के बाद अदालत ने पारा शिक्षकों के लिए 100 और गैर पारा शिक्षकों के लिए 14 सीट सुरक्षित रखने का निर्देश दिया है।
अदालत ने मामले में झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) को विस्तृत जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अदालत ने मामले में अगली सुनवाई पांच अगस्त को निर्धारित की है। अदालत ने कहा है कि यह मामला कोर्ट के अंतिम आदेश से प्रभावित होगा।
सुनवाई के दौरान याचिका दाखिल करने वाले सभी 101 प्रार्थियों की ओर से ब्योरा कोर्ट में पेश किया गया। गिरिधर प्रसाद राउत और रेशमी कुमारी सहित अन्य की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार और अपराजिता भारद्वाज ने पक्ष रखा।
प्रार्थियों की ओर से कहा गया कि जेएसएससी द्वारा सहायक आचार्य नियुक्ति से संबंधित विज्ञापन में सरकार की ओर से बनाई गई नियमावली का उल्लंघन किया गया है। सरकार की ओर से पारा शिक्षकों के लिए 50 प्रतिशत सीटें आरक्षित की थीं।
उसी श्रेणी में पारा शिक्षक सहायक आचार्य की नियुक्ति के लिए आवेदन दिया था। जेएसएससी की ओर से सरकार द्वारा बनाई गई नियमावली का उल्लंघन करते हुए गैरवाजिब प्रविधानों के आधार पर पारा शिक्षकों एवं अन्य अभ्यर्थियों, जो गैर आरक्षित श्रेणी थे, उनपर भी नार्मलाइजेशन लागू कर दिया गया।
जब सरकार की ओर से पारा शिक्षकों के लिए 50 प्रतिशत सीटें आरक्षित थीं तो उनके वर्ग के लिए अलग से परीक्षा फल निर्धारित किया जाना था। लेकिन जेएसएससी ने ऐसा नहीं किया। 2500 सीट के विरुद्ध लगभग 400 पारा शिक्षकों का चयन किया गया है।
गैर पारा अभ्यर्थियों की ओर से शुभम मिश्रा और कुमार पवन ने पक्ष रखा। जेएसएससी के अधिवक्ता संजय पिपरवाल और प्रिंस कुमार सिंह ने अदालत को बताया कि नियुक्ति के विज्ञापन में सहायक आचार्य नियुक्ति परीक्षा नार्मलाइजेशन फार्मूला की जानकारी विज्ञापन में दी गई थी। इसे पहले ही चुनौती दी जानी चाहिए थी। इस पर अदालत ने सरकार और जेएसएससी से जवाब मांगा है।
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