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    अपराधी मयंक सिंह को भुरकुंडा का कटप्पा उपलब्ध कराता था झारखंड के कारोबारियों के नंबर, यहां जानिए-कौन है कटप्पा

    Updated: Sun, 21 Sep 2025 12:10 AM (IST)

    पुलिस रिमांड पर तीन दिनों तक पूछताछ के बाद झारखंड पुलिस का आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) ने शनिवार की शाम कुख्यात अपराधी सु नील सिंह मीणा उर्फ मयंक सिंह को न्यायिक हिरासत में उपकारा रामगढ़ भेज दिया है।एटीएस ने उसे मुख्य रूप से रामगढ़ के केरेडारी स्थित चट्टी बरियातू में ऋत्विक कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर बी. शरद बाबू की हत्या से संबंधित केस में रिमांड पर लिया था।

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    अपराधी मयंक सिंह को भुरकुंडा का कटप्पा उपलब्ध कराता था झारखंड के कारोबारियों के नंबर।

    राज्य ब्यूरो, रांची। पुलिस रिमांड पर तीन दिनों तक पूछताछ के बाद झारखंड पुलिस का आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) ने शनिवार की शाम कुख्यात अपराधी सुनील सिंह मीणा उर्फ मयंक सिंह को न्यायिक हिरासत में उपकारा रामगढ़ भेज दिया है।

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    एटीएस ने उसे मुख्य रूप से रामगढ़ के केरेडारी स्थित चट्टी बरियातू में ऋत्विक कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर बी. शरद बाबू की हत्या से संबंधित केस में रिमांड पर लिया था।

    इस केस की जांच एटीएस कर रही है। पूछताछ के क्रम में ही मयंक सिंह ने बताया कि उसे भुरकुंडा का रहने वाला कटप्पा नामक कारोबारी ही झारखंड के कारोबारियों के नंबर को उपलब्ध कराता था।

    उन्हीं नंबरों पर वह खुद को अमन साव गिरोह का शूटर बताकर रंगदारी के लिए काल करता था। रंगदारी नहीं देने पर वह अमन साव से बात कर संबंधित कारोबारी पर गोली चलवा देता था।

    वह अमन साव गिरोह से वर्ष 2020 से जुड़ा हुआ था।रंगदारी मांगने व गिरोह के लिए काम करने के एवज में अमन साव गिरोह से उसको पांच लाख रुपये प्रतिमाह मिलते थे।

    यह राशि उसे हवाला के  माध्यम से पहुंचती थी। वह ज्यादातर मलेशिया में रहता था। हवाला के माध्यम से उसे रुपये पहुंचते थे। राशि रांची के अपर बाजार के हवाला कारोबारी के माध्यम से भी भेजे जाते थे।

    बड़कागांव में हुई थी ऋत्विक कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर की हत्या

    10 मई 2023 को हजारीबाग के बड़कागांव में अपराधियों ने ऋत्विक खनन कंपनी के प्रोजेक्ट सह को-आर्डिनेटर मैनेजर बी. शरद बाबू की गोली मारकर हत्या कर दी थी।

    उनका अंगरक्षक राजेंद प्रसाद जख्मी हो गया था। यह प्रोजेक्ट एनटीपीसी चट्टी बरियातू कोल माइंस के अधीन संचालित था।

    इस मामले में बड़कागांव थाने में तीन अज्ञात अपराधियों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई थी। बाद में एटीएस ने इस केस को टेकओवर किया था और तब से एटीएस ही पूरे मामले की जांच कर रही है।

    रंगदारी नहीं देने पर कराई थी प्रोजेक्ट मैनेजर की हत्या

    एटीएस को रिमांड के दौरान पूछताछ के दौरान मयंक सिंह ने बताया कि ऋत्विक कंपनी को खनन के लिए 6600 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट मिला था।

    अमन साव गिरोह के लिए मलेशिया में बैठकर मयंक सिंह ने ही कुल प्रोजेक्ट राशि के दो प्रतिशत राशि की डिमांड रखी थी। मांग पूरी नहीं करने पर हत्या की धमकी दी गई थी।

    बातचीत में मामला एक प्रतिशत राशि देने पर तय हुआ था। इसके बावजूद कंपनी ने रंगदारी की राशि नहीं दी। तब गिरोह का सरगना अमन साव कोलकाता के जेल में बंद था।

    गिरोह के हरि तिवारी तिवारी योगेश्वर महतो हजारीबाग जेल में बंद थे। गिरोह का एक अन्य शूटर चंदन साव रामगढ़ उप कारा से छूटा था।

    गिरोह ने चंदन साव को कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर की हत्या का टास्क दिया। इसके बाद चंदन साव गिरोह के पांच से सात सदस्यों के साथ मिलकर इस घटना को अंजाम दिया था।

    इस घटना के बाद कंपनी ने मामला सेट किया और रंगदारी की राशि गिरोह को पहुंचा दी। इसके बाद मयंक सिंह तक अमन साव ने मैसेज पहुंचाया कि मामला सेट हो गया है, अब काल नहीं करना है।

    अजरबैजान, पाक व मलेशिया रूट का हो चुका है खुलासा

    सुनील सिंह मीणा उर्फ मयंक सिंह मूल रूप से राजस्थान के अनूपगढ़ जिले के घोड़साना का रहने वाला है। वह लंबे समय तक मलेशिया में रहा।

    झारखंड के कोयला कारोबारियों, ट्रांसपोर्टरों आदि को वह मलेशिया से ही काल करता था। उसे एटीएस की अनुशंसा पर जारी रेड कार्नर नोटिस के आधार पर अजरबैजान के बाकू में गत वर्ष हिरासत में लिया गया था।

    उसे प्रत्यर्पण के माध्यम से एटीएस के एसपी ऋषभ झा के नेतृत्व में एक टीम अजरबैजान से लेकर 23 अगस्त को रांची आई थी। इसके बाद से ही वह न्यायिक हिरासत में है।

    उसने अब तक की पूछताछ में उसने स्वीकारा है कि पाकिस्तान के पेशावर से ड्रोन की मदद से पंजाब में हथियार पहुंचता था।

    वहां से सड़क या रेलमार्ग से हथियार झारखंड पहुंचता था। इसके एवज में पाकिस्तान तक हवाला से मलेशिया होकर पैसे पहुंचते थे।