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    Jharkhand Crime: टेरर फंडिंग में अमित अग्रवाल और सुदेश केडिया के मामले में फैसला सुरक्षित

    Updated: Wed, 16 Jul 2025 06:28 PM (IST)

    Terror Funding टेरर फंडिंग मामले के आरोपित अमित अग्रवाल सुदेश केडिया और अजय सिंह की याचिका पर सुनवाई हुई। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने अमित अग्रवाल और सुदेश केडिया के मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया। जबकि अजय सिंह की याचिका पर पांच अगस्त को सुनवाई होगी।

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    High court ने अमित अग्रवाल और सुदेश केडिया के मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया है।

    राज्य ब्यूरो,रांची। Jharkhand High Court के जस्टिस आर मुखोपाध्याय और अंबुज नाथ की खंडपीठ में टेरर फंडिंग मामले के आरोपित अमित अग्रवाल, सुदेश केडिया और अजय सिंह की याचिका पर सुनवाई हुई।

    Terror Funding Case दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने अमित अग्रवाल और सुदेश केडिया के मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया। जबकि अजय सिंह की याचिका पर पांच अगस्त को सुनवाई होगी।

    तीनों आरोपितों ने अपने खिलाफ आरोप गठन और डिस्चार्ज याचिका खारिज किए जाने को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। रांची की एनआइए कोर्ट ने इस मामले में अमित अग्रवाल, सुदेश केडिया और अजय कुमार सिंह की डिस्चार्च याचिका को खारिज करते इन पर आरोप गठित कर दिया है।

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    सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से कहा गया कि वह इस मामले में पीड़ित हैं, लेकिन एनआइए ने उन्हें आरोपित बना दिया है। आम्रपाली कोल परियोजना में काम करने के लिए उन लोगों से रंगदारी वसूली जाती थी। ऐसा नहीं करने पर उन्हें जान का खतरा था। ऐसे में टेरर फंडिंग में उनकी कोई संलिप्तता नहीं है।

    जबकि ईडी की ओर से अधिवक्ता अमित कुमार दास और सौरभ कुमार ने अदालत को बताया कि आरोपितों ने उक्त कोल परियोजना में व्यवसाय करने के लिए आपसी सहमति से पैसा दिया जा रहा था, यह जानते हुए कि उक्त राशि का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए किया जा सकता है।

    ऐसे में इनकी याचिका खारिज कर देनी चाहिए। एनआइए ने टंडवा थाना में दर्ज मामले को फरवरी 2018 को टेकओवर किया था। एनआइए ने मामले में 21 आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया है।

    एनआइए ने जांच के दौरान यह पाया है कि सीसीएल, पुलिस, उग्रवादी व शांति समिति के बीच समन्वय से फंडिंग हो रही थी। उग्रवादी संगठन टीपीसी को फंड देने की पुष्टि हुई है। टीपीसी को लेवी देने के लिए ही उसने ऊंची दर पर मगध और आम्रपाली प्रोजेक्ट से कोयला परिवहन का ठेका लिया था।