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    JPSC Mains Results: हेमंत सरकार के 3 मंत्रियों के बेटा-बेटी पास, उठ रहे गंभीर सवाल; Details @jpsc.gov.in

    By Alok ShahiEdited By:
    Updated: Wed, 04 May 2022 05:13 AM (IST)

    JPSC Mains Results झारखंड लोक सेवा आयोग जेपीएससी मेंस रिजल्‍ट जारी कर दिया गया है। पीटी रिजल्‍ट के बाद अब मेंस रिजल्‍ट पर भी सवाल उठे हैं। भाजपा सांसद ...और पढ़ें

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    JPSC Mains Results: झारखंड लोक सेवा आयोग, जेपीएससी मेंस रिजल्‍ट जारी कर दिया गया है।

    रांची, जेएनएन। JPSC Mains Result 2022, 7th JPSC Mains Results झारखंड लोक सेवा आयोग, जेपीएससी मेंस रिजल्‍ट जारी कर दिया गया है। आनन-फानन में ये परीक्षा परिणाम सिर्फ 47 दिनों में निकाले गए हैं। हालांकि, पीटी रिजल्‍ट के बाद अब मेंस रिजल्‍ट पर भी सवाल उठे हैं। भाजपा सांसद निशिकांत दूबे ने कहा है कि झारखंड के मुख्‍यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार के दो मंत्रियों के बेटा-बेटी इसमें सफल घोषित किए गए हैं। अगर यह सही है, तो इसका जवाब जेपीएससी को देना चाहिए। निशिकांत दूबे ने ट्विटर पर लिखे संदेश में कहा- मेरी जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी के मंत्रीमंडल के दो मंत्रियों के बेटे व बेटी ने झारखंड लोक सेवा आयोग की परीक्षा पास की है। यदि यह सही है तो भाजपा इसका प्रतिकार करेगी, यदि यह गलत है तो झारखंड लोक सेवा आयोग को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जनता को सच बताना चाहिए। बता दें कि जेपीएससी मेंस में 252 पदों के सापेक्ष 802 उम्‍मीदवारों को सफल घोषित किया गया है। 9 मई से सफल अभ्‍यर्थियों का इंटरव्‍यू और मेडिकल टेस्‍ट होगा।

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    सातवीं सिविल सेवा मुख्य परीक्षा परिणाम पर विवाद, भाजपा ने उठाए सवाल

    झारखंड लोक सेवा आयोग की सातवीं सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा के बाद अब मुख्य परीक्षा के परिणाम पर भी सवाल उठने लगे हैं। अभ्यर्थी जहां मुख्य परीक्षा के श्रेणीवार परिणाम जारी नहीं करने तथा कट आफ मार्क्स जारी नहीं करने पर सवाल उठा रहे हैं, वहीं एक ही कमरे से कई अभ्यर्थियों के उत्तीर्ण होने की बात कह रहे हैं। इंटरनेट मीडिया में अभ्यर्थियों द्वारा इसे लेकर सवाल उठाए जाने के बाद भाजपा के कई बड़े नेताओं ने मंगलवार को ट्वीटर के माध्यम से जेपीएससी के बहाने राज्य सरकार पर हमला बोला।

    भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने ट्वीट करते हुए लिखा है कि सोशल मीडिया से जानकारी मिल रही है कि जेपीएससी के रिजल्ट में जमकर मनमानी और धांधली हुई है। योग्य बेरोजगारों की कीमत पर तीन-तीन मंत्रियों के बाल-बच्चे पास करा दिए गए हैं। उन्होंने यहां तक लिखा है कि छात्रों ने मुझे पहले भी बताया था कि रिजल्ट निकालने में भारी अनियमितता की तैयारी हो रही है।

    भाजपा विधायक भानु प्रताप शाही ने भी पूछा कि क्या यह सही है कि जेपीएससी परीक्षा में तीन मंत्री के बच्चे और दो मंत्री के करीबी के बच्चे तथा एक ही कमरे में बैठे 18 अभ्यर्थी पास हो गए हैं? उन्होंने मुख्यमंत्री तथा जेपीएससी से इसे स्पष्ट करने को कहा है। हालांकि नेताओं ने मंत्रियों के नाम का उल्लेख नहीं किया है। इस संबंध में जब झारखंड लोक सेवा आयोग के परीक्षा नियंत्रक मोइनुद्दीन खान से बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।

    मुख्य परीक्षा परिणाम में जेपीएससी ने कट आफ मार्क्स नहीं किया जारी

    सातवीं से दसवीं मुख्य परीक्षाफल में हुई त्रुटि को ले जेपीएससी आंदोलनकारी छात्रों की सेंट्रल लाइब्रेरी मोरहाबादी में बैठक हुई। मौके पर आंदोलनकारी छात्र नेता देवेंद्र नाथ महतो और मनोज यादव ने जेपीएससी आयोग द्वारा जारी सातवीं से दसवीं जेपीएससी मुख्य परीक्षाफल पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि आयोग के पदाधिकारी छात्रों को अंधकार में रख रहे हैं। परीक्षा के नाम पर सिर्फ कोरम पूरा किया जा रहा है।

    मुख्य परीक्षा परिणाम में आयोग ने कट आफ मार्क्स जारी नहीं किया। इससे मालूम ही नहीं चल रहा है कि चयनित छात्रों का अंक कितना आया है। कैटेगरी वाइज रिजल्ट जारी नहीं किया गया है। इससे किस कैटेगरी के कितने छात्र इंटरव्यू के लिए उत्तीर्ण हुए पता नहीं चल रहा है। जबकि आयोग की नियमावली के अनुसार सभी कैटेगरी की सीट का ढाई गुना छात्रों को कैटेगरी वाइज इंटरव्यू में मौका मिलना चाहिए। जिसका पालन नहीं किया जा रहा है। यह छात्रों के साथ अन्याय है।

    आयोग के नियमानुसार सीट का ढाई गुना परीक्षाफल जारी करना था। लेकिन लगभग साढ़े तीन गुना रिजल्ट जारी किया गया। लगभग 200 अतिरिक्त छात्रों का रिजल्ट जारी किया गया। जिसमें आयोग समान अंक लाने का दलील दे रहा है। यह अदभुत है कि लिखित परीक्षा में भी समान अंक आते हैं। इसके अलावा पीटी परीक्षाफल की तरह एक ही कमरा से क्रमवार उत्तीर्ण होने का मामला भी सामने आ रहा है जो कि जांच का विषय है।

    बैठक में देवेंद्र नाथ महतो ने मांग की है कि सातवीं से दसवीं जेपीएससी पीटी परीक्षाफल विवादित है। इसलिए अधियाचना वापस लेते हुए फिर से सीट बढ़ाकर उम्र सीमा में छूट देते हुए अधियाचना जारी की जाए। ताकि राज्य की सबसे बड़ी संस्था पर निष्पक्षता, पारदर्शिता, विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा न हो।