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    JPSC के प्रथम चेयरमैन दिलीप प्रसाद सहित को तीन को दो-दो साल की सजा, ओएमआर स्कैनिंग मशीन की खरीददारी में घपला

    Updated: Sat, 26 Jul 2025 06:43 PM (IST)

    सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश एसएन तिवारी की अदालत ने ओएमआर स्कैनिंग मशीन खरीदारी में घोटाला करने के अभियुक्त जेपीएससी के प्रथम अध्यक्ष दिलीप प्रसाद सहित तीन को दोषी करार देते हुए दो-दो साल कारावास की सजा सुनाई है। मामले में सुरेंद्र जैन और सुधीर जैन को भी सजा सुनाई गई है।

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    जेपीएससी के प्रथम चेयरमैन दिलीप प्रसाद सहित को तीन को दो-दो साल की सजा सुनाई गई है।

    राज्य ब्यूरो, रांची । सीबीआइ की विशेष न्यायाधीश एसएन तिवारी की अदालत ने ओएमआर स्कैनिंग मशीन खरीदारी में घोटाला करने के अभियुक्त JPSC के प्रथम अध्यक्ष दिलीप प्रसाद सहित तीन को दोषी करार देते हुए दो-दो साल कारावास की सजा सुनाई है।

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    शनिवार को अदालत ने इस मामले में सुरेंद्र जैन और सुधीर जैन को सजा सुनाई है। अदालत ने दिलीप प्रसाद पर एक लाख और सुरेंद्र जैन और सुधीर जैन पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।

    मामले में अंतिम बहस पूरी होने के बाद अदालत ने 21 जुलाई को फैसले की तिथि निर्धारित की थी। दिलीप प्रसाद के खिलाफ दर्ज मामलों में से पहले मामले में फैसला आया है।

    CBI ने वर्ष 2004 में हुए 13.56 लाख के घोटाले को लेकर 2013 में प्राथमिकी दर्ज की थी। जांच अधिकारी ने जांच पूरी करते हुए 34 गवाहों के साथ 2014 में चार्जशीट दाखिल की थी।

    दिलीप प्रसाद ने अध्यक्ष रहते कई नियुक्तियों में अपने पद का दुरुपयोग किया है। सीबीआइ ने सभी गड़बड़ियों में प्राथमिकी दर्ज की है। राज्य गठन के बाद दिलीप प्रसाद जेपीएससी का प्रथम अध्यक्ष बनें।

    उन्होंने सरकारी पद का दुरुपयोग कर अपने लाभ के लिए मनपसंद कंपनी को ओएमआर स्कैनिंग मशीन का टेंडर दिया। यह टेंडर एसपीएस इंटरनेशनल लिमिटेड को दी थी।

    जबकि उच्च और बेहतर क्षमता वाली ओएमआर स्कैनिंग मशीन के लिए फर्म मेसर्स मेथोडैक्स सिस्टम्स लिमिटेड ने कीमत कम लगाई थी।

    इससे जेपीएससी को 13.56 लाख रुपये का राजस्व का नुकसान हुआ और आरोपित फर्म को इसी अनुपात में गलत लाभ हुआ। 

    फैक्ट फाइल

    • 2004 - निविदा प्रकाशित
    • 2005 - घोटाले को लेकर प्राथमिकी
    • 2013 - केस को सीबीआइ ने किया टेक ओवर
    • 2014 - दिलीप प्रसाद सहित तीन पर चार्जशीट
    • 2018 - तीनों पर आरोप तय हुआ
    • जुलाई 2018 - पहली गवाही दर्ज
    • जुलाई 2024 - अभियोजन गवाही बंद
    • अगस्त 2024 - आरोपितों का बयान दर्ज
    • जनवरी 2025- बचाव पक्ष की गवाही बंद
    • 19 जुलाई 2025- बहस बंद
    • 26 जुलाई 2025- फैसला आया।