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    JPSC से चयनित आठ अभ्यर्थियों को करें बहाल,अधिक अंक लाकर भी नियुक्ति से रह गए थे वंचित

    By Manoj Singh Edited By: Kanchan Singh
    Updated: Thu, 11 Dec 2025 06:54 PM (IST)

    झारखंड हाई कोर्ट ने जेपीएससी (11वीं से 13वीं) नियुक्ति परीक्षा में चयनित आठ अभ्यर्थियों को तुरंत नियुक्त करने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा कि इन अभ्य ...और पढ़ें

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    हाई कोर्ट ने सरकार को आठ अभ्यर्थियों को अविलंब नियुक्त करने और योगदान दिला कर प्रशिक्षण में भेजने का निर्देश दिया है।

    राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की अदालत में जेपीएससी (11वीं से 13वीं) नियुक्ति परीक्षा में चयनित आठ अभ्यर्थियों की नियुक्ति नहीं करने को चुनौती देने वाली याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई।

    सुनवाई के बाद अदालत ने सरकार को आठ अभ्यर्थियों को अविलंब नियुक्त करने और योगदान दिला कर प्रशिक्षण में भेजने का निर्देश दिया है। अदालत ने यह भी कहा कि दूसरे मामले में सुनवाई के बाद उक्त नियुक्तियां प्रभावित होंगी।

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    इस संबंध में जीतेंद्र रजक, सूरज कुमार यादव, नीरज कुमार, आशुतोष कुमार, सुदिति सुमन, रूपाली रोशन, सूरज कुमार एवं रूपेंद्र प्रसाद ने याचिका दाखिल की है।

    प्रार्थियों की ओर से पक्ष रखते हुए अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने अदालत को बताया कि उक्त परीक्षा में 10 अभ्यर्थियों को नियुक्ति से यह करते हुए वंचित कर दिया गया कि हाई कोर्ट के आदेश से किसी दूसरे मामले में नौ सीटें आरक्षित रखी गई हैं।

    हाई कोर्ट के अंतिम फैसला के बाद यह सीटें भरी जाएंगी। कोर्ट को बताया कि उक्त आठ अभ्यर्थी मेरिट में काफी ऊपर है और इन्होंने अपनी श्रेणी में अधिक अंक प्राप्त किया है।

    प्रार्थी जीतेंद्र रजक एससी कोटे में टापर है, अधिक नंबर आने के कारण उनका सामान्य श्रेणी में चयन हुआ है। सरकार को नियुक्ति प्रक्रिया से दूर रखने के लिए वैसे 10 अभ्यर्थियों का चयन करना चाहिए था, जिन्हें नियुक्ति प्रक्रिया में सबसे कम अंक प्राप्त हुए हैं।

    सरकार ने वैसे 10 अभ्यर्थी जिन्हें कम अंक प्राप्त हुए हैं नियुक्ति और योगदान दिलाकर अधिक अंक लाने वाले प्रार्थियों की अनदेखी की है। प्रार्थियों ने अधिक अंक प्राप्त किए हैं और मेरिट में भी वे ऊपर हैं इसलिए उन्हें नियुक्त किया जाए।

    अदालत को यह भी बताया गया कि 16 दिसंबर से नियुक्त अभ्यर्थियों की ट्रेनिंग होनी है। नियमानुसार ट्रेनिंग के बीच में किसी अन्य अभ्यर्थी को शामिल नहीं किया जा सकता है। सुनवाई के बाद अदालत ने सभी आठ प्रार्थियों की नियुक्ति करने और योगदान दिला कर प्रशिक्षण में भेजने का निर्देश दिया।