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    Jharkhand: झामुमो का राजभवन पर गंभीर आरोप, रविवार को भाजपा नेताओं के लिए खोले दरवाजे; रूपा तिर्की मामले में हस्‍तक्षेप ठीक नहीं

    By Sujeet Kumar SumanEdited By:
    Updated: Mon, 07 Jun 2021 08:46 PM (IST)

    Jharkhand Political Updates झारखंड की सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने कहा है कि राजभवन ने अवकाश के दिन रविवार को भाजपा नेताओं के लिए दरवाजे खोले। कहा कि बंगाल दमन दीव दिल्ली जैसी स्थिति झारखंड में भी कही उत्पन्न न हो जाए।

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    Jharkhand Political Updates झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य।

    रांची, राज्‍य ब्‍यूरो। झारखंड की सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने सोमवार को राजभवन के खिलाफ मोर्चाबंदी की। महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कई सवाल उछाले और आरोप भी लगाए। उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं के लिए राजभवन के दरवाजे अवकाश के दिन खोल दिए जाते हैं। कोल्हान विश्वविद्यालय में सिनेट-सिंडिकेट में भाजपा के सक्रिय पदाधिकारियों को एकतरफा राजभवन ने सदस्य मनोनीत कर दिया। राज्य सरकार की कोई सलाह नहीं ली गई। कई विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को कार्यकाल में विस्तार दे दिया गया।

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    उस पर भी राज्य सरकार से कोई विचार-विमर्श नहीं किया गया। झामुमो ने डीजीपी को बुलाकर महिला दारोगा रूपा तिर्की के मामले में राजभवन के हस्तक्षेप को भविष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं बताया है। मोर्चा का कहना है कि कहीं झारखंड में बंगाल, दमन दीव, दिल्ली जैसी स्थिति उत्पन्न नहीं हो जाए। राज्यपाल गरिमा का पद है और उनको राज्य सरकार के सलाह-मशविरा के साथ आगे बढ़ना और कैबिनेट की सहमति से अपने अधिकारों का उपयोग करना होता है। ऐसा नहीं करना संघीय ढांचे पर प्रहार का नमूना है।

    प्रतीत होता है राजभवन हेमंत सोरेन की सरकार बनने से खुश नहीं

    झामुमो महासचिव ने टीएसी की नई नियमावली का भी मामला उठाया। कहा कि 2019 में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद टीएससी गठन के लिए सदस्यों के नाम की सूची दो बार राजभवन भेजी गई। दोनों दफा राज्यपाल ने सूची को नहीं मानते हुए आपत्ति के साथ वापस लौटा दिया, जबकि ऐसा करने से पहले राज्य सरकार से परामर्श करने का संविधान की अनुसूची-11 में संवैधानिक प्रावधान है। इस बर्ताव से प्रतीत होता है कि राजभवन राज्य में हेमंत सोरेन की सरकार बनने से खुश नहीं है।

    इसी कारण संवैधानिक प्रावधानों के तहत टीएसी की नियमावली में बदलाव किया गया। पिछली सरकार में पांच वर्षों तक गैर जनजातीय मुख्यमंत्री टीएससी की बैठकों की अध्यक्षता करते रहे। राज्यपाल ने इस पर ध्यान तक नहीं दिया। अब आदिवासी मुख्यमंत्री राज्य के पिछड़े आदिवासियों को संवैधानिक कवच देने का काम कर रहे हैं तो भाजपा के नेताओं को तकलीफ हो रही है।

    छत्तीसगढ़ में रमन सिंह ने भी किया था टीएसी नियमावली में संशोधन

    झामुमो महासचिव ने कहा कि 2006 में छत्तीसगढ़ में रमन सिंह की सरकार ने टीएसी की नियमावली में संशोधन किया था। उसके खिलाफ हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। हाई कोर्ट ने मंत्रिपरिषद के निर्णय को जायज ठहराया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी फाइल की गई, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने इसे एडमिट ही नहीं किया। उन्होंने इससे संबंधित दस्तावेज मीडिया को उपलब्ध कराया। कहा कि उस वक्त केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार थी, तब विवाद नहीं हुआ तो अब इस विषय को विवादित क्यों बनाया जा रहा है।