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    ब्रिटेन के ससेक्स विश्वविद्यालय में गूंजी दिशोम गुरु के संघर्ष की गाथा, झामुमो प्रवक्ता ने दिया व्याख्यान 

    Updated: Sun, 23 Nov 2025 09:11 AM (IST)

    झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने ससेक्स विश्वविद्यालय में 'जोहार' के साथ व्याख्यान की शुरुआत की। उन्होंने झारखंड के जल, जंगल, जमीन की लड़ाई के नायकों और शिबू सोरेन के योगदान पर प्रकाश डाला। कुणाल ने कहा कि शिबू सोरेन आदिवासियों के सबसे बड़े नेता रहे हैं, और उनकी प्रेरणादायक जीवनी को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर स्थान मिलना चाहिए। उन्होंने हेमंत सोरेन द्वारा शुरू की गई छात्रवृत्ति योजना की भी सराहना की।

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    आदिवासी नेता शिबू सोरेन। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, रांची। ब्रिटेन की प्रतिष्ठित ससेक्स विश्वविद्यालय के विश्व पर्यावरण इतिहास सेंटर के आमंत्रण पर लंदन के पास ससेक्स स्थित प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय कैंपस पहुंचे झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने जोहार के साथ व्याख्यान की शुरुआत की।

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    उन्होंने 150 वर्ष लंबी झारखंड के जल, जंगल, जमीन की लड़ाई के इतिहास के नायक रहे सिद्धों कान्हू से लेकर बिरसा मुंडा तक के योगदान के बारे में बताया। देश की स्वाधीनता के लिए अंग्रेज़ों की लड़ाई का बिगुल सबसे पहले 1757 में भोगनाडीह से फूंका गया था।

    अंतरराष्ट्रीय स्तर पर झारखंडी आदिवासियों के आंदोलन और अलग राज्य की लड़ाई पर चर्चा कम होती है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। आजादी के बाद देश के इतिहास में सबसे बड़े आदिवासी नेता के रूप में जयपाल सिंह और शिबू सोरेन उभरे। महाजनी प्रथा के खिलाफ निर्णायक लड़ाई गुरुजी ने लड़ी।

    उन्होंने कहा कि जयपाल सिंह मुंडा के बाद झारखंड अलग राज्य के निर्माण और उसके बाद आदिवासियों के हितों को लेकर लड़ने वाले नेताओं में Shibu Soren निर्विवाद रूप से भारत के सबसे बड़े चेहरे रहे। अंतराष्ट्रीय मंचों पर उनकी प्रेरणादायक जीवनी पर बातें होनी चाहिए।

    भ्रष्टाचार के आरोपों से न्यायालय ने मुक्ति दे दी है, परंतु एक षडयंत्र के तहत अब भी कुछ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मीडिया या मंचों पर झारखंड के प्रति उनके योगदान को वह जगह नहीं मिली, जिसके वह हकदार हैं।

    कुणाल ने कहा कि 1967 के अकाल से प्रेरणा लेकर अपने मूलवासी आदिवासी लोगों को अपनी जमीन के हक के प्रति जागरूक करना, कृषि कार्य, शिक्षा, स्वरोजगार से जोड़ने की उनकी सोच को तो अंतरराष्ट्रीय पहचान मिलनी ही चाहिए।

    हेमंत सोरेन की तारीफ

    कुणाल ने कहा कि झामुमो की स्थापना के पीछे शिबू सोरेन, विनोद बिहारी महतो और एके राय जैसे महापुरुषों की यह सोच थी कि स्थानीय मुद्दों को एक सशक्त राजनीतिक आवाज दी जा सके।

    इस काम को मुख्यमंत्री Hemant Soren के नेतृत्व में आगे बढ़ाने पर काम हो रहा है। आज उनके द्वारा शुरू किए गए मारांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा छात्रवृत्ति से हर वरीय मेधावी झारखंडी विद्यार्थी ब्रिटेन के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में पढ़ाई कर पा रहे है।

    इस अवसर पर रांची की त्रिनिशा और खूंटी की उषा से भी कुणाल ने मुलाकात की, जो इस छात्रवृत्ति के माध्यम से ससेक्स विश्वविद्यालय में शिक्षारत हैं। दोनों ने इसके लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का धन्यवाद दिया।

    कुणाल ने ससेक्स विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय उप प्रो वीसी सिमोन थोंपसन, सेंटर आफ वर्ल्ड इनवायरन्मेंट हिस्ट्री की निर्देशक वीनिता दामोदरन और व्याख्यान के संयोजक प्रोफेसर सौम्या नाथ का आभार जताया कि उन्होंने अपने व्याख्यान कैलेंडर में झामुमो के संघर्ष और शिबू सोरेन की जीवनी पर चर्चा को स्थान दिया।

    कुणाल ने बताया कि आने वाले समय में ससेक्स विश्वविद्यालय और झारखंड के शैक्षणिक संस्थानों के बीच एक्सचेंज कार्यक्रम और कई अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर साझेदारी बनेगी। विश्वविद्यालय के प्रतिनिधियों की टीम अगले वर्ष जनवरी में इस संबंध को और प्रगाढ़ बनाने के लिए रांची आएगी और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात करेगी।