JMM दिखा रही बिहार चुनाव में महागठबंधन के साथ एकजुटता, आदिवासी क्षेत्रों में मजबूत दावेदारी
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटा है। राजद और अन्य दलों के साथ गठबंधन को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। झामुमो का लक्ष्य झारखंड से सटे क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत करना है जहाँ आदिवासी और पिछड़े वर्ग के मतदाता अधिक हैं। पार्टी सीटों के बंटवारे और प्रत्याशियों के चयन में सावधानी बरत रही है।

राज्य ब्यूरो, रांची। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गया है और इस बार गठबंधन के साथी दलों, खासकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और अन्य घटक दलों की पसंद का विशेष ध्यान रखने की रणनीति बना रहा है। झामुमो के रणनीतिकार बिहार में अपनी उपस्थिति मजबूत करने के लिए पुख्ता तैयारी कर रहे हैं, जिसमें सीटों के बंटवारे, प्रत्याशियों के चयन और गठबंधन की एकजुटता पर जोर दिया जा रहा है।
पार्टी ने साफ कर दिया है कि गठबंधन धर्म का पालन करते हुए सभी फैसलों में आपसी विमर्श को प्राथमिकता दी जाएगी। बिहार में झारखंड से सटे क्षेत्रों, जैसे किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर, बांका और जमुई में झामुमो की मजबूत पकड़ मानी जाती है। इन क्षेत्रों में आदिवासी और अन्य पिछड़े वर्गों की बड़ी आबादी है, जो झामुमो का पारंपरिक वोट बैंक रही है।
पार्टी ने एक दर्जन से अधिक सीटों पर दावेदारी पेश की है, लेकिन रणनीति के तहत पांच से छह सीटों पर विशेष फोकस करने की योजना है। इन सीटों पर जीत की संभावना को देखते हुए प्रत्याशियों का चयन सावधानी से किया जाएगा।
झामुमो का मानना है कि इन क्षेत्रों में उसका संगठनात्मक ढांचा और स्थानीय प्रभाव जीत सुनिश्चित कर सकता है।झामुमो और राजद के बीच तालमेल को लेकर गहन चर्चा चल रही है। राजद, जो बिहार में महागठबंधन का नेतृत्व कर रहा है, के साथ सीटों की अदला-बदली की संभावना भी तलाशी जा रही है।
सूत्रों के अनुसार, झामुमो ने कुछ ऐसी सीटें मांगी हैं, जहां उसका जनाधार मजबूत है, जबकि राजद और अन्य सहयोगी दलों को उनकी पसंद की सीटें दी जा सकती हैं। गठबंधन में कांग्रेस और वाम दल भी शामिल हैं, इसलिए सीटों का बंटवारा संतुलित और सहमति पर आधारित होगा। झामुमो के नेताओं ने स्पष्ट किया कि गठबंधन की एकता को बनाए रखना उनकी प्राथमिकता है और किसी भी तरह का मतभेद टाला जाएगा।
जल्द बिहार के दौरे पर जाएंगे नेता
प्रत्याशियों के चयन में भी झामुमो ने पारदर्शी और समावेशी दृष्टिकोण अपनाने का फैसला किया है। इसके लिए पार्टी जल्द ही एक टीम बिहार रवाना करेगी, जो स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर संभावित प्रत्याशियों की सूची तैयार करेगी।
इस प्रक्रिया में साथी दलों की राय को भी महत्व दिया जाएगा। पार्टी ने आवेदनों की स्क्रूटनी शुरू कर दी है, जिसमें प्रत्याशियों की जीत की संभावना, स्थानीय प्रभाव और गठबंधन की रणनीति को ध्यान में रखा जाएगा।
झामुमो के नेताओं का कहना है कि प्रत्याशी वही होंगे, जो न केवल पार्टी के लिए बल्कि पूरे गठबंधन के लिए जीत सुनिश्चित कर सकें। झामुमो के इस रणनीतिक कदम का उद्देश्य बिहार में अपनी राजनीतिक जमीन को और मजबूत करना है। पार्टी ने पहले भी बिहार में कुछ सीटों पर अच्छा प्रदर्शन किया है और अब वह अपने प्रभाव को बढ़ाने के लिए गठबंधन के सहयोग से काम कर रही है।
हेमंत सोरेन की बढ़ती लोकप्रियता से उत्साह
झारखंड में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झामुमो की सफलता ने बिहार में भी कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाया है। पार्टी का मानना है कि बिहार के आदिवासी और पिछड़े वर्गों के बीच उसकी नीतियां और सिद्धांत गहरी पैठ रखते हैं।बिहार में झामुमो का फोकस उन क्षेत्रों पर भी है, जहां सामाजिक-आर्थिक मुद्दे, जैसे रोजगार, शिक्षा और भूमि अधिकार मतदाताओं के लिए महत्वपूर्ण है।
पार्टी इन मुद्दों को अपने चुनावी अभियान का हिस्सा बनाएगी और गठबंधन के साझा एजेंडे को बढ़ावा देगी। झामुमो ने साफ किया है कि वह राजद और अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर विपक्षी दलों, खासकर भाजपा और जदयू को कड़ी चुनौती देगी।
इसके अलावा, झामुमो ने संगठनात्मक स्तर पर भी अपनी तैयारियां तेज कर दी है। बिहार में स्थानीय नेताओं को सक्रिय किया जा रहा है और ग्रामीण क्षेत्रों में जनसंपर्क अभियान चलाया जा रहा है। पार्टी का मानना है कि गठबंधन की एकजुटता और रणनीतिक दृष्टिकोण से बिहार में सत्ता परिवर्तन संभव है।
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