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    Jharkhand Weather: कंपकंपाएगी ठंड, उत्तर पश्चिमी दिशा से आने लगी सर्द हवाएं

    By Kumar Gaurav Edited By: Kanchan Singh
    Updated: Wed, 26 Nov 2025 12:14 PM (IST)

    रांची समेत झारखंड के कई जिलों में पछुआ हवाओं से ठंड बढ़ गई है। तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। कृषि विज्ञान केंद्र ने किसानों को फसलों को बचाने के लिए सिंचाई करने की सलाह दी है। बंगाल की खाड़ी में दबाव क्षेत्र बनने से चक्रवात की आशंका है, जिसका असर रांची में होने वाले क्रिकेट मैच पर पड़ सकता है। अगले दो दिनों में तापमान में और गिरावट की संभावना है।

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    राजधानी रांची सहित विभिन्न जिलों में पछुआ हवाओं ने कनकनी बढा दी है।

    जागरण संवाददाता, रांची।  राजधानी रांची सहित विभिन्न जिलों में पछुआ हवाओं ने कनकनी बढा दी है। उत्तर से उत्तर-पश्चिमी दिशा की ओर से चलने वाली पछुआ हवाओं के चलते न्यूनतम में चार डिग्री की गिरावट दर्ज की गई है। उक्त जानकारी मंगलवार को मौसम विज्ञान केंद्र रांची ने दी। मौसम विभाग के अनुसार मंगलवार को राज्य के अधिकांश जिलों में मौसम साफ रहा और मध्यम दर्जे की हवा चली।

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    इन हवाओं के कारण ही तापमान में गिरावट आई है, जिससे कनकनी बढ़ गई है। अहले सुबह राजधानी का तापमान 10 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहता है, जिस कारण धूप उगने से पूर्व बेहद कनकनी बनी रहती है। अबकी बार ठंड ने समय से पूर्व दस्तक दे दी है। मौसम विज्ञान केंद्र रांची ने पूर्व में ही सूचना दी थी कि नवंबर माह के अंत से ठंड का असर बढ़ने लगेगा। राजधानी में रात के समय तापमान करीब 9 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाती है।

    किसानों की बढ़ी चिंता 

    लगातार गिर रहे तापमान ने किसानों की चिंता की लकीरें भी बढ़ा दी हैं। खेतों की नमी और लगातार बढ़ती ठंड फसलों के विकास पर असर डाल सकती हैं। इन्हीं हालातों को देखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र के कृषि विज्ञानियों ने किसानों के लिए महत्वपूर्ण सुझाव जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि ठंड से बचाने के लिए खेतों में सुबह शाम हल्की सिंचाई करें।

    इससे तापमान का अचानक गिरना फसलों पर कम असर करेगा। मटर की 25 से 30 दिन पुरानी फसल में समय पर निकाई गुड़ाई करना आवश्यक है ताकि पौधे मजबूत हो सके। साथ ही जिन किसानों ने खरीफ फसल की कटाई पूरी कर ली है, उन्हें अब गेहूं की बुवाई पर तुरंत ध्यान देने को कहा गया है।

    सिंचित क्षेत्रों के लिए उन्होंने कई उन्नत किस्मों का सुझाव दिया है, जिनमें के-1006, एचडी 2967, डीबीडब्ल्यू 39, बिरसा गेहूं 3 आदि शामिल हैं। वहीं असिंचित भूमि के लिए के-1317 और एचआइ 1612 सर्वोत्तम मानी गई हैं। बीज को बुवाई से पहले कार्बेंडाजिम या बीटावेक्स से उपचारित करने पर विशेष जोर दिया गया है ताकि बीमारियां पनप न सके।

    वहीं, चना की खेती करने वाले किसानों को खेत अच्छी तरह तैयार करने की सलाह दी गई है, विशेषकर उस भूमि में जहां पानी न रुकता हो। देशी चना के लिए बीजी 3043 और बिरसा चना 3 को बेहतर किस्म बताया गया है। सब्जियों में भी अब रोग बढ़ने का खतरा बढ़ गया है।

    गोभी में डायमंड बैक मोथ की आशंका को देखते हुए स्पिनोसैड का छिड़काव करने की सलाह दी गई है। वहीं, बढ़ती नमी और कोहरे के कारण टमाटर में लेट ब्लाइट की संभावना भी अधिक है, जिसके लिए विशेष दवा का छिड़काव करने को कहा गया है। कृषि विज्ञानी ने कहा कि मौसम के बदलते स्वरूप को हल्के में न लें और फसलों की सुरक्षा समय रहते सुनिश्चित कर लें।

    शीतकालीन चक्रवात की बढ़ी आशंका 

    बंगाल की खाड़ी में एक साथ दो दबाव का क्षेत्र बनने से शीतकालीन चक्रवात की आशंका बढ़ गई है। मौसम विज्ञानी तेजी से विकसित हो रहे इस दबाव क्षेत्र पर नजर बनाए हुए हैं, जो इस सप्ताह के अंत तक दक्षिण ओडिशा के कुछ हिस्सों को प्रभावित कर सकता है। इससे राजधानी में 30 नवंबर को होने वाले क्रिकेट मैच पर भी असर पड़ सकता है।

    बताया गया कि इन दोनों में से एक दबाव लगातार मजबूत हो रहा है और अगले 72 घंटों में चक्रवात का रूप ले सकता है जबकि दूसरे दबाव पर नजर रखी जा रही है। जानकारी के अनुसार मजबूत दबाव का क्षेत्र धीरे-धीरे संगठित हो रहा है और जल्द ही गहरे दबाव में बदल सकता है।

    यदि यह और तीव्र होता है तो दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी में स्थित रहते हुए चक्रवात का रूप ले सकता है। अगले 24 घंटों में यह दबाव के रूप में बदल सकता है। इसके बाद के 48 घंटों में इसके चक्रवात में बदलने की संभावना है। यह दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी के ऊपर रहेगा। प्रत्यक्ष प्रभाव न पड़ने के बावजूद ओडिशा के दक्षिणी जिलों में अगले दो दिनों के भीतर हल्की वर्षा की संभावना जताई है।

    साथ ही 48 घंटे बाद कई क्षेत्रों में बादल छाए रहने की संभावना है तथा पूर्वोत्तर दिशा से हवाएं तेज होने पर न्यूनतम तापमान में दो से तीन डिग्री सेल्सियस तक की गिरावट दर्ज की जा सकती है। ओडिशा के तटीय क्षेत्रों में 27 नवंबर की सुबह तक हवा की रफ्तार 100 किमी प्रतिघंटा के करीब पहुंच सकती है, जिससे समुद्री गतिविधियों और तटीय स्थितियों को लेकर चिंता बढ़ने लगी हैं। इस तेज हवा का असर राजधानी रांची में भी पड़ने की संभावना जताई जा रही है।

    ऐसा रहा माैसम 

    पिछले 24 घंटे के मौसम की बात करें तो पूरे राज्य में मौसम शुष्क बना रहा। सबसे अधिक अधिकतम तापमान 28.2 डिग्री सेल्सियस गोड्डा का जबकि सबसे कम न्यूनतम तापमान 8.8 डिग्री सेल्सियस गुमला का रिकार्ड किया गया। वहीं, राजधानी रांची का अधिकतम 24.6 डिग्री जबकि न्यूनतम तापमान 11.1 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया।

    मौसम विज्ञानी अभिषेक आनंद ने बताया कि राज्य में अगले दो दिनों यानी 26 और 27 नवंबर को तापमान में 2 डिग्री सेल्सियस की कमी हो सकती है। इसके बाद अगले तीन दिनों यानी 28, 29 और 30 नवंबर को 2 से 3 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हो सकती है।