Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    संभलें, अधिकतम और न्यूनतम तापमान के बढ़ रहे फासले, बढ़ सकती है परेशानी; जानें सेहत के लिए यह कितना खतरनाक

    Updated: Mon, 08 Jan 2024 08:23 AM (IST)

    Jharkhand Weather Update राजधानी रांची समेत पूरे राज्‍य में अधिकतम और न्यूनतम तापमान के फासले बढ़ रहे हैं। इससे आगे चलकर परेशानी अधिक बढ़ सकती है। यदि अधिकतम और न्यूनतम तापमान के फासले को पाटा नहीं गया तो इसका असर आम जनजीवन पर पड़ेगा। मौसम में बदलाव का असर प्रतिरोधक क्षमता पर पड़ सकता है। पर्यावरणीय असंतुलन ने सब कुछ बिगाड़ कर रख दिया है।

    Hero Image
    अधिकतम और न्यूनतम तापमान के बढ़ रहे फासले, बढ़ सकती है परेशानी।

    जासं, रांची। राजधानी रांची समेत पूरे राज्य में सिमट रही हरियाली और लगातार बढ़ रहे प्रदूषण ने मौसम के मिजाज को बदलकर रख दिया है। दस वर्ष पूर्व तक राजधानी के अधिकतम और न्यूनतम तापमान में दस डिग्री से कम ही अंतर रहता था, लेकिन सिमटती हरियाली ने बादल संघनन की प्रक्रिया को काफी प्रभावित किया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    न्‍यूनतम और अधिकतम तापमान के फासले को पाटना जरूरी

    विशेषज्ञों की माने तो बादल संघनित तो हो रहे हैं लेकिन बरस नहीं रहे...। जिसका असर पर्यावरण में बदलाव के साथ दिख रहा है। गर्मी में तेज गर्मी और सर्दी में कम सर्दी का असर लगातार सामने आ रहा है। मौसम विज्ञानी अभिषेक आनंद कहते हैं कि यदि अधिकतम और न्यूनतम तापमान के फासले को पाटा नहीं गया, तो इसका असर आम जनजीवन पर पड़ेगा।

    वैश्विक पर्यावरणीय असंतुलन ने सबकुछ बिगाड़ कर रख दिया है। हमें हर हाल में हरियाली को बचाकर रखना होगा। मौसम विज्ञान केंद्र रांची के मानक के अनुसार, यह अंतर 10 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं होना चाहिए, लेकिन राजधानी के पिछले पांच दिनों के तापमान पर नजर डालें तो इसमें 12 से 15 डिग्री तक का अंतर नजर आ रहा है, जो कि किसी खतरे से कम नहीं है।

    पिछले दस सालों से लगातार बढ़ रहा अंतर

    अभिषेक आनंद ने बताया कि यह अंतर पिछले दस वर्षों में लगातार बढ़ रहा है। जनवरी माह में न्यूनतम तापमान 11 से 13 डिग्री के औसत पर सीमित रहा जबकि अधिकतम 22 से 24 डिग्री तक बना रहा। यह अंतर पिछले दस वर्षों के दरम्यान जनवरी माह में 3 डिग्री अधिक है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह हमारा पर्यावरण बदल रहा है।

    प्रतिरोधक क्षमता पर पड़ सकता है असर

    विशेषज्ञों के अनुसार मौसम में बदलाव का असर प्रतिरोधक क्षमता पर पड़ सकता है। आमतौर पर मनुष्य की सामान्य प्रतिरोधक क्षमता अधिकतम 10 डिग्री सेल्सियस के अंतर को सहने की होती है। यह अंतर बढ़ेगा तो बेशक सेहत पर असर पड़ेगा।

    मनुष्य की क्षमता 24 घंटे में तापमान में अधिकतम 10 डिग्री सेल्सियस का अंतर सहने की हाेती है। अभिषेक आनंद कहते हैं कि बादल संघनित होने के बाद यदि बरसता नहीं है, तो रात में तापमान बढ़ जाता है। सर्दी के मौसम में तापमान में बदलाव से अस्थमा के मरीजों की समस्या बढ़ सकती है। मौसम के इस बदलाव को झेलने के लिए दिनचर्या में सजगता बढ़ानी होगी।

    ये रहा राजधानी में पांच दिनों के तापमान का अंतर

    • 3 जनवरी : अधिकतम 22.8 डिग्री, न्यूनतम 11.2
    • 4 जनवरी : अधिकतम 24 डिग्री, न्यूनतम 12.4
    • 5 जनवरी : अधिकतम 24.6 डिग्री, न्यूनतम 13.6
    • 6 जनवरी : अधिकतम 24.4 डिग्री, न्यूनतम 13.6
    • 7 जनवरी : अधिकतम 20.2 डिग्री, न्यूनतम 12.9

    वैश्विक पर्यावरणीय असंतुलन ने सबकुछ बिगाड़ कर रख दिया है। राजधानी समेत पूरे राज्य में हमें हर हाल में हरियाली को बचाकर रखना होगा। तब ही बादल संघनन की प्रक्रिया सामान्य होगी और वर्षा भी होगी- अभिषेक आनंद, वरीय विज्ञानी, मौसम विज्ञान केंद्र रांची।

    सिमटती हरियाली पर्यावरण में बदलाव का मुख्य कारण है। जलस्त्रोतों को हमने बर्बाद कर दिया है। मिट्टी की नमी गायब हो रही है, वर्षा का अनुपात घटा है। इस कारण तापमान में भी लगातार बदलाव देखा जा रहा है- नीतीश प्रियदर्शी, पर्यावरणविद, रांची।

    यह भी पढ़ें: Jharkhand Politics: राजभवन पहुंचेगा गांडेय सीट का मुद्दा! चेन्नई से लौटे राज्यपाल, फिर बढ़ेगी राजनीतिक सरगर्मी

    यह भी पढ़ें: झारखंड से अयोध्या के लिए साइकिल से ही निकल पड़ा शख्स, एतिहासिक पल का बनेगा साक्षी; लोगों ने लगाए जयकारे

    comedy show banner