Jharkhand News: विश्वविद्यालय शिक्षकों की नियुक्ति मामले में अपडेट, सारी प्रक्रिया पूरी करने को आठ सप्ताह का दिया समय
झारखंड में विश्वविद्यालय शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया को पूरा करने के लिए आठ सप्ताह का समय दिया गया है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नियमों के अनुसार, राज्य सरकार ने सभी विश्वविद्यालयों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि नियुक्ति प्रक्रिया समय पर पूरी हो। उच्च शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालयों को नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी लाने का निर्देश दिया है।

विश्वविद्यालय शिक्षकों की नियुक्ति में कोर्ट ने सरकार को लंबित प्रक्रिया को पूरा करने के लिए आठ सप्ताह का समय दिया है।
राज्य ब्यूरो,रांची। हाई कोर्ट में राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों पर नियुक्ति की मांग को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई।
चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान व जस्टिस राजेश शंकर की अदालत ने सरकार को लंबित प्रक्रियाओं को पूरा करने के लिए आठ सप्ताह का समय दिया है। मामले में अगली सुनवाई 29 जनवरी को निर्धारित की गई है।
सुनवाई के दौरान उच्च शिक्षा विभाग की ओर से शपथ पत्र दायर कर बताया गया कि नियुक्ति प्रक्रिया आगे बढ़ाने के लिए फाइल विधि विभाग में क्लीयरेंस के लिए भेजी गई है।
वहां से अनुमति मिलते ही प्रस्ताव को कैबिनेट के पास भेजा जाएगा। कैबिनेट की स्वीकृति के बाद रोस्टर क्लीयरेंस कर नियुक्ति संबंधी अधियाचना झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) को भेजी जाएगी।
विभाग ने इस पूरी प्रक्रिया के लिए आठ सप्ताह का समय मांगा, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि अगली सुनवाई से पूर्व सभी औपचारिकताएं पूर्ण कर रोस्टर क्लियर कर अधिसूचना आयोग को भेजने की कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
पिछली सुनवाई में रांची विश्वविद्यालय की ओर से अदालत को बताया गया था कि रोस्टर क्लीयरेंस के लिए प्रस्ताव डेढ़ वर्ष पहले ही भेजा जा चुका है, लेकिन राज्य सरकार से अब तक स्वीकृति नहीं मिलने से नियुक्ति प्रक्रिया रुकी हुई है। इस पर अदालत ने राज्य सरकार से स्पष्ट जवाब मांगा था।
संविदा शिक्षकों की हस्तक्षेप याचिका खारिज
सुनवाई के दौरान विभिन्न विश्वविद्यालयों में कार्यरत संविदा शिक्षकों ने हस्तक्षेप याचिका दायर कर कहा कि वे लगभग 10 वर्षों से संविदा पर कार्यरत हैं और नियमितीकरण को लेकर उनकी याचिका विचाराधीन है।
यदि इस बीच नई नियुक्ति प्रक्रिया शुरू होती है तो उनके नियमितीकरण पर असर पड़ेगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह जनहित याचिका है, जबकि संविदा शिक्षकों का मामला व्यक्तिगत अधिकार से जुड़ा है, इसलिए दोनों को साथ नहीं सुना जा सकता। इसके साथ ही खंडपीठ ने हस्तक्षेप याचिका खारिज कर दी।

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