Jharkhand News: आदिवासी बहुल इलाकों में ग्रामसभा की सहमति से ही खुलेंगी शराब की दुकानें और बार
जनजातीय परामर्शदातृ परिषद् की बैठक में बुधवार को कई विषयों पर सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया। आदिवासी बहुल इलाकों में शराब की दुकानों और बार को लेकर यह निर्णय लिया गया कि इसके लिए ग्रामसभा की सहमति अनिवार्य होगी। इतना ही नहीं कुछ सदस्यों ने जनजातीय समाज के लोगों को ही शराब की दुकान आवंटित करने को लेकर विचार करने का आग्रह किया।

राज्य ब्यूरो, रांची। प्रोजेक्ट भवन सभागार में बुधवार को जनजातीय परामर्शदातृ परिषद् की बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि आदिवासी बहुत इलाकों में शराब की दुकानों को खोलने के लिए ग्रामसभा की सहमति अनिवार्य होगी। इसके साथ ही शराब की दुकान अथवा बार खोलने की अनुमति जनजातीय समाज के लोगों को ही देने पर चर्चा हुई जिस मामले में महाधिवक्ता से परामर्श लेने का निर्णय किया गया।
परिषद् की बैठक के बाद निर्णयों की जानकारी देते हुए झामुमो के वरीय विधायक स्टीफन मरांडी ने कहा कि एक मत से सदस्यों ने इस बात को माना कि टीएसी पूरी तरह से वैध है। उन्होंने भाजपा के उन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया जिसके तहत इस बैठक की वैधता पर सवाल उठाया जा रहा था।
दावा किया कि टीएसी में गवर्नर की जगह मुख्यमंत्री को अधिकार दिए जाने का निर्णय पूरी तरह से सही है और महाधिवक्ता ने भी इस पर अपने परामर्श में हामी भरी है। स्टीफन ने यह भी बताया कि मेसा को फिलहाल स्थगित कर दिया गया है जबकि नियमावली बनने के बाद पेसा प्रभावी होगा।
जनजातीय परामर्शदातृ परिषद् की बैठक में बुधवार को कई विषयों पर सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया। आदिवासी बहुल इलाकों में शराब की दुकानों और बार को लेकर यह निर्णय लिया गया कि इसके लिए ग्रामसभा की सहमति अनिवार्य होगी।
इतना ही नहीं, कुछ सदस्यों ने जनजातीय समाज के लोगों को ही शराब की दुकान आवंटित करने को लेकर विचार करने का आग्रह किया, जिसपर एक बार फिर ग्राम सभा की सहमति की बात कही गई। बैठक में खरकई डैम के लेवल को नीचे करने को लेकर भी सहमति बनी।
सीएनटी एक्ट के तहत थाना क्षेत्र की बाध्यता को समाप्त करने के प्रस्ताव पर महाधिवक्ता से परामर्श लेने की बात कही गई। स्टीफन मरांडी ने कहा कि शिबू सोरेन हमेशा शराबबंदी की वकालत करते रहे हैं इसलिए शराब की अनुमति के लिए ग्रामसभा की सहमति लेने की बात कही गई है।
बैठक में नहीं पहुंचे भाजपा के विधायक
भारतीय जनता पार्टी ने पहले से ही टीएसी की बैठक के बहिष्कार का निर्णय लिया था। सो, बुधवार को आयोजित बैठक में टीएसी के सदस्यों में शामिल बाबूलाल मरांडी और चंपई सोरेन बैठक से अनुपस्थित रहे। बाकी 19 सदस्यों में से 17 सदस्य बैठक में शामिल हुए।
राज्य में आदिवासी हितों पर कैसे काम हो सके आदि मुद्दों पर सभी सदस्यों ने अपनी बात रखी। राज्य में आदिवासी हितों पर बेहतर काम कैसे हो, आदिवासियों के समग्र विकास एवं भाषा-संस्कृति के संरक्षण को लेकर चर्चा की गई। राज्य में आदिवासियों की जमीन खरीद-बिक्री को लेकर थाने की बाध्यता को फिर से देखने का निर्णय लिया गया है। आदिवासी हिताें पर बैठक में चर्चा हुई है। विभाग को प्रस्ताव बनाने के लिए कहा गया है। प्रस्ताव के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी। - हेमंत सोरेन, मुख्यमंत्री, झारखंड
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