कश्मीर की पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था सुदृढ़ करने में झारखंड अग्रणी भूमिका निभाए, वित्त मंत्री राधाकृष्ण ने पर्यटन मंत्री को लिखा पत्र
झारखंड के वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने पर्यटन मंत्री हफीजुल हसन को पत्र लिखकर कश्मीर की पर्यटन अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में झारखंड की भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने झारखंड में पर्यटन की संभावनाओं को देखते हुए कश्मीर के पर्यटन क्षेत्र में निवेश करने और पर्यटन स्थलों को विकसित करने का सुझाव दिया, जिससे राज्य में रोजगार बढ़े और पर्यटन को बढ़ावा मिले।

वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने सुझाव दिया है कि कश्मीर के पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में झारखंड को अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए।
राज्य ब्यूरो, रांची। वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर ने सुझाव दिया है कि कश्मीर के पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने में झारखंड को अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। जम्मू एवं कश्मीर की सरकार से समन्वय स्थापित कर हमें अपने राज्य के विद्यार्थियों, युवा वर्ग, उद्यमियों, कला-संस्कृति से जुड़े प्रमुख लोगों आदि की टीम को कश्मीर भेजना चाहिए ताकि वे वहां की सामाजिक-आर्थिक प्रक्षेत्रों की वास्तविक स्थिति की जानकारी प्राप्त कर सकें।
प्रमुख कश्मीरियों को भी झारखंड आमंत्रित किया जाए ताकि देश भर में यह संदेश जा सके कि निर्भीकता के साथ कश्मीर की यात्रा कर वहां के पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में झारखंड कश्मीरियों के साथ खड़ा है।
राधा कृष्ण किशोर ने लिखा है कि पिछले दिनों उन्हें कश्मीर के गुलमर्ग, सोनमर्ग, श्रीनगर और पहलगाम जाने का अवसर प्राप्त हुआ था। कश्मीर यात्रा के क्रम में वहां के प्राकृतिक संपदाओं, संस्कृति, रहन-सहन, आजीविका के स्रोत तथा पर्यटन और कृषि पर आधारित अर्थव्यवस्था की जानकारी प्राप्त की।
सचमुच प्रकृति और संस्कृति का अदभुत संगम है कश्मीर। यात्रा में श्रीनगर के टैक्सी संघ, होटल संघ, हाउस बोट संघ, पर्यटन संघ तथा कश्मीरी शाल संघ के कई पदाधिकारियों ने मुझसे मिलकर पर्यटन आधारित हो रहे आर्थिक नुकसान के संदर्भ में कश्मीर की व्यथा मुझे सुनाई।
भारतीय नागरिक होने के नाते मेरा दायित्व है कि कश्मीरियों की व्यथा आप तक पहुंचाऊं।
आतंकी कार्रवाई से दहशत में है कश्मीर
विगत चार दशकों से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी कार्रवाई से न सिर्फ मानव जीवन को बल्कि कश्मीर की संस्कृति, रहन-सहन, जीवनशैली, कृषि, व्यापार, पर्यटन तथा अन्य आर्थिक विकास प्रक्षेत्रों पर भारी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम के बैसरन घाटी में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी कार्रवाई ने तो बर्बरता की सारी हदें पार कर दी।
पहलगाम की आतंकी घटना से चरमरा गई है कश्मीर की अर्थव्यवस्था
कश्मीर में पर्यटन, बागवानी, सेव का उत्पादन, पशुपालन, हस्तशिल्प, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन, लकड़ी आधारित उत्पाद आदि व्यवसाय कश्मीर के आजीविका के मुख्य साधन हैं। पहलगाम की घटना से कश्मीर के पर्यटन व्यवसाय से जुड़ी हुई सभी प्रक्षेत्र बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं।
इसका असर पर्यटन से संबंधित व्यवसाय पर जबर्दस्त रूप से पड़ा है। जम्मू कश्मीर के आर्थिक सर्वे के अनुसार वर्ष 2024 में जनवरी से दिसंबर तक कश्मीर में घरेलू, विदेशी तथा स्थानीय पर्यटकों की कुल संख्या करीब 35 लाख थी, परन्तु आतंकी भय के कारण पर्यटकों की संख्या में भारी गिरावट आयी है।
यदि कश्मीर का पर्यटन आतंक के कारण बाधित हुआ तो अनुमान है कि लगभग 10 लाख लोगों के सामने रोजी-रोटी की समस्या उत्पन्न हो जाएगी।
पर्यटकों के अभाव में डल झील, सोनमर्ग, गुलमर्ग, पहलगाम, चंदनबाड़ी, पंचतरणी आदि अन्य प्रमुख दर्शनीय स्थलों पर सन्नाटा पसरा हुआ है।
हजारों की संख्या में मोटर गाड़ियां टैक्सी स्टैंडों पर खड़ी हैं। शिकारा वाले, बोट हाउस वाले, पहाड़ी घोड़ों पर सवारी कराने वाले मजदूरों, केसर और सेव की खेती करने वाले किसानों, कश्मीरी शाल के निर्माता कारीगर, लकडियों से बनने वाले हस्तशिल्प के कारीगरों के समक्ष जीविका की गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो गई है।
केंद्र व राज्य सरकार कश्मीर में समुचित सुरक्षा उपलब्ध कराकर पर्यटकों को कश्मीर की यात्रा करने के लिए प्रेरित करें ताकि पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था पुनः बहाल हो।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।