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    Jharkhand Sthaniya Niti: झारखंड में स्थानीयता के लिए 1932 का खतियान लागू करने पर क्या कह रहे विधायक

    By M EkhlaqueEdited By:
    Updated: Mon, 19 Sep 2022 09:36 PM (IST)

    Jharkhand Sthaniya Niti झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार ने कैबिनेट से पास कर कह दिया है कि अब 1932 का खतियान ही स्थानीयता का आधार होगा। दैनिक जागरण ने कई विधायकों से इस बारे में बातचीत की। झामुमो-कांग्रेस के विधायक इसके पक्ष में हैं।

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    Jharkhand Sthaniya Niti: झारखंड में स्थानीयता के लिए 1932 का खतियान ही मान्य।

    रांची, राज्य ब्यूरो। Jharkhand Sthaniya Niti 1932 Khatiyan राज्य मंत्रिपरिषद ने बीते 14 सितंबर को हुई बैठक में 1932 के सर्वे खतियान के आधार पर स्थानीयता नीति बनाने का निर्णय किया है। इसके बाद अलग-अलग स्तरों पर विधायक अपनी बातें रख रहे हैं। कुछ विधायकों की चिंता सामने आई है कि इस नीति में वैसे जिलों के बारे में प्रविधान करना होगा जिसका सर्वे 1932 के बाद हुआ है। लातेहार के विधायक बैद्यनाथ राम के मुताबिक विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान जब इसपर चर्चा होगी तो वे विस्तार से अपनी बातें रखेंगे। उनके क्षेत्र में बाद के वर्षों में जमीन का सर्वे हुआ है। हालांकि 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीयता नीति बनाने को लेकर सत्तापक्ष के विधायकों में विरोध का स्वर नगण्य है। ज्यादातर विधायकों ने इसे राज्य हित में उठाया गया बताया है। कुछ विधायकों का तर्क है कि उसमें वैसे लोगों का भी ध्यान रखना होगा, जो भूमिहीन हैं।

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    हेमंत ने हिम्मत दिखाई, ऐतिहासिक फैसला : भूषण तिर्की

    गुमला के विधायक भूषण तिर्की कहते हैं कि नियोजन नीति के लिए 1932 के खतियान को आधार माना गया है। इसके बाद में हुआ सर्वे भी इस आधार में मान्य होगा। दूसरी सरकार को यह प्रस्ताव पारित करने की हिम्मत नहीं थी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का यह ऐतिहासिक फैसला है। यह खतियानी के लिए वरदान साबित होगा।

    आदिवासियों की सबसे पुरानी मांग लागू : जिग्गा सुसारन

    सिसई क्षेत्र से विधायक चुने गए जिग्गा सुसारन होरो कहते हैं कि स्थानीय नीति के लिए 1932 खतियान यहां के आदिवासियों और मूलवासियों की पुरानी मांग रही है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार ने इसपर सोच समझकर निर्णय किया है। यह यहां के आदिवासी-मूलवासी के हित में है। सीएम हेमंत सोरेन के इस फैसले से अलग राज्य गठन का महती उद्देश्य पूरा होगा।

    हेमंत सोरेन ने झारखंडियों को पहचान दी: चमरा लिंडा

    झारखंड के बिशुनपुर से विधायक चुने गए चमरा लिंडा ने कहा कि यह क्षेत्र काफी पिछड़ा है। यही कारण है कि 1950 से ही यहां के लोग अलग राज्य की मांग कर रहे थे। लोगों का सपना था कि यहां के लोगों की अलग पहचान बने। जन आंदोलन से राज्य अलग हो गया, लेकिन पहचान नहीं मिली थी। सीएम हेमंत सोरेन ने 1932 के खतियान को आधार बनाकर यहां के लोगों को एक पहचान देने का काम किया है।

    हेमंत सरकार की एक बेहतर सोच यह यह : ममता

    रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की विधायक ममता देवी ने कहा कि वर्षों पुरानी झारखंडियों की मांग हेमंत सरकार ने पूरी की है। 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति बने, इसे लेकर पार्टी स्तर से लगातार प्रयास किया जाता रहा है। मैं स्वयं कई बार विधानसभा में इस मुद्दे को उठा चुकी हूं। 1932 का खतियान स्थानीयता, मूलवासी को परिभाषित करता है। यह बहुत पहले होना चाहिए था। झारखंड में महागठबंधन की सरकार ने बेहतर फैसला लिया है। जो भी नीति बने आम झारखंडियों के लिए बने। एक बेहतर सोच है हेमंत सरकार की। यह सरकार की अच्छी पहल है।

    जिनके पास खतियान नहीं उनके लिए पहल हो : अकेला

    झारखंड के बरही विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए उमाशंकर अकेला ने दैनिक जागरण से बातचीत करते हुए कहा कि 1932 के खतियान का वह समर्थन करते हैं, लेकिन कई ऐसे गरीब गुरबे हैं जिनके पास खतियान नहीं है। कोई कागज नहीं है। उसका भी हल निकालना पड़ेगा।

    झारखंड के शहीदों को यह सच्ची श्रद्धांजलि : अंबा प्रसाद

    हजारीबाग जिले के बड़कागांव की विधायक अंबा प्रसाद ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि झारखंड के लोगों की वर्षों पुरानी मांग अब पूरी हुई है। 1932 के खतियान से उनको उनका हक मिला है। यह हेमंत सोरेन सरकार की ओर से झारखंड अगल राज्य गठन के लिए आंदोलन में हुए शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि है।

    अब यहां के आदिवासियों को हक मिलेगा : भूषण बाड़ा

    सिमडेगा के विधायक भूषण बाड़ा ने कहा कि आदिवासी-मूलवासी की जीत हुई है। 1932 का खातियान लागू करने का झारखंड सरकार का फैसला ऐतिहासिक है। हेमंत सरकार ने 1932 का खातियान लागू कर आदिवासियों की चिर प्रतीक्षित मांग को पूरा करने का काम किया है। अब राज्य के आदिवासी समाज को उनका हक और अधिकार मिल पाएगा।

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