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    Jharkhand news: इन वित्त रहित इंटर कालेज, माध्यमिक विद्यालय, संस्कृत विद्यालय और मदरसों को नहीं मिलेगा अनुदान, जानें इसके पीछे क्या हैं कारण

    By Neeraj Ambastha Edited By: Kanchan Singh
    Updated: Mon, 20 Oct 2025 02:54 AM (IST)

    झारखंड सरकार ने वित्त रहित इंटर कॉलेज, माध्यमिक विद्यालय, संस्कृत विद्यालय और मदरसों को अनुदान न देने का फैसला किया है। यह निर्णय इसलिए लिया गया है क्योंकि ये संस्थान सरकार द्वारा निर्धारित मानदंडों को पूरा नहीं करते हैं। शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि केवल नियमों का पालन करने वाले संस्थानों को ही अनुदान मिलेगा, जिससे इन संस्थानों पर आर्थिक दबाव बढ़ेगा।

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    झारखंड के बड़ी संख्या में वित्तरहित शिक्षण संस्थान अनुदान से वंचित रह गए हैं।

    राज्य ब्यूरो, रांची। वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए जिन वित्त रहित इंटर कालेजों, माध्यमिक विद्यालयों, संस्कृत विद्यालयों तथा मदरसों को अनुदान नहीं मिला था, उनमें 140 संस्थानों ने अनुदान के लिए विभागीय समिति के समक्ष अपील की थी। 

    स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव उमाशंकर सिंह की अध्यक्षता में हुई विभागीय समिति की बैठक में सभी संस्थानों के अपील आवेदन तथा अनुदान के लिए दावे के रूप में प्रस्तुत दस्तावेज की जांच की गई। इसके बाद समिति ने जहां 81 संस्थानों को बकाया अनुदान देने पर अपनी स्वीकृति दे दी है, जबकि 49 संस्थानों की अपील विभिन्न कारणों से अस्वीकृत हो गई। 

    अधिसंख्य मामले में अपील शासी निकाय गठित नहीं होने तथा आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराने के कारण अस्वीकृत की गई। 88 माध्यमिक विद्यालयों के प्रबंधन ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के अनुदान के लिए अपील आवेदन जमा किए थे। इनमें से 54 के आवेदन स्वीकृत हुए, जबकि 31 अस्वीकृत हो गए। 

    तीन अपील पर निर्णय स्थगित रखा गया है। इसी तरह, 42 इंटर कालेजों ने अपील की थी, जिनमें 20 की अपील स्वीकृत हो गई। चार में निर्णय स्थगित रखा गया। चार संस्कृत विद्यालयों की अपील में तीन की अपील सही पाई गई। पलामू के एक संस्कृत विद्यालय के मामले में पलामू डीसी से जांच कर रिपोर्ट मांगी गई है। 

    छह मदरसों ने अपील आवेदन जमा किए थे, जिनमें चार के स्वीकृत हुए, जबकि रांची के दो मदरसों के मामलों में उपायुक्त से रिपोर्ट मांगने का निर्णय लिया गया। 

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    उपायुक्त की रिपोर्ट पर मिलेगा अनुदान

    10 संस्थानों के मामले में अपील पर निर्णय को लंबित रखा गया है। उन सभी मामलों में संबंधित जिलों के उपायुक्त को गैर शिक्षा सेवा के पदाधिकारी से जांच कर रिपोर्ट देने को कहा गया है। उपायुक्त की रिपोर्ट के बाद ही उन संस्थानों को अनुदान देने का निर्णय लिया जाएगा। 

    अनुदान 75 प्रतिशत नहीं बढ़ने पर आवेदन नहीं करने का निर्णय

    वित्त रहित शिक्षा संघर्ष मोर्चा की रांची में एक बैठक हुई, जिसमें अनुदान की राशि 75 प्रतिशत नहीं बढ़ने पर अनुदान के लिए आनलाइन या आफलाइन आवेदन नहीं करने का निर्णय लिया गया। 

    कहा गया कि इसपर कैबिनेट की अविलंब स्वीकृति नहीं ली गई तथा वित्त रहित शिक्षा समाप्त करने को लेकर कार्मिक विभाग के पत्र पर स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने अगर कार्रवाई नहीं की तो राज्य के 195 अनुदानित इंटर कालेज, 305 प्रस्वीकृत एवं राज्य सरकार से स्थापना अनुमति प्राप्त उच्च विद्यालय, 47 मदरसा एवं 40 संस्कृत विद्यालय वित्तीय वर्ष 2025- 26 के लिए आवेदन नहीं करेंगे।

     वित्त रहित शिक्षकों ने कहा कि वर्ष केंद्र सरकार ने महंगाई को देखते हुए आठवां वेतनमान के लिए कमेटी बना दी है । वित्त रहित संस्थाओं को इतनी महंगाई के बाद भी 10 वर्ष में अनुदान एक रुपये भी नहीं बढ़ा है। यह भी कहा गया कि इस वर्ष वित्त रहित संस्थानों में पढ़ने वाली बालिकाओं को सावित्रीबाई फुले बालिका समृद्धि योजना का लाभ सरकार नहीं दे रही है। उसका पोर्टल ही नहीं खुल रहा है।