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    Jharkhand में इंजीनियरिंग, मेडिकल और प्रबंधन की पढ़ाई के लिए निजी संस्थान नहीं वसूल सकेंगे मनमाना शुल्क, अधिनियम लागू

    By Neeraj Ambastha Edited By: Kanchan Singh
    Updated: Thu, 20 Nov 2025 07:36 PM (IST)

    झारखंड में इंजीनियरिंग, मेडिकल और प्रबंधन संस्थानों के लिए शुल्क निर्धारण अधिनियम लागू हो गया है। उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति शुल्क निर्धारित करेगी, जो तीन साल के लिए मान्य होगा। यह समिति संस्थानों द्वारा अधिक शुल्क लेने की शिकायतों पर भी सुनवाई करेगी। संस्थानों को अब मनमाना शुल्क वसूलने की अनुमति नहीं होगी।

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    झारखंड में इंजीनियरिंग, मेडिकल और प्रबंधन संस्थानों के लिए शुल्क निर्धारण अधिनियम लागू हो गया है। उ

    राज्य ब्यूरो,रांची। झारखंड में इंजीनियरिंग, मेडिकल, प्रबंधन आदि पाठ्यक्रम संचालित करनेवाले विभिन्न व्यावसायिक शिक्षण संस्थानों के शुल्क निर्धारण संबंधित अधिनियम लागू हो गया है। झारखंड व्यावसायिक शिक्षण संस्थान (शुल्क विनियमन) विधेयक, 2025 पर राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार की स्वीकृति मिलने के बाद विधि विभाग ने इसे अधिनियम के रूप में अधिसूचित कर दिया।

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    लागू अधिनियम के अनुसार, राज्य के व्यावसायिक शिक्षण संस्थानों के शुल्क निर्धारण के लिए उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में समिति गठित की जाएगी। अध्यक्ष की नियुक्ति झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की अनुशंसा पर की जाएगी।

    इस समिति में उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के सचिव द्वारा नामित किसी विश्वविद्यालय के कुलपति उपाध्यक्ष होंगे। इसके अलावा इस समिति में संबंधित पाठ्यक्रम को संबद्धता प्राप्त करनेवाले केंद्रीय प्राधिकार जैसे एआइसीटीई, नेशनल मेडिकल कमीशन के प्रतिनिधि सदस्य होंगे।

    उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग या स्वास्थ्य विभाग या कृषि विभाग इसके सदस्य सचिव हो गए हैं। बताते चलें कि यह विधायक झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र में पारित हुआ था। इसके तहत शुल्क निर्धारण समिति व्यावसायिक शिक्षण संस्थानों का शुल्क वहां उपलब्ध संरचनाओं के आधार पर करेगी।

    तीन वर्ष के लिए लागू होगा शुल्क

    शुल्क निर्धारण समिति किसी व्यावसायिक शिक्षण संस्थान के लिए जो शुल्क तय करेगी वह तीन वर्ष के लिए लागू होगी। तीन वर्ष बाद नए सिरे से शुल्क का निर्धारण किया जाएगा। कोई भी संस्थान एक वर्ष से अधिक अवधि के लिए शुल्क नहीं ले सकेगा।

    समिति के पास किसी संस्थान के विरुद्ध अधिक शुल्क लेने या कैपिटेशन फीस आदि लेने की शिकायतों की सुनवाई का अधिकार होगा। समिति किसी संस्थान के विरुद्ध दंडात्मक कार्रवाई भी कर सकेगी। लागू अधिनियम में इससे संबंधित प्रविधान भी किए गए हैं।
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