Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कांग्रेस सिर्फ ओबीसी आरक्षण पर केंद्रित, झामुमो एसटी-एससी का भी आरक्षण बढ़ाने के पक्ष में

    By M EkhlaqueEdited By:
    Updated: Mon, 20 Dec 2021 06:00 AM (IST)

    झामुमो ने अपना एजेंडा साफ कर द‍िया है। झारखंड में सत्ता संचालन के साथ-साथ बिहार ओड‍िशा बंगाल में अपनी आधार पर भी नजर है। बड़े जलाशयों की योजनाओं का आरंभ से विरोध करता है झामुमो खनन और उद्योग से विस्थापन समेत कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर फोकस रहेगा।

    Hero Image
    अपने अध‍िवेशन के माध्‍यम से झामुमो ने अपना एजेंडा साफ कर द‍िया है।

    रांची, राज्य ब्यूरो। सत्ता संचालन के साथ-साथ अपने आधार वोट और कोर एजेंडे पर झारखंड मुक्ति मोर्चा का अभी भी पूरा फोकस है। यही वजह है कि 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को पछाड़कर सत्ता पर काबिज मोर्चा की असली च‍िंंता यही है। शनिवार को यहां संपन्न 12वें महाधिवेशन के राजनीतिक प्रस्ताव का भी निष्कर्ष इसी के आसपास है। झामुमो जहां वृहद झारखंड की परिकल्पना के अनुरूप कामकाज करने का पक्षधर है, वहीं उन मुद्दों पर भी स्पष्टता है, जिसकी वजह से मोर्चा ने पिछले विधानसभा चुनाव में जहां सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया, वहीं सरकार बनाने के बाद हुए सभी विधानसभा उपचुनाव में भी बाजी मारने में सफलता पाई है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ओबीसी व एससी-एसटी आरक्षण एजेंडे में

    सहयोगी कांग्रेस ने राज्य में जहां ओबीसी का आरक्षण प्रतिशत 14 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने की मुहिम चलाई है, वहीं सत्ता की स्टीयर‍िंंग संभाल रहे झामुमो ने अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जाति का आरक्षण प्रतिशत बढ़ाने का भी संकल्प दोहराया है। अनुसूचित जनजाति का आरक्षण प्रतिशत 26 से बढ़ाकर 28, अनुसूचित जाति का बढ़ाकर 10 से 12 और ओबीसी का आरक्षण प्रतिशत 14 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने का एजेंडा इसी का हिस्सा है। जाहिर है, इससे इन समुदायों में संगठन का जनाधार अधिक मजबूत होगा।

    सत्ता मिलने के बाद बढ़ी संगठन की जिम्मेदारी

    झामुमो के राजनीतिक प्रस्ताव में जिक्र है कि सत्ता मिलने के बाद संगठन की जिम्मेदारी बढ़ी है। झारखंड वृहद राज्य मुक्ति आंदोलन में बंगाल, ओडि़शा और बिहार में अपने आधार की ङ्क्षचता करना भी संगठन का एजेंडा है। इन प्रदेशों के कई जिलों में आदिवासी समुदाय की बहुलता है। यहां जनजाति, मूलवासी, दलित और अल्पसंख्यक समुदाय के मान-सम्मान और अधिकारों की रक्षा करना सर्वोपरि है। विस्थापन के खिलाफ संघर्ष भी संगठन के एजेंडे में है। परियोजनाओं की स्थापना के साथ-साथ राज्य की जनसंख्या का अनुपात बिगड़ गया। बड़े जलाशयों से भी विस्थापन हुआ। विस्थापन के बाद सम्मानजनक पुनर्वास आवश्यक है। विस्थापितों के जीवनयापन, शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी आवश्यकताओं का ख्याल रखना होगा।

    भाजपा पर भी निशाना, नीतियों को ठहराया दोषी

    झामुमो के राजनीतिक प्रस्ताव में मुख्य प्रतिद्वंद्वी भाजपा है। मोर्चा ने केंद्र की नीतियों को देशविरोधी बताते हुए स्पष्ट कर दिया है कि आगे भी स्थिति में ज्यादा बदलाव नहीं होने वाला है। केंद्रीय उपक्रमों की बिक्री समेत कारपोरेट घरानों को लेकर नीति पर भी मोर्चा ने निशाना साधा है। महंगाई भी एजेंडे में है। भाजपा पर निशाना साधने की वजह यह भी है कि महागठबंधन के सहयोगी दलों से तालमेल और समन्वय बना रहे।

    19 को दो साल पूरा करेगी सरकार

    मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में महागठबंधन की सरकार 19 दिसंबर को दो वर्ष का कार्यकाल पूरा करेगी। आने वाले दिनों में झामुमो अपने संगठनात्मक आधार को विस्तृत करते हुए सरकार के कामकाज का प्रचार-प्रसार मजबूती से करेगी। इसमें निचले स्तर तक की इकाइयां कारगर होगी। जल्द ही तमाम इकाइयों का पुनर्गठन कर इस प्रक्रिया को तेज किया जाएगा।